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लखनऊ में चलाया गया 'एनीमिया मुक्त जागरूकता अभियान'

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एनीनिया मुक्त जागरूकता अभियान चलाया गया. इस अभियान के तहत महिलाओं को एनीमिया के प्रति जागरूक किया जा रहा है.

महिलाओं को किया गया जागरूक.
महिलाओं को किया गया जागरूक.
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Published : Oct 11, 2020, 9:25 AM IST

लखनऊ: शहर के कल्ली पश्चिम पुलिस लाइन में एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत एनीमिया के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया गया. इसमें सैकड़ों की तादाद में महिला पुलिसकर्मियों ने हिस्सा लिया. यह कार्यक्रम सीमा मोदी पत्नी महेंद्र मोदी (पुलिस महानिदेशक सेवानिवृत्त) के नेतृत्व में चलाया गया.

सामान्यत: शरीर में रक्त की कमी को एनीमिया कहा जाता है. परंतु वास्तव में खून में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी को एनीमिया कहते हैं. सृजन शक्ति वेलफेयर सोसाइटी झारखण्ड, बिहार और उत्तर प्रदेश में सामाजिक कार्य, रंगमंच और विविध सांस्कृतिक कार्यों से जुड़ी है. इसकी महासचिव सीमा मोदी जो लगातार सामाजिक कार्यों के तहत एनीमिया के खिलाफ स्कूल, कॉलेज और गावों में लड़कियों और महिलाओं के लिए जागरूकता अभियान चलाती हैं.

कोरोना काल के बाद इस अभियान को आगे दिशा देते हुए वह पुलिस की ट्रेनिंग कर रही महिलाओं को जागरूक कर रही हैं. एनीमिया के कारण, निदान और पीरियड्स संबंधित बातों को समझाया. सीमा मोदी ने बताया कि एनीमिया कोई बीमारी नहीं है, लेकिन समय से जागरूक नहीं हुए तो कई बीमारियों का कारण जरूर बन जाते हैं. पूरे विश्व में 60 प्रतिशत महिलाएं और भारत में 70-80 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया रोग से ग्रसित हैं.

इस कार्यक्रम में गायनो डॉ. नूपुर ने बताया कि हीमोग्लोबिन मानव शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का मुख्य भाग होता है. यह हीमोग्लोबिन फेफड़ों में प्राप्त हुई आक्सीजन को सोख कर रक्त के माध्यम से सारे शरीर में पहुंचता है. हीमोग्लोबिन की कमी होने पर शरीर के विभिन्न अंगों जैसे- हृदय, मतिष्क, किडनी लिबर, मांसपेशियों सभी को आक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है. परिणाम स्वरुप इन सभी अंगों की कार्य कुशलता प्रभावित हो जाती है और धीरे-धीरे यह अंग शिथिल पड़ने लगते हैं.

एनीमिया के लक्षण

एनीमिया के कारण शरीर के अंगों को समुचित मात्रा में आक्सीजन नहीं मिलती और वह शिथिल होते जाते हैं. इसके परिणामस्वरुप थकान, कमजोरी, जी मिचलाना (खास तौर पर जब खड़े होते है) सांस फूलना, सीने में दर्द, त्वचा का पीला पड़ना, त्वचा पर लाल काले बिदिंयां बन जाना, शौच के साथ रक्त आना जैसे लक्षण परिलक्षित होते हैं. कई बार हाथ पैर ठण्डे हो जाना, तेजी से दिल का धड़कना, बेहोशी आना और बर्फ जैसी ठण्डी वस्तु खाने का मन करना जैसे लक्षण भी अनीमिया की ओर इंगित करते हैं.

एनीमिया से बचाव के उपाय

आवश्यकतानुसार आयरन, विटामिन बी-12 एवं फालिक एसिड की गोलियां देना इस बीमारी का उपचार है. गंभीर अवस्था होने पर इन दवाओं के इंजेक्शन का कोर्स भी दिया जाता है. अत्यन्त गंभीर अवस्था में रक्त का चढ़ाना भी आवश्यक होता है. कुछ परिस्थितियों में शरीर के अंदर किसी कारण से हुए रक्त स्राव को रोकने के लिए सर्जरी भी करनी पड़ती. सामान्य तौर पर आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे-मीट, अण्डा मछली, दालें, टोफू, सूखे मेवे, हरी पत्ती वाली सब्जियों जैसे पालक, चौथाई, आदि लेने से एनीमिया को रोका जा सकता है.

