लखनऊ: अक्सर मरीज इलाज के लिए गंभीर हालत में अस्पताल लाए जाते हैं. डॉक्टर भी उनके इलाज में अपनी पूरी जान लगा देते हैं, लेकिन फिर भी अगर मरीज की मौत हो जाती है तो यह परिजनों को काफी नागवार गुजर जाता है. ऐसे में वह अस्पताल के परिसर में तमाम ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं, जो किसी अन्य मरीज के लिए परेशानी भरा सबब हो सकता है. ऐसा बुधवार को बलरामपुर अस्पताल में देखने को मिला, जहां मरीज की मौत के बाद परिजनों ने जमकर तोड़फोड़ की.
काफी समय से चल रहा इलाज
बलरामपुर अस्पताल में मंगलवार की शाम 6 बजकर 30 मिनट पर 55 वर्षीय गीता देवी को सांस फूलने संबंधी परेशानी के चलते भर्ती कराया गया, जहां पर डॉक्टर लगातार उनकी देख-रेख कर रहे थे. चेस्ट फिजिशियन डॉक्टर आनंद गुप्ता के अनुसार इस मरीज को इससे पहले अप्रैल 2019 में यहां लाया गया था और उन्हें इंटरस्टीशियल लंग डिजीज डायग्नोसिस की गई थी. मरीज के तीमारदारों को यह बताया गया था कि यह लगातार बढ़ने वाली बीमारी है. इसलिए इसका इलाज मेडिकल कॉलेज या किसी बड़े अस्पताल में करवाना जरूरी है.
मरीज ने बरती लापरवाही
डॉ. आनंद गुप्ता के अनुसार इमरजेंसी में दी गई दवाओं को मरीज लगातार खाता रहा. इस वजह से इसका शरीर फूल गया था. मंगलवार की शाम अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें यहां जब लाया गया तो उनकी ऑक्सीजन तक नापी नहीं जा सकती थी, इतनी कम थी. मरीज की हालत के बारे में तीमारदारों को भलीभांति बता दिया गया था. इसके बावजूद जब उनकी हालत में कोई सुधार नहीं आया तो उन्होंने अस्पताल में तोड़-फोड़ शुरू कर दी.
तीमारदारों ने की तोड़फोड़
मरीज के तीमारदारों ने न केवल अस्पताल परिसर में तोड़-फोड़ की, बल्कि ऑन ड्यूटी स्टॉफ नर्स और ईएमओ के साथ भी बदतमीजी और अभद्रता की. स्टॉफ नर्स अनामिका की मानें तो मरीज के तीमारदारों ने उनके कमरे में घुसकर उन्हें भद्दी गालियां दी और उनका वीडियो शूट करने लगे.
नर्स और ईएमओ के साथ की अभद्रता
नर्स ने आगे बताया कि तीमारदारों में आईं महिलाओं ने उनका हाथ पीछे से पकड़ लिया और मरोड़ दिया. वहीं पुरुषों ने उनके साथ हाथापाई करने की कोशिश की. यही नहीं जब इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर को बुलाया गया तो परिजन उनके साथ भी बदतमीजी पर उतारू हो गए.
परिजनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी है. अस्पताल के कर्मचारियों के साथ अभद्रता करने की शिकायत भी पुलिस से की गई है.
-डॉ. राजीव लोचन, निदेशक, बलरामपुर अस्पताल
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