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यह एक ऐसी बीमारी है जो धरती के भूगोल में हर कहीं पाई जाती हैः डॉ. सूर्यकांत

विश्व टीबी दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की तरफ से जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया. मुख्य अतिथि डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि क्षय रोग का सबसे पहला वर्णन ऋग्वेद में मिलता है. यह एक ऐसी बीमारी है जो हर कहीं पाई जाती है.

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Published : Mar 24, 2021, 6:05 AM IST

विश्व टीबी दिवस.
विश्व टीबी दिवस.

लखनऊः विश्व टीबी दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की तरफ से जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया गया. हुसैनगंज मेट्रो स्टेशन पर आयोजित इस संगोष्ठी में किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में श्वसन औषधि के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ने कहा कि क्षय रोग का सबसे पहला वर्णन ऋग्वेद में मिलता है. यह एक ऐसी बीमारी है जो धरती के भूगोल में हर कहीं पाई जाती है. इसी तरह शरीर का भी कोई भी हिस्सा इस रोग से प्रभावित हो सकता है. हर साल टीबी से 14 लाख मौतें होती हैं, जिनमें से 4.5 लाख मौतें भारत में होती हैं. इससे इस बीमारी की गंभीरता का अनुमान लगाया जा सकता है.

जागरूकता संगोष्ठी
जागरूकता संगोष्ठी.

टीबी को जड़ से खत्म करने को चलाई जा रही मुहिम

उन्होंने कहा कि हालांकि इससे जुड़ी एक अच्छी बात यह है कि सही इलाज और दवा लेने से इस बीमारी का 100 प्रतिशत इलाज संभव है. टीबी हॉस्पिटल राजेंद्र नगर के डाॅ. एके चौधरी ने बताया कि सरकार द्वारा टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए व्यापक स्तर पर मुहिम चलाई जा रही है. इसकी जांच और इलाज पूरी तरह से निःशुल्क है. मरीजों के लिए पोषण योजना भी आरंभ की गई है, जिसके तहत हर महीने 500 रुपये की राशि मरीजों के खाते में ट्रांसफर की जाती है. दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर दो बलगम की जांच कराएं और पोषण का विशेष ख्याल रखें.

कुपोषण है टीबी की अहम वजह

एसजीपीजीआई की डायटिशियन सुश्री निरुपमा सिंह ने कुपोषण को टीबी की मुख्य वजह बताते हुए कहा कि संतुलित आहार का सेवन करें. भोजन में प्रोटीन की मात्रा सहीं होनी चाहिए. यह हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है. दाल, चना, सोयाबीन एवं दुग्ध उत्पादों में यह भरपूर मात्रा में पाया जाता है. हमें अपने भोजन में अनाज और दाल के अलावा फल और हर तरह की सब्जी को भी शामिल करना चाहिए.

संगोष्ठी में संबोधित करते डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी.
जागरूकता संगोष्ठी में संबोधित करते डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी.

'फूडमैन' भी किया संबोधित

इस अवसर पर फूडमैन के नाम से प्रसिद्ध विशाल सिंह ने लखनऊ के विभिन्न अस्पतालों में असाध्य रोगों से पीड़ित मरीजों को निःशुल्क भोजन एवं रैनबसेरा उपलब्ध कराने के अपने सफर की चर्चा की. उन्होंने बताया कि अपने बचपन के अनुभवों ने ही उन्हें इस दिशा में कार्य करने की प्रेरणा दी और जीवन में सफल होने पर उन्होंने सेवा का संकल्प लिया.

जागरूकता संगोष्ठी में उपस्थित लोग.
जागरूकता संगोष्ठी में उपस्थित लोग.

लांच किया गया डिजिटल कैलेंडर

यूपी मेट्रो के निदेशक (परिचालन) सुशील कुमार ने इस अवसर पर विशाल सिंह के साथ एक डिजिटल कैलेंडर का भी उद्घाटन किया. इस कैलेंडर को बनाने का उद्देश्य टीबी के प्रति जागरूकता फैलाना है. इस अवसर पर सुशील कुमार ने कहा कि यूपी मेट्रो हमेशा से ही अपने यात्रियों को स्वच्छ और सुरक्षित यात्रा मुहैया कराने के प्रति दृढ़संकल्पित रही है. अल्ट्रावाॅयलेट रेडिएशन से मेट्रो कोचों का सैनिटाइजेशन करने वाली यूपी मेट्रो देश की पहली मेट्रो सेवा है. कोविड के दिनों में भी हमने अपने प्रयासों से यात्रियों का भरोसा जीतने में कामयाबी हासिल की है.

