लखनऊ: यूपी की राजधानी से एक बड़ी खबर सामने आई है. सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद (Amit Mohan Prasad) ट्रांसफर गड़बड़ी में हुई जांच रिपोर्ट (health department transfer investigation report) के दोषी पाए गए हैं. लेकिन सरकार की तरफ से अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी है. जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग से लेकर भाजपा संगठन और सरकार के स्तर पर तरह तरह की चर्चाएं हो रही हैं. सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तर पर निर्देश मिलने के बाद ही कार्रवाई करने के संकेत मिल रहे हैं. लेकिन, सरकार के स्तर पर कब कार्रवाई की जाएगी, इसको लेकर सस्पेंस बना हुआ है.
शासन के उच्च स्तरीय सूत्रों का कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद जांच कमेटी का गठन किया गया था. वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच करके अपनी रिपोर्ट भी भेज दी है. जांच रिपोर्ट में स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर में हुई गड़बड़ी के मामले (health department transfer 2022) में अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद को दोषी माना गया है. इसके बावजूद भी अब तक कोई उनके खिलाफ कार्रवाई तो दूर की बात है, उन्हें विभाग से हटाया भी नहीं गया है. वहीं दूसरी तरफ अमित मोहन प्रसाद के खिलाफ लोकायुक्त जांच भी तेज हो गई है. पिछले दिनों लोकायुक्त संगठन की तरफ से अमित मोहन प्रसाद को नोटिस भेजकर 28 जुलाई तक जवाब मांगा गया है.
इसके अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से स्वास्थ्य विभाग में मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति करने और फिर उसका भुगतान न होने के मामले की जांच के निर्देश चीफ सेक्रेटरी को दिए गए हैं. इन सब मामलों में अमित मोहन प्रसाद की मुश्किलें बढ़ना तय है. उधर, भाजपा सरकार और संगठन में उस मामले को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही है. लोग इस मामले में कार्रवाई न होने को लेकर शीर्ष स्तर पर चल रही खींचतान से भी जोड़ रहे हैं.
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राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ की सुशासन संबन्धी दृढ़ता संदेह से परे है. उनकी इस छवि पर आमजन को विश्वास है. वह शासन-प्रशासन संबन्धी अनियमितता को बर्दाश्त नहीं करते हैं. इसके प्रति वह जीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल करते हैं. पिछले दिनों अनेक विभागों में ट्रांसफर को लेकर आरोप लगे थे. सीएम योगी ने इस विषय को गंभीरता से लिया है.
यह ऐसा विषय नहीं है जिस पर तत्काल कार्रवाई की जा सके, क्योंकि इसी में ऐसे अनेक ट्रांसफर शासन की निर्धारित नीति के अनुरूप हुए होंगे. ऐसे में सभी को गलत मान लेना ठीक नहीं होगा. नियम का तकाजा है कि सही कार्य करने वाला दंडित ना हो. शायद इसीलिए थोड़ा समय लग रहा है. योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली से प्रदेश अवगत है. वह दोषियों के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई करते हैं, जो अन्य लोगों के लिए सबक बनती है.
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