लखनऊ : साइबर पुलिस टीम ने प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव के डाटा हैक कर क्रेडिट कार्ड से ठगी करने वाले मास्टरमाइंड सत्यप्रकाश (IT कंसल्टेंट) और उसके नाबालिग बेटे को गिरफ्तार कर लिया है. गोमतीनगर विस्तार निवासी सत्यप्रकाश जल जीवन मिशन में आईटी कंसल्टेंट के पद पर काम कर रहा था. प्रमुख सचिव के लैपटॉप की खराबी दूर करने के बहाने पासवर्ड मांगा था. पूर्व में अरेस्ट हुए तीन आरोपियों की मेल आईडी भी हैक कर इस करतूत को अंजाम दे रहा था. सत्यप्रकाश ने इस करतूत में नाबालिग बच्चे को भी शामिल किया था.
प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव (Principal Secretary Anurag Srivastava) व उनके परिजनों को धमकी भरा ई-मेल भेजकर रंगदारी मांगने वाले तीन युवकों को सर्विलांस की मदद से गिरफ्तार किया गया था. आरोपियों की पहचान लखनऊ के उतरेठिया बाजार के रहने वाले अमित प्रताप सिंह, रजनीश निगम, एल्डिको सौभाग्यम वृन्दावन के रहने वाले और गोमतीनगर निवासी हार्दिक खन्ना (hardik khanna) के रूप में हुई थी. पुलिस जांच में सामने आया है कि तीनों आरोपी ग्रामीण जलापूर्ति विभाग में संविदाकर्मी थे. कार्यालय में तीनों सर्वर का काम देखते थे. आरोपियों ने लखनऊ से ही उनके क्रेडिट कार्ड से खरीदारी भी की थी. विभाग की तरफ से आए कुछ डेटा से छेड़छाड़ कर आरोपियों ने प्रमुख सचिव को धमकी भरा ईमेल भेजा था. साथ ही प्रमुख सचिव और उनके परिवार के चार लोगों की मेल आईडी और डेटा हैककर सभी से बिटकॉइन में करीब 80 लाख की रंगदारी मांगी थी.
साइबर क्राइम थाने के इंस्पेक्टर मो. मुस्लिम खान (Inspector of Cyber Crime Police Station, Mohd. muslim khan) के मुताबिक मुख्य आरोपी सत्य प्रकाश मूल रूप से पटना का रहने वाला है जो लखनऊ में पार्थ अपार्टमेंट में परिवार के साथ रह रहा था. घटना को अंजाम देने के लिए बेटे की भी मदद ली. बेटे से इंटरनेट से कई साफ्टवेयर परचेज किए थे. सत्यप्रकाश ने खुद को फंसता देख 11 दिसंबर को अपनी कंसल्टेंट कंपनी के तीन कर्मचारियों अमित सिंह, रजनीश निगम और हार्दिक खन्ना को फंसाने के लिए फर्जी सुबूत तैयार किए थे औऱ उनकी गिरफ्तारी के लिए सबूत भी दे दिए थे.
इंस्पेक्टर मो. मुश्लिम खान (Inspector Mohd. muslim khan) के मुताबिक सत्य प्रकाश ने पूछताछ में बताया कि वेबसाइट से हावर्ड डॉट नेट डॉट इन नाम से डोमेन खरीदा था. साइबर क्राइम थाने की टीम ने उसके घर कार्यालय में कंप्यूटर लैपटॉप की जांच शुरू की इससे साफ हो गया कि डोमेन सत्य प्रकाश ने ही खरीदा था. धमकी वाले मेल में भेजे गए डॉक्यूमेंट की जांच हुई तो उसके सत्य प्रकाश के नाबालिग बेटे की ओर से बनाए जाने की पुष्टि हुई. पूछताछ में सत्यप्रकाश ने यह भी बताया कि उसे लगा था कि प्रमुख सचिव इतनी छोटी रकम के लिए केस नहीं कराएंगे तभी घटना को अंजाम दिया.