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विधायक निधि से खरीदी गई थी मुख्तार को कोर्ट लाने वाली एंबुलेंस

पूर्वांचल के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को पंजाब के मोहाली कोर्ट में पेशी के लिए ले जाने वाली एंबुलेंस पर विवाद खड़ा हो गया है. यह एंबुलेंस विधायक निधि से खरीदी गई थी. वहीं यह एंबुलेंस जिस अस्पताल के नाम पर रजिस्टर्ड है वहां आज न तो कोई अस्पताल मौजूद है और न ही डॉक्टर है.

विधायक निधि से खरीदी गई थी मुख्तार की एंबुलेंस
विधायक निधि से खरीदी गई थी मुख्तार की एंबुलेंस
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Published : Apr 2, 2021, 2:54 AM IST

Updated : Apr 2, 2021, 11:56 AM IST

लखनऊ: पूर्वांचल के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी ने बीमार और जरूरतमंदों के लिए विधायक निधि से एंबुलेंस खरीदी थी. एंबुलेंस का बाराबंकी के आरटीओ में रजिस्ट्रेशन भी ऐसा ही कुछ बताकर मुख्तार ने कराया था. बाद में उसने मॉडिफाई करा कर एंबुलेंस को बुलेट प्रूफ बनवाया. पूर्व डीजी एके जैन ने इस पूरे मामले का खुलासा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अगर ठीक से जांच कराई तो हैरतअंगेज खुलासे होंगे.

यूपी पुलिस के पूर्व अधिकारी का बयान

पूर्व डीजी एके जैन की मानें तो एक जनप्रतिनिधि (विधायक) बीमार व जरूरतमंदों के लिए एंबुलेंस विधायक निधि से खरीद सकता है, लेकिन वह इसका इस्तेमाल खुद अपने फायदे के लिए नहीं कर सकता और ना ही एंबुलेंस के स्वरूप को परिवर्तित करा सकता है. साथ ही एंबुलेंस किसी सरकारी या निजी हॉस्पिटल के नाम ही खरीदी जा सकती है. शायद इसीलिए बाहुबली विधायक ने अपने विधानसभा क्षेत्र स्थित श्याम संजीवनी हॉस्पिटल की मालकिन अलका राय को चुना.

मुख्तार के संदेश पर भाई ने एंबुलेंस के कागजात पर किए थे साइन
मऊ जनपद में श्याम संजीवनी हॉस्पिटल की मालकिन अलका राय की मानें तो मुख्तार अंसारी हमारे विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं. उन्होंने वर्ष 2009-10 में एंबुलेंस संबंधी कागजात भेजे और कहा-उस पर साइन कर दें. बीमार लोगों की मदद के लिए एम्बुलेंस खरीद रहा हूं, जो सिर्फ किसी हॉस्पिटल के नाम ही निकल सकती है, जिस पर मेरे भाई हॉस्पिटल के डायरेक्टर ने साइन किये. यह बहुत साल पुराना मामला है. आप लोगों से इसकी जानकारी मिली है.
इसे भी पढ़ें: बाराबंकी की निजी एंबुलेंस से मोहाली कोर्ट पहुंचा मुख्तार, अलका राय ने उठाए सवाल


2015 में ही खत्म हो चुका है रजिस्ट्रेशन की मियाद

इसके अलावा बाराबंकी एआरटीओ के मुताबिक UP41 AT 7171 नंबर की जिस एंबुलेंस का इस्तेमाल मुख्तार अंसारी के लिए हुआ है, उसकी साल 2015 में ही रजिस्ट्रेशन की मियाद खत्म हो चुकी है. इसके अलावा एंबुलेंस की फिटनेस भी साल 2017 में ही एक्सपायर हो चुकी है, जबकि 20 जनवरी 2020 को इस गाड़ी के रिन्यूअल के लिए एक नोटिस भेजा गया था, जिस पर कोई जवाब न आने के बाद अब गाड़ी को सीज करने की कार्रवाई की जानी थी. बड़ा सवाल ये है कि क्या जानबूझकर मऊ के श्याम संजीवनी हॉस्पिटल के नाम से एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन कराया गया, जिससे पूरे सिस्टम को मुंह चिढ़ाया जा सके.

