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Awareness For Breast Cancer : स्तन कैंसर के प्रति जागरूक हो रहीं महिलाएं, विशेषज्ञों ने कही यह बात

विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रेस्ट कैंसर (Awareness For Breast Cancer) से पीड़ित महिलाओं की संख्या में बीते कुछ सालों के अंदर तेजी से इजाफा हुआ है. इसके साथ ही महिलाओं में अब जागरूकता भी आ रही है. यही कारण है कि शुरुआती लक्षण दिखते ही महिलाएं अस्पताल पहुंच रही हैं.

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Published : Feb 4, 2023, 2:26 PM IST

Updated : Feb 4, 2023, 2:43 PM IST

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लखनऊ : स्तन कैंसर महिलाओं में होने वाले कैंसरों में से सबसे आम कैंसर है. इसके बावजूद अब महिलाएं जागरूक हो चुकी हैं. आज से कुछ साल पहले जब महिलाएं आती थीं तो वह बीमारी की आखिरी स्टेज पर इलाज के लिए पहुंचती थीं. मौजूदा समय में महिलाएं जागरूक हो चुकी हैं, अगर उन्हें जरा सी भी स्तन में गांठ महसूस होती है तो वह अस्पताल में आ जाती हैं. महिलाएं अब ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती स्टेज को पहचानने लगी हैं. जिसकी वजह से कह सकते हैं कि अब महिलाएं जागरूक हो चुकी हैं. यह बातें केजीएमयू की ब्रेस्ट कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. गीतिका नंदा सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहीं.

उन्होंने बताया कि एक साल में लगभग 200 ब्रेस्ट कैंसर पीड़ित महिलाओं का इलाज किया जाता है. यह वे केस हैं जो आखिरी स्टेज पर महिलाएं इलाज के लिए आती हैं. अस्पताल की ओपीडी में जो महिलाएं आती हैं वह अपने शुरुआती लक्षण बताती हैं. इसके बाद हम उन्हें समुचित ट्रीटमेंट देना शुरू करते हैं. इसके अलावा विभाग की ओर से कई जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, ताकि महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें. स्तन कैंसर स्तन कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़ोतरी है. आमतौर पर लोब्यूल्स और दुग्ध नलिकाओं में घुसकर, वे स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण करते हैं और शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं. कुछ मामलों में स्तन कैंसर स्तन के अन्य ऊतकों को भी प्रभावित कर सकता है. अगर किसी महिला को गांठ जैसा महसूस होता है तो हर 2 महीने या 1 महीने पर स्वंय स्तन परीक्षण करें. अगर उन्हें परीक्षण के दौरान ऐसा महसूस हो रहा है कि इस स्तन में कोई गांठ है तो तुरंत किसी अच्छे विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें. स्तन कैंसर के लक्षण शुरुआत में दिखाई नहीं देते, लेकिन गांठ होने पर या किसी अन्य प्रकार के लक्षण होने पर मैमोग्राफी जांच करवाकर इसका पता लगाया जा सकता है. अलग-अलग महिलाओं में स्तन कैंसर के लक्षण भी अलग हो सकते हैं.

स्तन कैंसर के प्रति जागरूक हो रहीं महिलाएं
स्तन कैंसर के प्रति जागरूक हो रहीं महिलाएं



डॉ. गीतिका नंदा ने बताया कि स्तन कैंसर के लिए शारीरिक अस्वस्थता और अनियमित जीवनशैली के अलावा कई बार आनुवांशिक कारण भी जिम्मेदार होते हैं. हालांकि आनुवांशिक कारणों से स्तन कैंसर होने के मात्र 5-10% मामले ही सामने आते हैं. स्तन कैंसर के लक्षणों की बात करें तो उनमें से कुछ इस प्रकार है. वैसे तो इस रोग के कई प्रकार हो सकते हैं, लेकिन स्तन कैंसर में सबसे ज्यादा मामले डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (डीसीआईएस), इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा, इन्वेसिव लॉबुलर कार्सिनोमा के सामने आते हैं. इसके अलावा इंफलेमेटरी स्तन कैंसर, ट्रिपल नेगेटिव स्तन कैंसर तथा निप्पल के पेजेट रोग भी स्तन कैंसर की श्रेणी में आते है, लेकिन इनके पीड़ितों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है. चिकित्सकों के अनुसार स्तन कैंसर के लगभग सभी प्रकारों में पहली स्टेज पर लक्षण पकड़ में आ जाने पर इलाज संभव है.

