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इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला से समझें अंतरिक्ष का राज

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Published : Dec 20, 2020, 8:21 AM IST

राजधानी लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में खगोलीय घटनाओं जैसे चंद्र व सूर्यग्रहण समेत अन्य ग्रहों को आसानी से समझा जा सकता है. चंद्रयान-2 के चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का रोमांच भरा नजारा परिसर के अंदर लगे प्रोजेक्टर से किया गया था.

इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में चंद्रयान-दो का लाइव शो दिखाया गया.
इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में चंद्रयान-दो का लाइव शो दिखाया गया.

लखनऊ: राजधानी स्थित इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में अंतरिक्ष के राज को समझा जा सकता है. शनि ग्रह के आकार वाला इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला विश्व में ऐसा पहला भवन है, जिसके अर्ध गोलाकार आकार पर सौर मंडल के रहस्मय दृश्यों पर खगोलीय विज्ञान की गाथा समझ आती है. खगोल विज्ञान के प्रति विद्यार्थियों में रुचि उत्पन्न करने के उद्देश्य से इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में एस्ट्रोनॉमी लैब की स्थापना की गई है.

इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला का उद्घाटन 8 मई 2003 में हुआ था. प्राचीनकाल से ही खगोल विज्ञान लोगों के लिए एक रोचक विषय रहा है. नीला आकाश, चमकते सितारे, सूरज, चांद और अन्य ग्रहों के राज को जानने के लिए सभी में उत्सुकता रहती है. नक्षत्रशाला विशेष रूप से डिजाइन किया गया एक ऐसा भवन है, जिसके अर्ध गोलाकार आकार पर्दे पर कृत्रिम आकाश दर्शाकर विभिन्न खगोलीय घटनाओं जैसे सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण समेत अन्य ग्रहों को आसानी से समझा जा सकता है. जो कि बच्चों के लिए कक्षा में समझ पाना संभव नहीं है.

इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में चंद्रयान-दो का लाइव शो दिखाया गया.

ग्रहों व आकाशीय पिंडों की स्थिति की मिलती जानकारी
अंतरिक्ष की खगोलीय घटनाओं और ग्रहों को देखने के लिए हाईपावर दूरबीन लगाई गई है. इसके अलावा टेलीस्कोप से चंद्रमा, शनि व अन्य ग्रहों का भी दीदार किया जा सकता है. नक्षत्रशाला में अनेकों ग्रहों, आकाशीय पिंडों की स्थिति व गति को पर्दे पर दिखाया जाता है. यह नक्षत्रशाला खगोल वैज्ञानिक व शहरवासियों को खगोल विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों की जानकारी देने के लिए उत्तम साधन है.

चंद्रयान-2 का हुआ था लाइव प्रसारण
इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में चंद्रयान-2 के चंद्रमा की सतह पर पहुंचने की ऐतिहासिक घटना का लाइव प्रसारण किया जा चुका है. चंद्रयान-2 के चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का रोमांच भरा नजारा किसी ने टेलीस्कोप से तो कई लोगों ने प्रोजेक्टर के माध्यम से देखा था.

विद्यार्थियों के लिए 'एस्ट्रोनॉमी लैब' बनी हॉबी लैब
इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि नक्षत्रशाला में एस्ट्रोनॉमी लैब जनवरी 2020 में आयोजित की गई थी. उसका फर्स्ट बैच निकल चुका है. फरवरी व मार्च महीने में एग्जाम और उसके बाद लॉकडाउन की वजह से इसको रोक दिया गया. एस्ट्रोनॉमी लैब बड़ा प्रोजेक्ट है. इसमें बच्चों से सीधा संवाद किया जाता है.

यहां चंद्र व सूर्य ग्रहण सौर मंडल, कन्स्टलेशन व जोडियक साइन, सैलेस्टियल स्फेयर आदि मॉडल्स उपलब्ध कराए जाते हैं. साथ ही खगोल विज्ञान से संबंधित हैंडस ऑन एक्टिविटीज एवं प्रयोगों की जानकारी दी जाती है. अब ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को इसकी जानकारियां दी जा रही है.

कोविड-19 के चलते सभी शो बंद
बता दें कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हर दिन अंतरिक्ष की यात्रा शो दिखाया जाता रहा है. इसमें अंतरिक्ष के विभिन्न रहस्यों की जानकारी ली जा सकती है. फिलहाल कोविड-19 के चलते नक्षत्रशाला में संचालित इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के सभी शो बंद चल रहे हैं. वैज्ञानिक सुमित के मुताबिक, स्थिति सामान्य होते ही जल्द दोबारा शो को शुरू कराया जाएगा. यहां प्रति व्यक्ति 25 रुपये टिकट लगता है. हालांकि 30 या अधिक समूह में आने वाले विद्यार्थियों के लिए 10 रुपये प्रति टिकट कर दिया जाता है और दिव्यांगों के लिए नि:शुल्क प्रवेश रखा गया है.

