ETV Bharat / state

कांशीराम की याद में बसपा का चुनावी शो, नकुल दुबे बोले- बीजेपी को अपना नाम 'एजेपी' कर लेना चाहिए

लखनऊ में शनिवार को कांशीराम के 15वें परिनिर्वाण दिवस पर कार्यकर्ताओं का हुजूम जुटा. सभी पदाधिकारियों के साथ-साथ बसपा प्रमुख मायावती, राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा भी मौजूद रहे. इसके जरिए बसपा ने विधानसभा चुनाव 2022 का आगाज किया.

बसपा का चुनावी शो
बसपा का चुनावी शो
author img

By

Published : Oct 9, 2021, 9:10 AM IST

Updated : Oct 9, 2021, 1:44 PM IST

लखनऊ: यूपी में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल एक-एक कर मैदान में आ रहे हैं. कोरोना काल में बंद रहीं जमीनी गतिविधियां अब उमंग भरने लगी हैं. सपा जहां 'विजय यात्रा' से जनता की थाह लेगी, वहीं अभी तक 'अंडर ग्राउंड' वर्क कर रही बसपा भी खुले में ताल ठोंकने जा रही है. इसके लिए लखनऊ में जनाधार जुटाकर पार्टी अपनी ताकत का अहसास कराएगी.

लंबे दिनों से खामोश 'हाथी' अब शनिवार को राजधानी में 'चिंघाड़ेगा'. लखनऊ में कांशीराम के 15वें परिनिर्वाण दिवस पर कार्यकर्ताओं का हुजूम जुटेगा. सभी पदाधिकारियों के साथ-साथ बसपा प्रमुख मायावती, राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा खुद मौजूद रहेंगे. पुरानी जेल रोड स्थिति कांशीराम स्मारक स्थल पर भव्य समारोह की तैयारियां शुरू हो गई हैं.

बसपा की रैली.

नौ अक्टूबर को कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर चार लाख भीड़ जुटने का दावा किया जा रहा है. इसके लिए हर विधानसभा क्षेत्र से 1000 लोग लाने का लक्ष्य दिया गया है. लखनऊ में भीड़ जुटाने के लिए सभी कोआर्डिनेटर, एमपी, एमएलए जुट गए हैं. वहीं टिकट के दावेदार भी भीड़ के जरिए अपनी क्षमता दिखाने की कोशिश करेंगे.

इसे भी पढ़ें- Exclusive: ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में सतीश मिश्रा ने कहा, किसानों के लिए सड़क पर भी उतरेगी बसपा

बसपा के सूत्रों के मुताबिक समारोह में पार्टी के नेता आगामी चुनाव को लेकर दलित चेतना का संदेश देंगे, ताकि पार्टी के पारंपरिक वोट में सेंध लगाने की फिराक में बैठी बीजेपी को बैकफुट पर धकेला जा सके. वहीं, युवाओं को साधने के लिए बसपा प्रमुख के भतीजे आकाश आनंद व पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के पुत्र कपिल मिश्रा भी मौजूद रहेंगे.

बसपा कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस को बड़े स्तर पर मनाने जा रही है. इस दौरान प्रदेशभर से कार्यकर्ता जुटेंगे. शहर को झंडे, बैनर से पाट दिया गया है. ऐसे में बसपा प्रमुख चुनावी हुंकार भी भरेंगी. वह पार्टी कार्यकर्ताओं को बीजेपी की जनविरोधी नीतियों का पर्दाफाश करने का आह्वान करेंगी. चर्चा है कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर भी सरकार पर प्रहार कर किसानों को अपने पाले में खींचने की कोशिश करेंगी.

