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जानवर और इंसान दोनों हैं समान, सभी की बचाएं जान: गरिमा कपूर - जानवर और इंसान दोनों है समान

उत्तर प्रदेश की राजधानी की असिस्टेंट प्रोफेसर गरिमा सिंह को लोगों की जान बचाने के लिए 'नेक इंसान' का अवॉर्ड मिला. गरिमा का कहना है कि जान चाहे किसी की भी हो इंसान या जानवर हमें हमेंशा उनकी मदद करनी चाहिए.

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लखनऊ की गरिमा को मिला नेक अवॉर्ड.
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Published : Jan 12, 2020, 10:03 AM IST

लखनऊ: राजधानी की एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने तीन बार राइडर के तौर पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड अवॉर्ड, रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड के साथ ही अन्य कई अवॉर्ड हासिल किए. वहीं अब वह लोगों की जान बचाने के लिए 'नेक इंसान' का अवॉर्ड हासिल की हैं. असिस्टेंट प्रोफेसर गरिमा सिंह का कहना है कि इंसान हो या जानवर सभी की जान बचाना हमारा फर्ज है. किसी एक की जान बचा कर हम न जाने कितनों की जान बचा लेते हैं.

जानवर हो या इंसान दोनों की जान एक समान
जानवर और इंसान दोनों है समान, सभी की बचाएं जान तभी तो बनेंगे हम 'नेक इंसान'. उन्होंने कहा कि मेरा अनुरोध है कि एंबुलेंस को हरहाल में रास्ता दें. कई राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और असिस्टेंट प्रोफेसर गरिमा कपूर ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान लोगों की जान बचाने की बात कही.

लखनऊ की गरिमा को मिला नेक अवॉर्ड.

दूसरों की मदद करने के लिए मां से मिलती है प्रेरणा
गरिमा कपूर बताती है कि लोगों की जान बचाने की प्रेरणा उन्हें अपनी मां से मिली है. उस लम्हे को भी वो याद करती हैं. जब वह अपनी मां के साथ कॉम्पटीशन में हिस्सा लेकर बस से लौट रही थी. इस दौरान मैकलगंज के पास बस पलट गई थी और किस तरह से उन्होंने बस में रोते बिलखते बच्चों और महिलाओं की जान को अपनी जान जोखिम में डालकर बचाई थी.

खुद की जान जोखिम में डालकर बचाई लोगों की जान
उन्होंने बताया कि मैंने बस की खिड़की तोड़ी और खिड़की से लोगों को बाहर निकालना शुरू किया. इससे मेरे हाथ में फ्रैक्चर हो गया था. एक महिला के सिर में बुरी तरह चोट लगी देखकर तत्काल पुलिस और एंबुलेंस को फोन किया. इतना ही नहीं बस में घायल हुए यात्रियों को लेकर हॉस्पिटल तक गईं और जब तक यात्रियों को होश नहीं आ गया तब तक वापस नहीं लौटीं.

स्टंट बिना सेफ्टी के न करे
गरिमा का कहना है कि दुर्घटना के दौरान इंसान हो या जानवर किसी की भी जान बचाना हमारा फर्ज है. इसके लिए सभी को हमेशा आगे आना चाहिए. स्टंट एक तरीके का एडवेंचर्स स्पोर्ट्स है. स्पोर्ट के लिए आपको बहुत अलग तरीका का एनवायरमेंट चाहिए होता है. एक प्लेटफार्म चाहिए होता है, आप रोड पर बिना सेफ्टी के स्टंट कर रहे हैं तो यह बहुत बुरा है. आप अपनी जान नहीं अपने परिवार वालों के जान और दूसरे परिवार वालों को भी जान खतरे में डाल रहे हैं और दूसरे लोगों पर भी जान खतरे में डाल रहे हैं.

गरिमा को मिल चुका है काफी अवॉर्ड
गुड सेमेरिटन अवॉर्ड पाकर वे कहती हैं कि जहां तक अवॉर्ड की बात है तो मैं शुक्रिया अदा करती हूं एसपी ट्रैफिक सर का, उन्होंने मुझे रिकॉग्नाइज किया इस अवॉर्ड के लिए. मुझे ऐसा लगता है कि किसी की भी जान बहुत इंपॉर्टेंट होती है. चाहे वह इंसान की हो या जानवर की. मैं तो नालियों में भी कूद जाती हूं कुत्ते बचाने के लिए. यह चीजें सबके अंदर होनी चाहिए क्योंकि एक बार अगर आप दूसरे की जान बचा लेते हैं तो आपको बहुत अच्छा लगता है. आप में कांफिडेंस आता है. आप उस चीज को आगे बढ़ा सकते हो.

