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रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम परियोजना पकड़ेगी रफ्तार, 350 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटन को स्वीकृति

भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम काॅरिडोर के विकास को लेकर यूपी सरकार ने सार्थक कदम उठाया है. योगी सरकर द्वारा इस परियोजना के लिए 350 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटन को स्वीकृति मिल गई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 16, 2023, 11:40 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दिल्ली की गाजियाबाद और मेरठ से कनेक्टिविटी को विस्तार देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की प्रस्तावित रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर के विकास को लेकर कदम उठाया है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कुल 1306 करोड़ रुपए की लागत से इस योजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है. दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ के बीच रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम परियोजना को विकसित करने के लिए योगी सरकार ने 956 करोड़ रुपए की अवशेष धनराशि में से 350 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटन को स्वीकृति दे दी है.


इस राज्यांश के जारी होने से परियोजना के अंतर्गत लंबित कार्यों को अब गति मिल सकेगी. विशेष तौर पर गाजियाबाद व मेरठ में परियोजना के अंतर्गत कार्यों को अब नए सिरे से रफ्तार मिलेगी. योगी सरकार इस संबंध में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को धन आवंटन संबंधी आदेश जारी कर दिया है. दिल्ली-मेरठ रिजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) एक सेमी हाई स्पीड रेल कोरिडोर है. इसका अभी निर्माण चल रहा है. यह कॉरिडोर दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ को जोड़ेगा. रैपिड एक्स प्रोजेक्ट के तहत प्लान किया गया यह तीन रैपिड रेल कॉरिडोर्स में से एक है. पूरा होने पर यह देश का अपनी तरह का पहला रैपिड ट्रांजिट प्रोजेक्ट होगा. फिलहाल, इस परियोजना के तहत फेज वन स्टेज का कार्य हो रहा है. 82.15 किमी लंबी इस परियोजना की आठ मार्च 2019 को पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी. माना जा रहा है कि वर्ष 2025 तक इसकी शुरूआत हो सकती है.



मॉनिटरिंग करेगी योगी सरकार : उत्तर प्रदेश सरकार भी परियोजना के अंतर्गत होने वाले कार्यों की प्रगति की समय-समय पर समीक्षा करती रहेगी. योगी सरकार ने राज्यांश को जिन नियम व शर्तों के आधीन जारी किया है उसमें इस बात का भी जिक्र किया गया है, साथ ही राज्यांश की स्वीकृत धनराशि को एकमुश्त न आहरित कर कार्य की आवश्यकता के अनुसार उपयोग में लाया जाएगा. परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए सक्षम स्तर से तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करने के बाद ही उल्लेखित कार्यों की शुरुआत की जाएगी.

यह भी पढ़ें : रैपिड रेल मेरठ सेंट्रल स्टेशन के डायाफ़्राम वॉल निर्माण में आई तेजी, जानें कब तक पूरा होगा काम

यह भी पढ़ें : भारत की पहली रीजनल रेल सेवा को मिला 'RAPIDX' नाम, जानिए क्यों दिया गया ये नाम

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दिल्ली की गाजियाबाद और मेरठ से कनेक्टिविटी को विस्तार देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की प्रस्तावित रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर के विकास को लेकर कदम उठाया है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कुल 1306 करोड़ रुपए की लागत से इस योजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है. दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ के बीच रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम परियोजना को विकसित करने के लिए योगी सरकार ने 956 करोड़ रुपए की अवशेष धनराशि में से 350 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटन को स्वीकृति दे दी है.


इस राज्यांश के जारी होने से परियोजना के अंतर्गत लंबित कार्यों को अब गति मिल सकेगी. विशेष तौर पर गाजियाबाद व मेरठ में परियोजना के अंतर्गत कार्यों को अब नए सिरे से रफ्तार मिलेगी. योगी सरकार इस संबंध में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को धन आवंटन संबंधी आदेश जारी कर दिया है. दिल्ली-मेरठ रिजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) एक सेमी हाई स्पीड रेल कोरिडोर है. इसका अभी निर्माण चल रहा है. यह कॉरिडोर दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ को जोड़ेगा. रैपिड एक्स प्रोजेक्ट के तहत प्लान किया गया यह तीन रैपिड रेल कॉरिडोर्स में से एक है. पूरा होने पर यह देश का अपनी तरह का पहला रैपिड ट्रांजिट प्रोजेक्ट होगा. फिलहाल, इस परियोजना के तहत फेज वन स्टेज का कार्य हो रहा है. 82.15 किमी लंबी इस परियोजना की आठ मार्च 2019 को पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी. माना जा रहा है कि वर्ष 2025 तक इसकी शुरूआत हो सकती है.



मॉनिटरिंग करेगी योगी सरकार : उत्तर प्रदेश सरकार भी परियोजना के अंतर्गत होने वाले कार्यों की प्रगति की समय-समय पर समीक्षा करती रहेगी. योगी सरकार ने राज्यांश को जिन नियम व शर्तों के आधीन जारी किया है उसमें इस बात का भी जिक्र किया गया है, साथ ही राज्यांश की स्वीकृत धनराशि को एकमुश्त न आहरित कर कार्य की आवश्यकता के अनुसार उपयोग में लाया जाएगा. परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए सक्षम स्तर से तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करने के बाद ही उल्लेखित कार्यों की शुरुआत की जाएगी.

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