लखनऊ: राजधानी स्थित इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में अंतरिक्ष के राज को समझा जा सकता है. शनि ग्रह के आकार वाला इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला विश्व में ऐसा पहला भवन है, जिसके अर्ध गोलाकार आकार पर सौर मंडल के रहस्मय दृश्यों पर खगोलीय विज्ञान की गाथा समझ आती है. खगोल विज्ञान के प्रति विद्यार्थियों में रुचि उत्पन्न करने के उद्देश्य से इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में एस्ट्रोनॉमी लैब की स्थापना की गई है.

इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला का उद्घाटन 8 मई 2003 में हुआ था. प्राचीनकाल से ही खगोल विज्ञान लोगों के लिए एक रोचक विषय रहा है. नीला आकाश, चमकते सितारे, सूरज, चांद और अन्य ग्रहों के राज को जानने के लिए सभी में उत्सुकता रहती है. नक्षत्रशाला विशेष रूप से डिजाइन किया गया एक ऐसा भवन है, जिसके अर्ध गोलाकार आकार पर्दे पर कृत्रिम आकाश दर्शाकर विभिन्न खगोलीय घटनाओं जैसे सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण समेत अन्य ग्रहों को आसानी से समझा जा सकता है. जो कि बच्चों के लिए कक्षा में समझ पाना संभव नहीं है.

इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में चंद्रयान-दो का लाइव शो दिखाया गया.

ग्रहों व आकाशीय पिंडों की स्थिति की मिलती जानकारी
अंतरिक्ष की खगोलीय घटनाओं और ग्रहों को देखने के लिए हाईपावर दूरबीन लगाई गई है. इसके अलावा टेलीस्कोप से चंद्रमा, शनि व अन्य ग्रहों का भी दीदार किया जा सकता है. नक्षत्रशाला में अनेकों ग्रहों, आकाशीय पिंडों की स्थिति व गति को पर्दे पर दिखाया जाता है. यह नक्षत्रशाला खगोल वैज्ञानिक व शहरवासियों को खगोल विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों की जानकारी देने के लिए उत्तम साधन है.

चंद्रयान-2 का हुआ था लाइव प्रसारण
इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में चंद्रयान-2 के चंद्रमा की सतह पर पहुंचने की ऐतिहासिक घटना का लाइव प्रसारण किया जा चुका है. चंद्रयान-2 के चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का रोमांच भरा नजारा किसी ने टेलीस्कोप से तो कई लोगों ने प्रोजेक्टर के माध्यम से देखा था.

विद्यार्थियों के लिए 'एस्ट्रोनॉमी लैब' बनी हॉबी लैब
इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि नक्षत्रशाला में एस्ट्रोनॉमी लैब जनवरी 2020 में आयोजित की गई थी. उसका फर्स्ट बैच निकल चुका है. फरवरी व मार्च महीने में एग्जाम और उसके बाद लॉकडाउन की वजह से इसको रोक दिया गया. एस्ट्रोनॉमी लैब बड़ा प्रोजेक्ट है. इसमें बच्चों से सीधा संवाद किया जाता है.

यहां चंद्र व सूर्य ग्रहण सौर मंडल, कन्स्टलेशन व जोडियक साइन, सैलेस्टियल स्फेयर आदि मॉडल्स उपलब्ध कराए जाते हैं. साथ ही खगोल विज्ञान से संबंधित हैंडस ऑन एक्टिविटीज एवं प्रयोगों की जानकारी दी जाती है. अब ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को इसकी जानकारियां दी जा रही है.

कोविड-19 के चलते सभी शो बंद
बता दें कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हर दिन अंतरिक्ष की यात्रा शो दिखाया जाता रहा है. इसमें अंतरिक्ष के विभिन्न रहस्यों की जानकारी ली जा सकती है. फिलहाल कोविड-19 के चलते नक्षत्रशाला में संचालित इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के सभी शो बंद चल रहे हैं. वैज्ञानिक सुमित के मुताबिक, स्थिति सामान्य होते ही जल्द दोबारा शो को शुरू कराया जाएगा. यहां प्रति व्यक्ति 25 रुपये टिकट लगता है. हालांकि 30 या अधिक समूह में आने वाले विद्यार्थियों के लिए 10 रुपये प्रति टिकट कर दिया जाता है और दिव्यांगों के लिए नि:शुल्क प्रवेश रखा गया है.

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