ETV Bharat / state

आने वाले दिनों में आसमान में देखने को मिलेगा सैटेलाइट ट्रेन का नजारा - Elon Musk Starlink Satellites

सोमवार देर रात को आसमान में एक साथ तारों की चमकीली श्रृंखला जैसी आकृति नजर आई. आसमान में दिखे इस खास प्रकाश के विषय में इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला (Indira Gandhi Constellation) के खगोल वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव (Astronomer Sumit Srivastava) ने महत्वपूर्ण बातें साझा कीं.

Etv Bharat
इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के खगोल वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव
author img

By

Published : Sep 13, 2022, 8:07 PM IST

लखनऊ: आसमान में बीते सोमवार रात को एक अनोखा नजारा देखने को मिला. आसमान में एक साथ तारों की चमकीली श्रृंखला जैसी आकृति नजर आई. ये श्रृंखला एक ट्रेन की भांति दिखाई दे रही थी. असल में ये दुनिया के सबसे रईस शख्स एलन मस्क (satellite train elon musk) के स्टारलिंक सैटेलाइट्स (starlink satellites in the sky) थे. इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला (Indira Gandhi Constellation) के खगोल वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव (Astronomer Sumit Srivastava) ने बताया कि आने वाले कुछ दिनों तक लोग आसमान में सेटेलाइट ट्रेन का नजारा देख पाएंगे.

खगोल वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में ज्यादातर जगहों पर इंटरनेट ऑप्टिकल फाइबर के जरिए पहुंचाया जाता है. फाइबर ऑप्टिक्स वह तकनीक है, जिसमें प्रकाश (light) के माध्यम से डेटा ट्रैवल करता है, लेकिन स्टारलिंक इससे काफी अलग है. स्टारलिंक (Starlink) एक उपग्रह का समूह (satellite internet constellation) है, जिसे स्पेसएक्स (Space-X) द्वारा संचालित किया जाता है.

आने वाले दिनों में आसमान में देखने को मिलेगा सैटेलाइट ट्रेन का नजारा
इसमें सभी सैटेलाइट्स दूसरे कम्युनिकेशन सैटेलाइट (communication satellites) की अपेक्षा कम ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं और पूरी पृथ्वी पर डायरेक्ट अपने ग्राहकों तक इंटरनेट की सेवा उपलब्ध कराते है. 2018 में इसकी शुरुआत हुई थी, अब तक लगभग 2000 सेटेलाइट्स कम ऊंचाई वाली अर्थ ऑर्बिट में स्थापित किए जा चुके है. धरती की सतह से 550 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगाते हैं.

यह भी पढ़ें: आसमान में दिखी सितारों की ट्रेन, जिसने देखा वो हो गया हैरान

उन्होंने बताया कि स्टारलिंक सैटेलाइट्स, परंपरागत सैटेलाइट्स (traditional satelite) के मुकाबले 60 गुणा धरती के नजदीक होंगे. इसी वजह से यूजर के पास कम latency के साथ इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचेगी. यानी कि एक माध्यम से अपनी गंतव्य (destination) तक डेटा को पहुंचने में बहुत ही कम समय लगेगा. स्टारलिंक की सेवा फाइबर ऑप्टिक्स की लाइट से 40 प्रतिशत अधिक तेज मानी जाती है. कम ऊंचाई वाली कक्षा (Low orbital position) होने की वजह से स्टारलिंक सैटेलाइट (starlink satellites) रात को ज्यादा चमकते हैं, क्योंकि वे हमारे बेहद नजदीक होते हैं.

लखनऊ: आसमान में बीते सोमवार रात को एक अनोखा नजारा देखने को मिला. आसमान में एक साथ तारों की चमकीली श्रृंखला जैसी आकृति नजर आई. ये श्रृंखला एक ट्रेन की भांति दिखाई दे रही थी. असल में ये दुनिया के सबसे रईस शख्स एलन मस्क (satellite train elon musk) के स्टारलिंक सैटेलाइट्स (starlink satellites in the sky) थे. इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला (Indira Gandhi Constellation) के खगोल वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव (Astronomer Sumit Srivastava) ने बताया कि आने वाले कुछ दिनों तक लोग आसमान में सेटेलाइट ट्रेन का नजारा देख पाएंगे.

खगोल वैज्ञानिक सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में ज्यादातर जगहों पर इंटरनेट ऑप्टिकल फाइबर के जरिए पहुंचाया जाता है. फाइबर ऑप्टिक्स वह तकनीक है, जिसमें प्रकाश (light) के माध्यम से डेटा ट्रैवल करता है, लेकिन स्टारलिंक इससे काफी अलग है. स्टारलिंक (Starlink) एक उपग्रह का समूह (satellite internet constellation) है, जिसे स्पेसएक्स (Space-X) द्वारा संचालित किया जाता है.

आने वाले दिनों में आसमान में देखने को मिलेगा सैटेलाइट ट्रेन का नजारा
इसमें सभी सैटेलाइट्स दूसरे कम्युनिकेशन सैटेलाइट (communication satellites) की अपेक्षा कम ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं और पूरी पृथ्वी पर डायरेक्ट अपने ग्राहकों तक इंटरनेट की सेवा उपलब्ध कराते है. 2018 में इसकी शुरुआत हुई थी, अब तक लगभग 2000 सेटेलाइट्स कम ऊंचाई वाली अर्थ ऑर्बिट में स्थापित किए जा चुके है. धरती की सतह से 550 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगाते हैं.

यह भी पढ़ें: आसमान में दिखी सितारों की ट्रेन, जिसने देखा वो हो गया हैरान

उन्होंने बताया कि स्टारलिंक सैटेलाइट्स, परंपरागत सैटेलाइट्स (traditional satelite) के मुकाबले 60 गुणा धरती के नजदीक होंगे. इसी वजह से यूजर के पास कम latency के साथ इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचेगी. यानी कि एक माध्यम से अपनी गंतव्य (destination) तक डेटा को पहुंचने में बहुत ही कम समय लगेगा. स्टारलिंक की सेवा फाइबर ऑप्टिक्स की लाइट से 40 प्रतिशत अधिक तेज मानी जाती है. कम ऊंचाई वाली कक्षा (Low orbital position) होने की वजह से स्टारलिंक सैटेलाइट (starlink satellites) रात को ज्यादा चमकते हैं, क्योंकि वे हमारे बेहद नजदीक होते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.