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उतरातीं लाशें देख रो रही मानवता, कहां गयी मानवाधिकार आयोग की सजगता

नदी में उतरातीं लाशों के संबंध में मानवाधिकार आयोग के सदस्य ओपी दीक्षित कहते हैं कि अगर शिकायत हुई होती तो मानवाधिकार आयोग जरूर इस मुद्दे को संज्ञान में लेता.

कहां गयी मानवाधिकार आयोग की सजगता
कहां गयी मानवाधिकार आयोग की सजगता
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Published : May 12, 2021, 9:00 PM IST

Updated : May 14, 2021, 1:49 PM IST

लखनऊ : गाजीपुर के गहमर से लेकर बिहार में बक्सर के चौसा तक हर ओर नदी में बह रही अधजली, गली-सड़ी लाशों का अंबार देख आज मानव ही नहीं, मानवता भी रो रही है. मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार को तरस रहीं इन लाशों को आज कुत्ते नोंचकर खा रहे हैं. पर इस बीच अव्यवस्थाओं पर सवाल करने या इसकी समीक्षा करने की बजाय जिम्मेदार मौन हैं. उन्हें शिकायत का इंतजार है.

शिकायत के बाद ही होगी कार्रवाई

नदी में उतरातीं लाशों के संबंध में मानवाधिकार आयोग के सदस्य ओपी दीक्षित कहते हैं कि अगर शिकायत हुई होती तो मानवाधिकार आयोग जरूर इस मुद्दे को संज्ञान में लेता. ओपी दीक्षित बताते हैं कि इस मामले में फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता. मानवाधिकार वहीं कार्यवाही करता है जहां मानव के अधिकार का हनन होता है. इस मुद्दे में भी यदि कोई शिकायत होती तो मानवाधिकार आयोग जरूर कार्यवाही करता.

यह भी पढ़ें : जब जिंदा लोगों की बस्तियों में... मुर्दों को कंधा देने वाले नहीं मिले


अगर अपमान हुआ होगा तो जरूर होगी कार्यवाही

ओपी दीक्षित का कहना है कि अगर इस मुद्दे पर पुलिस जांच करती है और जांच में पाया जाता है कि शव को गलत मंशा से नदी में बहाया गया या अपमान किया गया तो मानवाधिकार पुलिस की जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही करेगी. कहा कि हिंदू धर्म में बहुत सारे लोग अंतिम संस्कार या तो शव को जलाकर करते हैं या फिर नदी में बहाकर. हो सकता है कोरोनावायरस की वजह से इन सभी की जान गई हो और परिजनों ने शव को जलाने की बजाय नदी में बहा दिया हो. लेकिन जब तक जांच नहीं होती, तब तक मामले को समझना थोड़ा मुश्किल होगा.

पहले से मामले की खबर

मानवाधिकार के सदस्यों को नदी में मिले शवों की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए पहले से ही थी. लेकिन उस पर संज्ञान इसलिए नहीं लिया गया क्योंकि बॉडी की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है. पुलिस को अभी भी कोई सुराग नहीं मिला है. अगर बॉडी की पहचान हो जाती और परिजन या रिश्तेदार शिकायत करते तो फिर मानवाधिकार इस पर कार्रवाई करता.

लखनऊ : गाजीपुर के गहमर से लेकर बिहार में बक्सर के चौसा तक हर ओर नदी में बह रही अधजली, गली-सड़ी लाशों का अंबार देख आज मानव ही नहीं, मानवता भी रो रही है. मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार को तरस रहीं इन लाशों को आज कुत्ते नोंचकर खा रहे हैं. पर इस बीच अव्यवस्थाओं पर सवाल करने या इसकी समीक्षा करने की बजाय जिम्मेदार मौन हैं. उन्हें शिकायत का इंतजार है.

शिकायत के बाद ही होगी कार्रवाई

नदी में उतरातीं लाशों के संबंध में मानवाधिकार आयोग के सदस्य ओपी दीक्षित कहते हैं कि अगर शिकायत हुई होती तो मानवाधिकार आयोग जरूर इस मुद्दे को संज्ञान में लेता. ओपी दीक्षित बताते हैं कि इस मामले में फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता. मानवाधिकार वहीं कार्यवाही करता है जहां मानव के अधिकार का हनन होता है. इस मुद्दे में भी यदि कोई शिकायत होती तो मानवाधिकार आयोग जरूर कार्यवाही करता.

यह भी पढ़ें : जब जिंदा लोगों की बस्तियों में... मुर्दों को कंधा देने वाले नहीं मिले


अगर अपमान हुआ होगा तो जरूर होगी कार्यवाही

ओपी दीक्षित का कहना है कि अगर इस मुद्दे पर पुलिस जांच करती है और जांच में पाया जाता है कि शव को गलत मंशा से नदी में बहाया गया या अपमान किया गया तो मानवाधिकार पुलिस की जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही करेगी. कहा कि हिंदू धर्म में बहुत सारे लोग अंतिम संस्कार या तो शव को जलाकर करते हैं या फिर नदी में बहाकर. हो सकता है कोरोनावायरस की वजह से इन सभी की जान गई हो और परिजनों ने शव को जलाने की बजाय नदी में बहा दिया हो. लेकिन जब तक जांच नहीं होती, तब तक मामले को समझना थोड़ा मुश्किल होगा.

पहले से मामले की खबर

मानवाधिकार के सदस्यों को नदी में मिले शवों की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए पहले से ही थी. लेकिन उस पर संज्ञान इसलिए नहीं लिया गया क्योंकि बॉडी की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है. पुलिस को अभी भी कोई सुराग नहीं मिला है. अगर बॉडी की पहचान हो जाती और परिजन या रिश्तेदार शिकायत करते तो फिर मानवाधिकार इस पर कार्रवाई करता.

Last Updated : May 14, 2021, 1:49 PM IST
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