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विवादित ढांचा विध्वंस मामला, अदालत के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर सीबीआई की आपत्ति

विवादित ढांचा विध्वंस मामले में अभियुक्तों को बरी करने वाले सत्र अदालत के फैसले को हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी गई थी. इस पर सीबीआई ने आपत्ति दाखिल की है तो वहीं अपीलकर्ताओं ने जवाब के लिए कोर्ट से समय मांगा है. कोर्ट ने इस मामले में अपीलकर्ताओं को समय देते हुए 26 सितंबर को अगली सुनवाई की तारीख दी है.

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हाई कोर्ट लखनऊ
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Published : Sep 5, 2022, 7:49 PM IST

लखनऊ: अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस मामले में सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल अपील के विरुद्ध सोमवार को सीबीआई की ओर से आपत्ति दाखिल की गई है. वहीं अपीलकर्ताओं की ओर से आपत्ति का जवाब देने के लिए समय दिए जाने की मांग की गई है. इस पर न्यायालय ने अपीलकर्ताओं को दो सप्ताह का समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 सितंबर की तिथि नियत की है. यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की खंडपीठ ने अयोध्या निवासी हाजी महबूब अहमद व सैयद अखलाक अहमद की ओर से दाखिल अपील पर दिया है.


इस मामले में शुरूआत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई थी, जिसे न्यायालय ने आपराधिक अपील में परिवर्तित करने का आदेश दिया था. सोमवार को इसी अपील पर सुनवाई हुई. सीबीआई का कहना है कि अपीलकर्ता विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले के पीड़ित नहीं हैं. लिहाजा सीआरपीसी की धारा 372 के परंतुक के तहत वर्तमान अपील दाखिल नहीं कर सकते. वहीं अपीलकर्ताओं का कहना है कि वो इस मामले में विवादित ढांचा गिराए जाने की वजह से पीड़ित पक्ष हैं. लिहाजा उन्हें सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देने का अधिकार है.

यह भी पढ़ें- ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर को

गौरतलब है कि विशेष अदालत, अयोध्या प्रकरण ने 30 सितंबर 2020 को निर्णय पारित करते हुए, विवादित ढांचा विध्वंस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, लोक सभा सदस्यों साक्षी महाराज, लल्लू सिंह व बृजभूषण शरण सिंह समेत सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया था. वर्तमान अपील में कहा गया है कि दोनों अपीलार्थी उक्त मामले में न सिर्फ गवाह थे, बल्कि घटना के पीड़ित भी हैं.

यह भी पढ़ें- माफिया मुख्तार अंसारी को लेकर मऊ कोर्ट सख्त, अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश

लखनऊ: अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस मामले में सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल अपील के विरुद्ध सोमवार को सीबीआई की ओर से आपत्ति दाखिल की गई है. वहीं अपीलकर्ताओं की ओर से आपत्ति का जवाब देने के लिए समय दिए जाने की मांग की गई है. इस पर न्यायालय ने अपीलकर्ताओं को दो सप्ताह का समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 सितंबर की तिथि नियत की है. यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की खंडपीठ ने अयोध्या निवासी हाजी महबूब अहमद व सैयद अखलाक अहमद की ओर से दाखिल अपील पर दिया है.


इस मामले में शुरूआत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई थी, जिसे न्यायालय ने आपराधिक अपील में परिवर्तित करने का आदेश दिया था. सोमवार को इसी अपील पर सुनवाई हुई. सीबीआई का कहना है कि अपीलकर्ता विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले के पीड़ित नहीं हैं. लिहाजा सीआरपीसी की धारा 372 के परंतुक के तहत वर्तमान अपील दाखिल नहीं कर सकते. वहीं अपीलकर्ताओं का कहना है कि वो इस मामले में विवादित ढांचा गिराए जाने की वजह से पीड़ित पक्ष हैं. लिहाजा उन्हें सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देने का अधिकार है.

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गौरतलब है कि विशेष अदालत, अयोध्या प्रकरण ने 30 सितंबर 2020 को निर्णय पारित करते हुए, विवादित ढांचा विध्वंस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, लोक सभा सदस्यों साक्षी महाराज, लल्लू सिंह व बृजभूषण शरण सिंह समेत सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया था. वर्तमान अपील में कहा गया है कि दोनों अपीलार्थी उक्त मामले में न सिर्फ गवाह थे, बल्कि घटना के पीड़ित भी हैं.

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