यह भी पढ़ें : Internship In Urban Bodies : प्रदेश के नगरीय निकायों में डिग्री व डिप्लोमा धारक छात्रों को मिलेगा इंटर्नशिप करने का मौका

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लखनऊ : स्तन कैंसर महिलाओं में होने वाले कैंसरों में से सबसे आम कैंसर है. इसके बावजूद अब महिलाएं जागरूक हो चुकी हैं. आज से कुछ साल पहले जब महिलाएं आती थीं तो वह बीमारी की आखिरी स्टेज पर इलाज के लिए पहुंचती थीं. मौजूदा समय में महिलाएं जागरूक हो चुकी हैं, अगर उन्हें जरा सी भी स्तन में गांठ महसूस होती है तो वह अस्पताल में आ जाती हैं. महिलाएं अब ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती स्टेज को पहचानने लगी हैं. जिसकी वजह से कह सकते हैं कि अब महिलाएं जागरूक हो चुकी हैं. यह बातें केजीएमयू की ब्रेस्ट कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. गीतिका नंदा सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहीं.

उन्होंने बताया कि एक साल में लगभग 200 ब्रेस्ट कैंसर पीड़ित महिलाओं का इलाज किया जाता है. यह वे केस हैं जो आखिरी स्टेज पर महिलाएं इलाज के लिए आती हैं. अस्पताल की ओपीडी में जो महिलाएं आती हैं वह अपने शुरुआती लक्षण बताती हैं. इसके बाद हम उन्हें समुचित ट्रीटमेंट देना शुरू करते हैं. इसके अलावा विभाग की ओर से कई जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, ताकि महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें. स्तन कैंसर स्तन कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़ोतरी है. आमतौर पर लोब्यूल्स और दुग्ध नलिकाओं में घुसकर, वे स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण करते हैं और शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं. कुछ मामलों में स्तन कैंसर स्तन के अन्य ऊतकों को भी प्रभावित कर सकता है. अगर किसी महिला को गांठ जैसा महसूस होता है तो हर 2 महीने या 1 महीने पर स्वंय स्तन परीक्षण करें. अगर उन्हें परीक्षण के दौरान ऐसा महसूस हो रहा है कि इस स्तन में कोई गांठ है तो तुरंत किसी अच्छे विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें. स्तन कैंसर के लक्षण शुरुआत में दिखाई नहीं देते, लेकिन गांठ होने पर या किसी अन्य प्रकार के लक्षण होने पर मैमोग्राफी जांच करवाकर इसका पता लगाया जा सकता है. अलग-अलग महिलाओं में स्तन कैंसर के लक्षण भी अलग हो सकते हैं.

स्तन कैंसर के प्रति जागरूक हो रहीं महिलाएं
स्तन कैंसर के प्रति जागरूक हो रहीं महिलाएं



डॉ. गीतिका नंदा ने बताया कि स्तन कैंसर के लिए शारीरिक अस्वस्थता और अनियमित जीवनशैली के अलावा कई बार आनुवांशिक कारण भी जिम्मेदार होते हैं. हालांकि आनुवांशिक कारणों से स्तन कैंसर होने के मात्र 5-10% मामले ही सामने आते हैं. स्तन कैंसर के लक्षणों की बात करें तो उनमें से कुछ इस प्रकार है. वैसे तो इस रोग के कई प्रकार हो सकते हैं, लेकिन स्तन कैंसर में सबसे ज्यादा मामले डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (डीसीआईएस), इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा, इन्वेसिव लॉबुलर कार्सिनोमा के सामने आते हैं. इसके अलावा इंफलेमेटरी स्तन कैंसर, ट्रिपल नेगेटिव स्तन कैंसर तथा निप्पल के पेजेट रोग भी स्तन कैंसर की श्रेणी में आते है, लेकिन इनके पीड़ितों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है. चिकित्सकों के अनुसार स्तन कैंसर के लगभग सभी प्रकारों में पहली स्टेज पर लक्षण पकड़ में आ जाने पर इलाज संभव है.

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Last Updated : Feb 4, 2023, 2:43 PM IST
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