एंबुलेंस को रास्ता देने की बात
गरिमा बताती है कि इससे पहले मेरे तीन इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड राइडिंग में हैं, जिसमें से एक 2019 में मुझे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड मिला है. मुझे रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड मिल चुका है. मैं चाहती हूं कि यह संदेश सबको जाए कि एंबुलेंस बहुत जरूरी चीज है. आपको अगर एंबुलेंस दिखती है तो उसे रास्ता जरूर दें क्योंकि हो सकता है कि आज वह किसी और का रिश्तेदार है कल वह आपका अपना भी हो सकता है. इसलिए आज आप उस एंबुलेंस को रास्ता देंगे तो कल आपको भी कोई रास्ता देगा.

इसे भी पढ़ें- चन्दौली: पं. दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर होगा मुगलसराय रेल मंडल

लखनऊ: राजधानी की एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने तीन बार राइडर के तौर पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड अवॉर्ड, रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड के साथ ही अन्य कई अवॉर्ड हासिल किए. वहीं अब वह लोगों की जान बचाने के लिए 'नेक इंसान' का अवॉर्ड हासिल की हैं. असिस्टेंट प्रोफेसर गरिमा सिंह का कहना है कि इंसान हो या जानवर सभी की जान बचाना हमारा फर्ज है. किसी एक की जान बचा कर हम न जाने कितनों की जान बचा लेते हैं.

जानवर हो या इंसान दोनों की जान एक समान
जानवर और इंसान दोनों है समान, सभी की बचाएं जान तभी तो बनेंगे हम 'नेक इंसान'. उन्होंने कहा कि मेरा अनुरोध है कि एंबुलेंस को हरहाल में रास्ता दें. कई राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और असिस्टेंट प्रोफेसर गरिमा कपूर ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान लोगों की जान बचाने की बात कही.

लखनऊ की गरिमा को मिला नेक अवॉर्ड.

दूसरों की मदद करने के लिए मां से मिलती है प्रेरणा
गरिमा कपूर बताती है कि लोगों की जान बचाने की प्रेरणा उन्हें अपनी मां से मिली है. उस लम्हे को भी वो याद करती हैं. जब वह अपनी मां के साथ कॉम्पटीशन में हिस्सा लेकर बस से लौट रही थी. इस दौरान मैकलगंज के पास बस पलट गई थी और किस तरह से उन्होंने बस में रोते बिलखते बच्चों और महिलाओं की जान को अपनी जान जोखिम में डालकर बचाई थी.

खुद की जान जोखिम में डालकर बचाई लोगों की जान
उन्होंने बताया कि मैंने बस की खिड़की तोड़ी और खिड़की से लोगों को बाहर निकालना शुरू किया. इससे मेरे हाथ में फ्रैक्चर हो गया था. एक महिला के सिर में बुरी तरह चोट लगी देखकर तत्काल पुलिस और एंबुलेंस को फोन किया. इतना ही नहीं बस में घायल हुए यात्रियों को लेकर हॉस्पिटल तक गईं और जब तक यात्रियों को होश नहीं आ गया तब तक वापस नहीं लौटीं.

स्टंट बिना सेफ्टी के न करे
गरिमा का कहना है कि दुर्घटना के दौरान इंसान हो या जानवर किसी की भी जान बचाना हमारा फर्ज है. इसके लिए सभी को हमेशा आगे आना चाहिए. स्टंट एक तरीके का एडवेंचर्स स्पोर्ट्स है. स्पोर्ट के लिए आपको बहुत अलग तरीका का एनवायरमेंट चाहिए होता है. एक प्लेटफार्म चाहिए होता है, आप रोड पर बिना सेफ्टी के स्टंट कर रहे हैं तो यह बहुत बुरा है. आप अपनी जान नहीं अपने परिवार वालों के जान और दूसरे परिवार वालों को भी जान खतरे में डाल रहे हैं और दूसरे लोगों पर भी जान खतरे में डाल रहे हैं.

गरिमा को मिल चुका है काफी अवॉर्ड
गुड सेमेरिटन अवॉर्ड पाकर वे कहती हैं कि जहां तक अवॉर्ड की बात है तो मैं शुक्रिया अदा करती हूं एसपी ट्रैफिक सर का, उन्होंने मुझे रिकॉग्नाइज किया इस अवॉर्ड के लिए. मुझे ऐसा लगता है कि किसी की भी जान बहुत इंपॉर्टेंट होती है. चाहे वह इंसान की हो या जानवर की. मैं तो नालियों में भी कूद जाती हूं कुत्ते बचाने के लिए. यह चीजें सबके अंदर होनी चाहिए क्योंकि एक बार अगर आप दूसरे की जान बचा लेते हैं तो आपको बहुत अच्छा लगता है. आप में कांफिडेंस आता है. आप उस चीज को आगे बढ़ा सकते हो.

एंबुलेंस को रास्ता देने की बात
गरिमा बताती है कि इससे पहले मेरे तीन इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड राइडिंग में हैं, जिसमें से एक 2019 में मुझे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड मिला है. मुझे रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड मिल चुका है. मैं चाहती हूं कि यह संदेश सबको जाए कि एंबुलेंस बहुत जरूरी चीज है. आपको अगर एंबुलेंस दिखती है तो उसे रास्ता जरूर दें क्योंकि हो सकता है कि आज वह किसी और का रिश्तेदार है कल वह आपका अपना भी हो सकता है. इसलिए आज आप उस एंबुलेंस को रास्ता देंगे तो कल आपको भी कोई रास्ता देगा.