इसे भी पढ़ें- मेरठ से लापता लड़की ने बिहार में इंस्टाग्राम वाले फ्रेंड से किया निकाह, बीजेपी विधायक ने दिया आशीर्वाद

लखनऊः विश्व टीबी दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की तरफ से जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया गया. हुसैनगंज मेट्रो स्टेशन पर आयोजित इस संगोष्ठी में किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में श्वसन औषधि के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ने कहा कि क्षय रोग का सबसे पहला वर्णन ऋग्वेद में मिलता है. यह एक ऐसी बीमारी है जो धरती के भूगोल में हर कहीं पाई जाती है. इसी तरह शरीर का भी कोई भी हिस्सा इस रोग से प्रभावित हो सकता है. हर साल टीबी से 14 लाख मौतें होती हैं, जिनमें से 4.5 लाख मौतें भारत में होती हैं. इससे इस बीमारी की गंभीरता का अनुमान लगाया जा सकता है.

जागरूकता संगोष्ठी
जागरूकता संगोष्ठी.

टीबी को जड़ से खत्म करने को चलाई जा रही मुहिम

उन्होंने कहा कि हालांकि इससे जुड़ी एक अच्छी बात यह है कि सही इलाज और दवा लेने से इस बीमारी का 100 प्रतिशत इलाज संभव है. टीबी हॉस्पिटल राजेंद्र नगर के डाॅ. एके चौधरी ने बताया कि सरकार द्वारा टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए व्यापक स्तर पर मुहिम चलाई जा रही है. इसकी जांच और इलाज पूरी तरह से निःशुल्क है. मरीजों के लिए पोषण योजना भी आरंभ की गई है, जिसके तहत हर महीने 500 रुपये की राशि मरीजों के खाते में ट्रांसफर की जाती है. दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर दो बलगम की जांच कराएं और पोषण का विशेष ख्याल रखें.

कुपोषण है टीबी की अहम वजह

एसजीपीजीआई की डायटिशियन सुश्री निरुपमा सिंह ने कुपोषण को टीबी की मुख्य वजह बताते हुए कहा कि संतुलित आहार का सेवन करें. भोजन में प्रोटीन की मात्रा सहीं होनी चाहिए. यह हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है. दाल, चना, सोयाबीन एवं दुग्ध उत्पादों में यह भरपूर मात्रा में पाया जाता है. हमें अपने भोजन में अनाज और दाल के अलावा फल और हर तरह की सब्जी को भी शामिल करना चाहिए.

संगोष्ठी में संबोधित करते डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी.
जागरूकता संगोष्ठी में संबोधित करते डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी.

'फूडमैन' भी किया संबोधित

इस अवसर पर फूडमैन के नाम से प्रसिद्ध विशाल सिंह ने लखनऊ के विभिन्न अस्पतालों में असाध्य रोगों से पीड़ित मरीजों को निःशुल्क भोजन एवं रैनबसेरा उपलब्ध कराने के अपने सफर की चर्चा की. उन्होंने बताया कि अपने बचपन के अनुभवों ने ही उन्हें इस दिशा में कार्य करने की प्रेरणा दी और जीवन में सफल होने पर उन्होंने सेवा का संकल्प लिया.

जागरूकता संगोष्ठी में उपस्थित लोग.
जागरूकता संगोष्ठी में उपस्थित लोग.

लांच किया गया डिजिटल कैलेंडर

यूपी मेट्रो के निदेशक (परिचालन) सुशील कुमार ने इस अवसर पर विशाल सिंह के साथ एक डिजिटल कैलेंडर का भी उद्घाटन किया. इस कैलेंडर को बनाने का उद्देश्य टीबी के प्रति जागरूकता फैलाना है. इस अवसर पर सुशील कुमार ने कहा कि यूपी मेट्रो हमेशा से ही अपने यात्रियों को स्वच्छ और सुरक्षित यात्रा मुहैया कराने के प्रति दृढ़संकल्पित रही है. अल्ट्रावाॅयलेट रेडिएशन से मेट्रो कोचों का सैनिटाइजेशन करने वाली यूपी मेट्रो देश की पहली मेट्रो सेवा है. कोविड के दिनों में भी हमने अपने प्रयासों से यात्रियों का भरोसा जीतने में कामयाबी हासिल की है.

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