लखनऊ: नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों को रोडवेज बसों से पुलिस ने अन्य स्थानों तक पहुंचाने के लिए परिवहन निगम से बसे ली थीं, लेकिन इसी दौरान डीजल चोरी का खेल खेला गया. इसके बाद कोरोना के दौर में प्रवासी श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों का सहारा लिया था.
इन बसों से मुफ्त में प्रवासी श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाया गया था. इसी आपदा में रोडवेज के ड्राइवर-कंडक्टर के साथ ही अधिकारियों ने भी अवसर खोज लिया और जमकर डीजल चोरी की गई. ड्राइवर-कंडक्टरों को डीजल चोरी के आरोप में कार्रवाई झेलनी पड़ी तो वहीं अब अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तैयारी है.
5 माह तक दबाया प्रकरण
लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव कुमार बोस ने डीजल चोरी के मामलों को काफी माह तक दबाए रखे जाने के कारण कैसरबाग डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक गौरव वर्मा को जिम्मेदार माना है. उन्होंने जांच पूरी कर परिवहन निगम के एमडी को सौंप दी है. रोडवेज बसों में डीजल चोरी के मामले की जांच पूरी हो गई है. अभी तक जांच में चारबाग, कैसरबाग और उपनगरीय डिपो की बसों में डीजल चोरी हुई है.
अभी तक एमडी ने सस्पेंशन की कार्रवाई नहीं की है, लेकिन परिवहन निगम के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि कैसरबाग डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक गौरव वर्मा को सस्पेंड किया गया है. उनकी जगह अवध बस स्टेशन के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक प्रशांत दीक्षित को कैसरबाग डिपो का प्रभारी एआरएम बनाया गया है.
कई महीने पहले हुए बसों से डीजल चोरी मामले को दबाए रखा गया था. बसों में डीजल चोरी प्रकरण उस वक्त का है, जब सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को बसों से अन्य स्थानों तक पहुंचाने के लिए पुलिस ने रोडवेज से किराए पर बसें ली थीं. बिना चले ही इन बसों का डीजल खत्म कर दिया गया था.
पल्लव कुमार बोस, लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक