लखनऊ: राजधानी के खदरा बाजार में हिंसा के पीछे पुलिस के फेल होने की पूरी कहानी है. राज्य सरकार की तरफ से यह दावा किया गया था कि प्रदेश के सभी जिलों में धारा 144 लागू की गई है. नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में लगातार विरोध प्रदर्शन के स्वर सुनाई दे रहे थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी ओम प्रकाश सिंह और अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी को बुलाकर यह हिदायत दी थी कि स्थिति नियंत्रण में रहनी चाहिए, बावजूद इसके राजधानी लखनऊ में ही बड़ी हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं.
दफ्तर में ही मौजूद रहे पुलिस के बड़े अफसर
जब राजधानी लखनऊ के खदरा इलाके में पत्थरबाज पत्थर बरसा रहे थे, प्रदर्शन कर रहे थे, नारेबाजी कर रहे थे, उस समय बड़े अधिकारी अपने दफ्तरों में मौजूद थे. वह घटनास्थल पर नहीं पहुंचे और घटना ने कितनी बड़ी हिंसा का रूप ले लिया. अगर समय रहते पुलिस घटनास्थल पर पहुंचती और लोगों को शांत करा देती तो इतनी बड़ी घटना न होती.
सबसे बड़ा सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार इतनी संख्या में लोगों को क्यों एकजुट होने दिया गया. जबकि धारा 144 लागू थी तो इतनी बड़ी संख्या में लोग एक साथ कैसे इकट्ठा हो गए. ये तस्वीरें साफ बयां कर रही हैं कि अपनी जिम्मेदारियों से राजधानी लखनऊ के बड़े अधिकारी बचते रहे.
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प्रदर्शनकारियों ने फूंकी दो पुलिस चौकियां
थाना हसनगंज क्षेत्र की मदेयगंज पुलिस चौकी और सतखंडा पुलिस चौकी को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया गया, साथ ही कई पुलिस वाहनों में भी आग लगा दी. बड़ा सवाल यही कि अगर पुलिस पहले से सतर्क होती तो धारा 144 लागू होने के बावजूद भी इतनी तादाद में लोग एकजुट कैसे हो जाते. इससे साफ जाहिर होता है कि आखिरकार पुलिस ने पहले से डैमेज कंट्रोल क्यों नहीं किया.