लखनऊ: शहर के कल्ली पश्चिम पुलिस लाइन में एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत एनीमिया के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया गया. इसमें सैकड़ों की तादाद में महिला पुलिसकर्मियों ने हिस्सा लिया. यह कार्यक्रम सीमा मोदी पत्नी महेंद्र मोदी (पुलिस महानिदेशक सेवानिवृत्त) के नेतृत्व में चलाया गया.

सामान्यत: शरीर में रक्त की कमी को एनीमिया कहा जाता है. परंतु वास्तव में खून में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी को एनीमिया कहते हैं. सृजन शक्ति वेलफेयर सोसाइटी झारखण्ड, बिहार और उत्तर प्रदेश में सामाजिक कार्य, रंगमंच और विविध सांस्कृतिक कार्यों से जुड़ी है. इसकी महासचिव सीमा मोदी जो लगातार सामाजिक कार्यों के तहत एनीमिया के खिलाफ स्कूल, कॉलेज और गावों में लड़कियों और महिलाओं के लिए जागरूकता अभियान चलाती हैं.

कोरोना काल के बाद इस अभियान को आगे दिशा देते हुए वह पुलिस की ट्रेनिंग कर रही महिलाओं को जागरूक कर रही हैं. एनीमिया के कारण, निदान और पीरियड्स संबंधित बातों को समझाया. सीमा मोदी ने बताया कि एनीमिया कोई बीमारी नहीं है, लेकिन समय से जागरूक नहीं हुए तो कई बीमारियों का कारण जरूर बन जाते हैं. पूरे विश्व में 60 प्रतिशत महिलाएं और भारत में 70-80 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया रोग से ग्रसित हैं.

इस कार्यक्रम में गायनो डॉ. नूपुर ने बताया कि हीमोग्लोबिन मानव शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का मुख्य भाग होता है. यह हीमोग्लोबिन फेफड़ों में प्राप्त हुई आक्सीजन को सोख कर रक्त के माध्यम से सारे शरीर में पहुंचता है. हीमोग्लोबिन की कमी होने पर शरीर के विभिन्न अंगों जैसे- हृदय, मतिष्क, किडनी लिबर, मांसपेशियों सभी को आक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है. परिणाम स्वरुप इन सभी अंगों की कार्य कुशलता प्रभावित हो जाती है और धीरे-धीरे यह अंग शिथिल पड़ने लगते हैं.

एनीमिया के लक्षण

एनीमिया के कारण शरीर के अंगों को समुचित मात्रा में आक्सीजन नहीं मिलती और वह शिथिल होते जाते हैं. इसके परिणामस्वरुप थकान, कमजोरी, जी मिचलाना (खास तौर पर जब खड़े होते है) सांस फूलना, सीने में दर्द, त्वचा का पीला पड़ना, त्वचा पर लाल काले बिदिंयां बन जाना, शौच के साथ रक्त आना जैसे लक्षण परिलक्षित होते हैं. कई बार हाथ पैर ठण्डे हो जाना, तेजी से दिल का धड़कना, बेहोशी आना और बर्फ जैसी ठण्डी वस्तु खाने का मन करना जैसे लक्षण भी अनीमिया की ओर इंगित करते हैं.

एनीमिया से बचाव के उपाय

आवश्यकतानुसार आयरन, विटामिन बी-12 एवं फालिक एसिड की गोलियां देना इस बीमारी का उपचार है. गंभीर अवस्था होने पर इन दवाओं के इंजेक्शन का कोर्स भी दिया जाता है. अत्यन्त गंभीर अवस्था में रक्त का चढ़ाना भी आवश्यक होता है. कुछ परिस्थितियों में शरीर के अंदर किसी कारण से हुए रक्त स्राव को रोकने के लिए सर्जरी भी करनी पड़ती. सामान्य तौर पर आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे-मीट, अण्डा मछली, दालें, टोफू, सूखे मेवे, हरी पत्ती वाली सब्जियों जैसे पालक, चौथाई, आदि लेने से एनीमिया को रोका जा सकता है.

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