यूं तो 2012-2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को पराजय का सामना करना पड़ा. उसका सोशल इंजीनियरिंग फार्मूला बेअसर रहा, लेकिन बसपा वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में सफलता का श्रेय इसी फार्मूला को देती है. लिहाजा, कुछ नए मुद्दे जोड़कर सोशल इंजीनियरिंग के जरिये बसपा 2022 के चुनाव मैदान में भी कूदने जा रही है. इसकी जमीन राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र ने हर जिले में प्रबुद्ध वर्ग की गोष्ठी कर तैयार कर दी है. शनिवार को लखनऊ में दलित चिंतकों के साथ-साथ पार्टी ने प्रबुद्ध वर्ग के पदाधिकारियों को भी बुलाया है.

बसपा नेता नकुल दुबे ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार हत्यारी सरकार है. इसे जनता उखाड़ फेंकेंगी. उन्होंने कहा कि 2022 में जनता बसपा की सरकार बनाएगी. उन्होंने कहा कि बीजेपी को अपना नाम एजेपी कर लेना चाहिए.

नकुल दुबे से बातचीत.

मायावती के मार्गदर्शक रहे कांशीराम के बारे में जानें खास बातें

  • बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बाद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के संस्थापक कांशीराम ही थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति और समाज में एक बड़ा परिवर्तन लाने वाले की भूमिका निभाई है.
  • कांशीराम का जन्म पंजाब के एक दलित परिवार में हुआ था. उन्होंने बीएससी की पढ़ाई की. क्लास वन के अफसर भी बने. इस दौरान कांशीराम ने दलितों से जुड़े सवाल और अंबेडकर जयंती के दिन अवकाश घोषित करने की मांग उठाई.
  • वर्ष 1981 में उन्होंने दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (डीएस4) की स्थापना की. 1983 में डीएस-4 ने एक साइकिल रैली का आयोजन कर अपनी ताकत दिखाई. इस रैली में तीन लाख लोगों ने हिस्सा लिया था.
  • वर्ष 1984 में बीएसपी की स्थापना की. इस दौरान कांशीराम एक पूर्णकालिक राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता बन गए थे. उन्होंने तब कहा था कि अंबेडकर किताबें इकट्ठा करते थे, लेकिन मैं लोगों को इकट्ठा करता हूं. वह एक चिंतक भी थे और जमीनी कार्यकर्ता भी.
  • कम समय में ही बीएसपी ने यूपी की राजनीति में अपनी एक अलग छाप छोड़ी. कांशीराम का मानना था कि अपने हक के लिए लड़ना होगा, उसके लिए गिड़गिड़ाने से बात नहीं बनेगी.
  • कांशीराम मायावती के मार्गदर्शक थे. मायावती ने कांशीराम की राजनीति को आगे बढ़ाया और बसपा को राजनीति में एक ताकत के रूप में खड़ा किया. कांशीराम 2006 में मृत्यु हो गई.
  • कांशीराम की मृत्यु के 15 साल बाद भी यूपी में कांशीराम की विरासत आज भी जिंदा है. उनके नाम पर भव्य पार्क व उसमें मूर्तियां लगी हैं. सरकारी कॉलोनी बनी हैं. बसपा भी उन्हें अपने आदर्श के रूप में स्थान दिया है.
  • यूं तो व्यक्तिगत रूप से कांशीराम सादा जीवन जीते थे, लेकिन पार्टी चिंतकों के बीच इस बात को लेकर हमेशा बहस रही है कि धन-वैभव का प्रदर्शन भी दलित सशक्तिकरण का एक प्रतीक है.
    लिहाजा इसको लेकर बसपा की कई रैलियां नोटो की माला, खर्चा आदि को लेकर चर्चा में रहीं.

कांशीराम की याद में बसपा का मेगा शो

कांशीराम की याद में बसपा राजधानी में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले आज मेगा शो करेगी. इसका मकसद पार्टी संस्थापक के परिनिर्वाण दिवस के बहाने जहां अपने परंपरागत वोट को एक सूत्र में बांधना है, वहीं सोशल इंजीनियरिंग फार्मूला का ढीला पेंच कसकर विरोधियों को ताकत का अहसास कराना है. ऐसे में पूरे शहर को नीले झंडे, होर्डिंग, बैनर से पाट दिया गया है. राज्य के सभी जिलों से कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ेगी. इस दौरान बसपा प्रमुख मायावती कांशीराम को श्रद्धांजलि देंगी.

लखनऊ: यूपी में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल एक-एक कर मैदान में आ रहे हैं. कोरोना काल में बंद रहीं जमीनी गतिविधियां अब उमंग भरने लगी हैं. सपा जहां 'विजय यात्रा' से जनता की थाह लेगी, वहीं अभी तक 'अंडर ग्राउंड' वर्क कर रही बसपा भी खुले में ताल ठोंकने जा रही है. इसके लिए लखनऊ में जनाधार जुटाकर पार्टी अपनी ताकत का अहसास कराएगी.

लंबे दिनों से खामोश 'हाथी' अब शनिवार को राजधानी में 'चिंघाड़ेगा'. लखनऊ में कांशीराम के 15वें परिनिर्वाण दिवस पर कार्यकर्ताओं का हुजूम जुटेगा. सभी पदाधिकारियों के साथ-साथ बसपा प्रमुख मायावती, राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा खुद मौजूद रहेंगे. पुरानी जेल रोड स्थिति कांशीराम स्मारक स्थल पर भव्य समारोह की तैयारियां शुरू हो गई हैं.

बसपा की रैली.

नौ अक्टूबर को कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर चार लाख भीड़ जुटने का दावा किया जा रहा है. इसके लिए हर विधानसभा क्षेत्र से 1000 लोग लाने का लक्ष्य दिया गया है. लखनऊ में भीड़ जुटाने के लिए सभी कोआर्डिनेटर, एमपी, एमएलए जुट गए हैं. वहीं टिकट के दावेदार भी भीड़ के जरिए अपनी क्षमता दिखाने की कोशिश करेंगे.

इसे भी पढ़ें- Exclusive: ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में सतीश मिश्रा ने कहा, किसानों के लिए सड़क पर भी उतरेगी बसपा

बसपा के सूत्रों के मुताबिक समारोह में पार्टी के नेता आगामी चुनाव को लेकर दलित चेतना का संदेश देंगे, ताकि पार्टी के पारंपरिक वोट में सेंध लगाने की फिराक में बैठी बीजेपी को बैकफुट पर धकेला जा सके. वहीं, युवाओं को साधने के लिए बसपा प्रमुख के भतीजे आकाश आनंद व पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के पुत्र कपिल मिश्रा भी मौजूद रहेंगे.

बसपा कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस को बड़े स्तर पर मनाने जा रही है. इस दौरान प्रदेशभर से कार्यकर्ता जुटेंगे. शहर को झंडे, बैनर से पाट दिया गया है. ऐसे में बसपा प्रमुख चुनावी हुंकार भी भरेंगी. वह पार्टी कार्यकर्ताओं को बीजेपी की जनविरोधी नीतियों का पर्दाफाश करने का आह्वान करेंगी. चर्चा है कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर भी सरकार पर प्रहार कर किसानों को अपने पाले में खींचने की कोशिश करेंगी.

यूं तो 2012-2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को पराजय का सामना करना पड़ा. उसका सोशल इंजीनियरिंग फार्मूला बेअसर रहा, लेकिन बसपा वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में सफलता का श्रेय इसी फार्मूला को देती है. लिहाजा, कुछ नए मुद्दे जोड़कर सोशल इंजीनियरिंग के जरिये बसपा 2022 के चुनाव मैदान में भी कूदने जा रही है. इसकी जमीन राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र ने हर जिले में प्रबुद्ध वर्ग की गोष्ठी कर तैयार कर दी है. शनिवार को लखनऊ में दलित चिंतकों के साथ-साथ पार्टी ने प्रबुद्ध वर्ग के पदाधिकारियों को भी बुलाया है.

