लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) में लेवाना होटल अग्निकांड मामले में होटल मालिक व अभियुक्त पवन अग्रवाल की अग्रिम जमानत याचिका पर शुक्रवार को बहस हुई. हालांकि समय की कमी के कारण बहस पूरी न हो पाने पर न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 17 नवंबर की तिथि नियत की है. इस दिन भी मामले में बहस जारी रहेगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने पवन अग्रवाल की अग्रिम जमानत याचिका पर दिया है. राज्य सरकार व पीड़ितों की ओर से अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा गया कि बुजुर्ग व बीमार को गंभीर मामलों में अग्रिम जमानत आवश्यक रूप से देने का कोई प्रावधान नहीं है. इसके साथ ही यह भी दलील दी गई कि अभियुक्त बहुत ही रसूखदार व्यक्ति है, जहां वह रहता है उसके चारो तरफ बड़े-बड़े नेताओं के घर हैं. उसकी पहुंच इतनी है कि उसके होटल का नक्शा मंजूर हुए बिना ही उसे फायर एनओसी प्राप्त हो गई.
सुनवाई के दौरान मामले के विवेचक भी हाजिर हुए, उन्होंने न्यायालय द्वारा पूछे जाने पर बताया कि अभियुक्त विवेचना में सहयोग नहीं कर रहा है. अभियुक्त की ओर से मुख्य रूप से दलील दी गई कि इस मामले में अभियुक्त के दो पुत्रों को पहले ही जेल भेजा जा चुका है, परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं बचा है. अभियुक्त की ओर से यह भी दलील दी गई है कि वह 75 वर्ष का है और विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित है, उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की पुलिस को कोई आवश्यकता नहीं है. वहीं, उक्त होटल का व्यवसाय चलाने में उसकी कोई भूमिका नहीं थी, सारा कारोबार उसका बेटा व भतीजा देखते थे. यह भी कहा गया कि विवेचनाधिकारी ने पूछताछ के लिए आज तक इस मामले में जेल में निरुद्ध अभियुक्तों से कोई पूछताछ नहीं की है, जिसका अर्थ है कि उनके पास पूछने के लिए कुछ नहीं है, ऐसे में पवन अग्रवाल को भी विवेचनाधिकारी सिर्फ जेल भेजना चाहते हैं और आत्मसमर्पण करने के लिए दबाव भी बनाया जा रहा है. मामले में अब 17 नवंबर को अंतिम बहस होगी.
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उल्लेखनीय है कि मामले की रिपोर्ट हज़रतगंज के एसएसआई दयशंकर द्विवेदी ने 5 सितम्बर को दर्ज कराई थी. एफआईआर में कहा गया है कि होटल लेवाना सुइट्स में आग लग गई, जिस पर पुलिसकर्मी, फायर फाइटर और एसडीआरएफ की काफ़ी मशक़्क़त के बाद आग ओर क़ाबू पाया गया. इस घटना में चार व्यक्तियो की झुलसने और दम घुटने से मौत हो गई जबकि कई लोग घायल हो गए.
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