लखनऊः यूपी एटीएस ने बांग्लादेशियों को घुसपैठ कराने वाले गिरोह के कई और सक्रिय सदस्यों की तलाश तेज कर दी है. घुसपैठियों को यहां भारतीय पहचान पत्र दिलाने में मददगार रहे कुछ लोगों के बारे में भी छानबीन तेज की गई है. एटीएस ने घुसपैठियों के कई ठिकाने भी चिन्हित कर लिए हैं. इन ठिकानों पर गिरोह के सक्रिय सदस्यों का काफी आना-जाना रहा है. इन ठिकानों पर नाम व पहचान बदलकर रह रहे घुसपैठियों तक पहुंचने का प्रयास भी किया जा रहा है.
एटीएस की जांच में सुनियोजित षड्यंत्र के तहत बांग्लादेशियों व रोहिंग्या घुसपैठ कराने वाले गिरोह को विदेशी फंडिंग होेने की बात भी सामने आई थी. सिंडीकेट को 20 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग किए जाने के साक्ष्य जुटाए गए थे. इसे लेकर एटीएस और गहनता से छानबीन कर रही है. एटीएस को यह भी आशंका है कि सिंडीकेट ने अन्य बांग्लादेशी महिलाओं को भी बेचा है. इसे लेकर भी गहनता से छानबीन की जा रही है.
एटीएस ने अक्टूबर महीने में घुसपैठ कराने वाले सिंडीकेट के सक्रिय सदस्य बांग्लादेश के मीरपुर निवासी आदिलुर्रहमान के अलावा बंगाल निवासी शेख नजीबुल हक व अबु हुरैरा गाजी को गिरफ्तार किया था. नजीबुल व अबु देवबंद (सहारनपुर) में रह रहे थे. इसके पकड़े जाने के बाद एटीएस ने छत्तीसगढ़ से बांग्लादेशी महिला व उसे 25 हजार रुपये में खरीदने वाले इब्राहिम खान को गिरफ्तार किया था. इससे पहले पकड़े गए आदिलुर्रहमान ने बांग्लादेशी महिला तानिया मंडल को घुसपैठ कराकर लाया था और उसे मूलरूप से बांग्लादेशी नागरिक इब्राहिम को बेच दिया था. महिला व इब्राहिम दोनों बेंगलुरु में पहचान बदलकर रह रहे थे.
पाकिस्तान से फंडिंग मामले में केस दर्ज
बांग्लादेश के साथ पाकिस्तान से फंडिंग का मामला सामने आया है. एक महीने में 75 लाख का लेन-देन हुआ है. लखनऊ स्थित एटीएस थाने में पाकिस्तान के अज्ञात एजेंट समेत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. एटीएस के मुताबिक गाजियाबाद निवासी नियाजुद्दीन के अकाउंट में पिछले साल 75 लाख का लेन देन किया गया, जो संदिग्ध है. ये खाता बिहार के शिकारपुर निवासी इजहरुल हुसैन के मोबाइल नंबर से लिंक है. इस खाते में आई रकम कई अन्य खातों में ट्रांसफर की गई है.
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