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लखनऊ आयुष नोडल अधिकारी का बयान- हमें भी मिले सम्मान - लखनऊ के आयुष नोडल अधिकारी डॉ. राकेश

राजधानी लखनऊ के आयुष नोडल अधिकारी डॉ. राकेश ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि भले ही एलोपैथी के डॉक्टर्स यह विरोध कर रहे हो की आयुर्वेद के डॉक्टर्स सर्जरी करने की अनुमति मिली है, लेकिन जब भी एलोपैथ के डॉक्टर अपनी सर्जरी को शुरू करते हैं तो वह आयुर्वेद के भगवान का स्मरण करते हैं.

लखनऊ आयुष नोडल अधिकारी.
लखनऊ आयुष नोडल अधिकारी.
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Published : Dec 7, 2020, 9:27 PM IST

लखनऊः आयुर्वेद के डॉक्टर्स को सर्जरी करने की अनुमति मिलने के बाद एलोपैथी के डॉक्टर्स विरोध में नजर आए हैं. उनका कहना है कि यदि सरकार यह फैसला वापस नहीं लेती तो वह 11 दिसंबर को सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में ओपीडी बंद कर प्रदर्शन करेंगे.

आयुर्वेद.

आयुर्वेद है पुरातन चिकित्सा प्रणाली
आयुर्वेद के नोडल अधिकारी ने बताया कि आयुर्वेद प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है. वहीं अगर एलोपैथी की बात की जाए तो वह आयुर्वेद के बाद आई है. वहीं अगर आयुर्वेद की बात की जाए तो वह किसी से भी अनुमति लेने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है. आयुर्वेद में अलग-अलग विभाग बनाए गए हैं, जिसमें लोगों का समुचित इलाज किया जाता है.

सर्जरी है हमारा अधिकार
लखनऊ के आयुष नोडल अधिकारी डॉ. राकेश ने बताया कि सर्जरी करने का उनका खुद का अधिकार है. बीएएमएस में सर्जरी के लिए उन्हें विशेष विषय का ज्ञान दिया जाता है. वहीं सर्जन बनने के लिए आयुष से एमएस भी करवाया जाता है. ऐसे में सर्जरी करने का अधिकार आयुष के डॉक्टर को भी होना चाहिए. वहीं जो एलोपैथ के डॉक्टर्स इसका विरोध कर रहे हैं यह पूर्णतया गलत है.

एलोपैथी को है आयुर्वेद से समस्या
राजधानी लखनऊ के आयुष नोडल अधिकारी ने ईटीवी भारत से बताया कि शुरू से ही एलोपैथी डॉक्टर्स को आयुर्वेद के डॉक्टर से समस्या रही है. एलोपैथ के डॉक्टर को यह कंपटीशन रहता है कि कहीं आयुर्वेद उनके बराबर न पहुंच जाए.

आयुष मंत्रालय होने के बाद भी स्थिति है गंभीर
नोडल अधिकारी ने बताया कि भले ही आयुष मंत्रालय का गठन सरकार द्वारा किया गया है, लेकिन फिर भी आयुर्वेद को वह प्रमाणिकता नहीं मिल पा रही है. यदि 100 रुपये सरकार की तरफ से स्वास्थ्य विभाग को रिलीज किए जाते हैं तो उसमें से सिर्फ 3 रुपये ही आयुर्वेद के लिए दिए जाते हैं. वहीं अगर राजधानी लखनऊ की बात की जाए तो 60 प्रतिशत से अधिक आयुर्वेद के अस्पताल किराए के भवनों में चल रहे हैं.

नहीं है इंफ्रास्ट्रक्चर
नोडल अधिकारी ने बताया कि आयुष मंत्रालय की तरफ से न तो इतना फंड मिल पाता है कि हम अपना इंफ्रास्ट्रक्चर बना सकें और न ही सरकार की तरफ से सहायता मिल रही है. वहीं दूसरी तरफ लोगों को आयुर्वेद की सुविधाओं का लाभ देने के लिए हम जगह-जगह कैंप लगा रहे हैं.

लखनऊः आयुर्वेद के डॉक्टर्स को सर्जरी करने की अनुमति मिलने के बाद एलोपैथी के डॉक्टर्स विरोध में नजर आए हैं. उनका कहना है कि यदि सरकार यह फैसला वापस नहीं लेती तो वह 11 दिसंबर को सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में ओपीडी बंद कर प्रदर्शन करेंगे.

आयुर्वेद.

आयुर्वेद है पुरातन चिकित्सा प्रणाली
आयुर्वेद के नोडल अधिकारी ने बताया कि आयुर्वेद प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है. वहीं अगर एलोपैथी की बात की जाए तो वह आयुर्वेद के बाद आई है. वहीं अगर आयुर्वेद की बात की जाए तो वह किसी से भी अनुमति लेने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है. आयुर्वेद में अलग-अलग विभाग बनाए गए हैं, जिसमें लोगों का समुचित इलाज किया जाता है.

सर्जरी है हमारा अधिकार
लखनऊ के आयुष नोडल अधिकारी डॉ. राकेश ने बताया कि सर्जरी करने का उनका खुद का अधिकार है. बीएएमएस में सर्जरी के लिए उन्हें विशेष विषय का ज्ञान दिया जाता है. वहीं सर्जन बनने के लिए आयुष से एमएस भी करवाया जाता है. ऐसे में सर्जरी करने का अधिकार आयुष के डॉक्टर को भी होना चाहिए. वहीं जो एलोपैथ के डॉक्टर्स इसका विरोध कर रहे हैं यह पूर्णतया गलत है.

एलोपैथी को है आयुर्वेद से समस्या
राजधानी लखनऊ के आयुष नोडल अधिकारी ने ईटीवी भारत से बताया कि शुरू से ही एलोपैथी डॉक्टर्स को आयुर्वेद के डॉक्टर से समस्या रही है. एलोपैथ के डॉक्टर को यह कंपटीशन रहता है कि कहीं आयुर्वेद उनके बराबर न पहुंच जाए.

आयुष मंत्रालय होने के बाद भी स्थिति है गंभीर
नोडल अधिकारी ने बताया कि भले ही आयुष मंत्रालय का गठन सरकार द्वारा किया गया है, लेकिन फिर भी आयुर्वेद को वह प्रमाणिकता नहीं मिल पा रही है. यदि 100 रुपये सरकार की तरफ से स्वास्थ्य विभाग को रिलीज किए जाते हैं तो उसमें से सिर्फ 3 रुपये ही आयुर्वेद के लिए दिए जाते हैं. वहीं अगर राजधानी लखनऊ की बात की जाए तो 60 प्रतिशत से अधिक आयुर्वेद के अस्पताल किराए के भवनों में चल रहे हैं.

नहीं है इंफ्रास्ट्रक्चर
नोडल अधिकारी ने बताया कि आयुष मंत्रालय की तरफ से न तो इतना फंड मिल पाता है कि हम अपना इंफ्रास्ट्रक्चर बना सकें और न ही सरकार की तरफ से सहायता मिल रही है. वहीं दूसरी तरफ लोगों को आयुर्वेद की सुविधाओं का लाभ देने के लिए हम जगह-जगह कैंप लगा रहे हैं.

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