बसपा नेता नकुल दुबे ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार हत्यारी सरकार है. इसे जनता उखाड़ फेंकेंगी. उन्होंने कहा कि 2022 में जनता बसपा की सरकार बनाएगी. उन्होंने कहा कि बीजेपी को अपना नाम एजेपी कर लेना चाहिए.

नकुल दुबे से बातचीत.

मायावती के मार्गदर्शक रहे कांशीराम के बारे में जानें खास बातें

  • बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बाद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के संस्थापक कांशीराम ही थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति और समाज में एक बड़ा परिवर्तन लाने वाले की भूमिका निभाई है.
  • कांशीराम का जन्म पंजाब के एक दलित परिवार में हुआ था. उन्होंने बीएससी की पढ़ाई की. क्लास वन के अफसर भी बने. इस दौरान कांशीराम ने दलितों से जुड़े सवाल और अंबेडकर जयंती के दिन अवकाश घोषित करने की मांग उठाई.
  • वर्ष 1981 में उन्होंने दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (डीएस4) की स्थापना की. 1983 में डीएस-4 ने एक साइकिल रैली का आयोजन कर अपनी ताकत दिखाई. इस रैली में तीन लाख लोगों ने हिस्सा लिया था.
  • वर्ष 1984 में बीएसपी की स्थापना की. इस दौरान कांशीराम एक पूर्णकालिक राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता बन गए थे. उन्होंने तब कहा था कि अंबेडकर किताबें इकट्ठा करते थे, लेकिन मैं लोगों को इकट्ठा करता हूं. वह एक चिंतक भी थे और जमीनी कार्यकर्ता भी.
  • कम समय में ही बीएसपी ने यूपी की राजनीति में अपनी एक अलग छाप छोड़ी. कांशीराम का मानना था कि अपने हक के लिए लड़ना होगा, उसके लिए गिड़गिड़ाने से बात नहीं बनेगी.
  • कांशीराम मायावती के मार्गदर्शक थे. मायावती ने कांशीराम की राजनीति को आगे बढ़ाया और बसपा को राजनीति में एक ताकत के रूप में खड़ा किया. कांशीराम 2006 में मृत्यु हो गई.
  • कांशीराम की मृत्यु के 15 साल बाद भी यूपी में कांशीराम की विरासत आज भी जिंदा है. उनके नाम पर भव्य पार्क व उसमें मूर्तियां लगी हैं. सरकारी कॉलोनी बनी हैं. बसपा भी उन्हें अपने आदर्श के रूप में स्थान दिया है.
  • यूं तो व्यक्तिगत रूप से कांशीराम सादा जीवन जीते थे, लेकिन पार्टी चिंतकों के बीच इस बात को लेकर हमेशा बहस रही है कि धन-वैभव का प्रदर्शन भी दलित सशक्तिकरण का एक प्रतीक है.
    लिहाजा इसको लेकर बसपा की कई रैलियां नोटो की माला, खर्चा आदि को लेकर चर्चा में रहीं.

कांशीराम की याद में बसपा का मेगा शो

कांशीराम की याद में बसपा राजधानी में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले आज मेगा शो करेगी. इसका मकसद पार्टी संस्थापक के परिनिर्वाण दिवस के बहाने जहां अपने परंपरागत वोट को एक सूत्र में बांधना है, वहीं सोशल इंजीनियरिंग फार्मूला का ढीला पेंच कसकर विरोधियों को ताकत का अहसास कराना है. ऐसे में पूरे शहर को नीले झंडे, होर्डिंग, बैनर से पाट दिया गया है. राज्य के सभी जिलों से कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ेगी. इस दौरान बसपा प्रमुख मायावती कांशीराम को श्रद्धांजलि देंगी.

Last Updated : Oct 9, 2021, 1:44 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.