लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 14 सौ करोड़ से अधिक के स्मारक घोटाला मामले में पत्थर सप्लाई के ठेकेदार राम लखन सिंह की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि लोकायुक्त के रिपोर्ट के अनुसार घोटाले की रकम कई लोगों में बंटी थी, जिनमें से अभियुक्त भी एक था. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने राम लखन सिंह की अग्रिम जमानत याचिका पर पारित किया.
अपने आदेश में न्यायालय ने लोकायुक्त की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2007 एनएसई 2011 के बीच तत्कालीन प्रदेश सरकार ने लखनऊ और नोएडा में स्मारकों को बनाने का निर्णय लिया. रिपोर्ट के अनुसार इस निर्माण कार्य में बड़ी मात्रा में वित्तीय धोखाधड़ी, अनियमितता और भ्रष्टाचार हुआ, जो तत्पश्चात प्रदेश में बनी सरकार की जानकारी में आया और जांच लोकायुक्त को सौंप दी गई.
न्यायालय ने लोकायुक्त की रिपोर्ट को उद्धत करते हुए कहा कि स्मारकों के निर्माण कार्य के लिए 42 सौ 76 करोड़ रुपये से अधिक की रकम संस्तुत की गई, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री की भी मूर्तियां और तत्कालीन सत्ताधारी दल का चुनाव चिन्ह लगाया जाना था. न्यायालय ने आगे कहा कि उस समय के प्रमुख मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा निर्माण कार्य को देख रहे थे. न्यायालय ने कहा कि लोकायुक्त ने पाया कि निर्माण कार्य में 14 सौ दस करोड़ 50 लाख रुपये से अधिक की रकम का घोटाला किया गया. न्यायालय ने आगे कहा कि अभियुक्त की भूमिका मुख्य अभियुक्त की है, जो तत्कालीन मंत्रियों और अधिकारियों के साथ जनता के पैसों को लूटने में शामिल था.
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