इसे भी पढ़ें- चन्दौली: पं. दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर होगा मुगलसराय रेल मंडल

Intro:जानवर और इंसान दोनों है समान, सभी की बचाएं जान तभी बनेंगे नेक इंसान: गरिमा कपूर

लखनऊ। तीन बार राइडर के तौर पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड अवार्ड, इसके बाद रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड के साथ ही अन्य कई अवार्ड हासिल करने के बाद अब लोगों की जान बचाने के लिए 'नेक इंसान' का अवार्ड पाने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर गरिमा सिंह का कहना है कि इंसान हो या जानवर सभी की जान बचाना हमारा फर्ज है। किसी एक की जान बचा कर हम न जाने कितनों की जान बचा लेते हैं। जानवर और इंसान दोनों है समान, सभी की बचाएं जान तभी तो बनेंगे हम 'नेक इंसान'। मेरा अनुरोध है कि एंबुलेंस को हरहाल में रास्ता दें। कई राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और असिस्टेंट प्रोफेसर गरिमा कपूर ने ईटीवी भारत से बातचीत की।





Body:गरिमा कपूर बताती है कि लोगों की जान बचाने की प्रेरणा उन्हें अपनी मां से मिली है। उस लम्हे को भी वो याद करती हैं जब वह अपनी मां के साथ कॉम्पटीशन में हिस्सा लेकर बस से लौट रही थी इसी दौरान मैकलगंज के पास बस पलट गई थी और किस तरह से उन्होंने बस में रोते बिलखते बच्चों और महिलाओं की जान अपनी जान जोखिम में डालकर बचाई थी। उन्होंने बताया कि मैंने बस की खिड़की तोड़ी और खिड़की से लोगों को बाहर निकालना शुरू किया। इससे मेरे हाथ में फ्रैक्चर हो गया था। एक महिला के सिर में बुरी तरह लगी चोट देख कर तत्काल पुलिस और एंबुलेंस को फोन किया। इतना ही नहीं बस में घायल हुए यात्रियों को लेकर हॉस्पिटल तक गईं और जब तक यात्रियों को होश नहीं आ गया तब तक वापस नहीं लौटीं। गरिमा का कहना है कि दुर्घटना के दौरान इंसान हो या जानवर किसी की भी जान बचाना हमारा फर्ज है। इसके लिए सभी को हमेशा आगे आना चाहिए। स्टंट एक तरीके का एडवेंचर्स स्पोर्ट्स है सपोर्ट के लिए आपको बहुत अलग तरीका का एनवायरमेंट चाहिए होता है एक प्लेटफार्म चाहिए होता है आप रोड पर बिना सेफ्टी के अर्थ के स्टंट कर रहे हैं तो यह बहुत बुरा है आप अपनी जान नहीं अपने परिवार वालों के जान और दूसरे परिवार वालों को भी जान खतरे में डाल रहे हैं और दूसरे लोगों पर भी जान खतरे में डाल रहे हैं यह ठीक नहीं होता है।

गुड सेमेरिटन अवार्ड पाकर वे कहती हैं कि जहां तक अवार्ड बात है तो मैं शुक्रिया अदा करती हूं एसपी ट्रैफिक सर का उन्होंने मुझे रिकॉग्नाइज किया इस अवार्ड के लिए। मुझे सही समझा। मुझे ऐसा लगता है कि किसी की भी जान बहुत इंपॉर्टेंट होती है। चाहे वह इंसान की हो या जानवर की। मैं तो नालियों में भी कूद जाती हूं कुत्ते बचाने के लिए। यह चीजें सबके अंदर होनी चाहिए क्योंकि एक बार अगर आप दूसरे की जान बचा लेते हैं तो आपको बहुत अच्छा लगता है। आप में कांफिडेंस आता है। आप उस चीज को आगे बढ़ा सकते हो। दूसरे को बता सकते हैं। आपने जब खुद किया होगा तो दूसरे से अपील कर सकते हो कि आप भी ये काम करो। दूसरों को बचाओ केवल खड़े होकर तमाशा न देखो।





Conclusion:गरिमा बताती है कि इससे पहले मेरे तीन इंडिया बुक ऑफ  रिकॉर्ड हैं राइडिंग में। जिसमें से एक 2019 में मुझे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड मिला है । मुझे रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड मिल चुका है। मैं चाहती हूं कि यह संदेश सबको जाए कि एंबुलेंस बहुत जरूरी चीज है आपको अगर एंबुलेंस दिखती है तो उसे रास्ता जरूर दें क्योंकि हो सकता है कि आज वह किसी और का रिश्तेदार है कल आपका रिश्तेदार हो सकता है। इसलिए आज आप उस एंबुलेंस को रास्ता देंगे तो कल आपको भी कोई रास्ता देगा


अखिल पाण्डेय, संवाददाता, ई टीवी भारत
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