इसे भी पढ़ें: बाहुबली मुख्तार अंसारी को यूपी लाएंगे '100 सुपर कॉप', स्पेशल टीम में ये शामिल

श्याम हॉस्पिटल भी मौके पर नहीं

वहीं बाराबंकी में एंबुलेंस खरीदने के बाद मुख्तार अंसारी ने जिले के जिस अस्पताल और डॉक्टर का जिक्र किया वो बाराबंकी में है ही नहीं, बल्कि मऊ में है. रियलिटी चेक में पता चला कि जिस मोहल्ले रफीनगर के हॉस्पिटल श्याम और डॉक्टर अलका राय का एंबुलेंस की आरसी में जिक्र है, वह यहां है ही नहीं. मोहल्ले के स्थानीय निवासियों का कहना है कि वह लोग बचपन से ही यहां रह रहे हैं और न तो कभी यहां ऐसा कोई हॉस्पिटल था और न ही इस नाम की कोई डॉक्टर ही थीं.

लखनऊ: पूर्वांचल के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी ने बीमार और जरूरतमंदों के लिए विधायक निधि से एंबुलेंस खरीदी थी. एंबुलेंस का बाराबंकी के आरटीओ में रजिस्ट्रेशन भी ऐसा ही कुछ बताकर मुख्तार ने कराया था. बाद में उसने मॉडिफाई करा कर एंबुलेंस को बुलेट प्रूफ बनवाया. पूर्व डीजी एके जैन ने इस पूरे मामले का खुलासा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अगर ठीक से जांच कराई तो हैरतअंगेज खुलासे होंगे.

यूपी पुलिस के पूर्व अधिकारी का बयान

पूर्व डीजी एके जैन की मानें तो एक जनप्रतिनिधि (विधायक) बीमार व जरूरतमंदों के लिए एंबुलेंस विधायक निधि से खरीद सकता है, लेकिन वह इसका इस्तेमाल खुद अपने फायदे के लिए नहीं कर सकता और ना ही एंबुलेंस के स्वरूप को परिवर्तित करा सकता है. साथ ही एंबुलेंस किसी सरकारी या निजी हॉस्पिटल के नाम ही खरीदी जा सकती है. शायद इसीलिए बाहुबली विधायक ने अपने विधानसभा क्षेत्र स्थित श्याम संजीवनी हॉस्पिटल की मालकिन अलका राय को चुना.

मुख्तार के संदेश पर भाई ने एंबुलेंस के कागजात पर किए थे साइन
मऊ जनपद में श्याम संजीवनी हॉस्पिटल की मालकिन अलका राय की मानें तो मुख्तार अंसारी हमारे विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं. उन्होंने वर्ष 2009-10 में एंबुलेंस संबंधी कागजात भेजे और कहा-उस पर साइन कर दें. बीमार लोगों की मदद के लिए एम्बुलेंस खरीद रहा हूं, जो सिर्फ किसी हॉस्पिटल के नाम ही निकल सकती है, जिस पर मेरे भाई हॉस्पिटल के डायरेक्टर ने साइन किये. यह बहुत साल पुराना मामला है. आप लोगों से इसकी जानकारी मिली है.
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2015 में ही खत्म हो चुका है रजिस्ट्रेशन की मियाद

इसके अलावा बाराबंकी एआरटीओ के मुताबिक UP41 AT 7171 नंबर की जिस एंबुलेंस का इस्तेमाल मुख्तार अंसारी के लिए हुआ है, उसकी साल 2015 में ही रजिस्ट्रेशन की मियाद खत्म हो चुकी है. इसके अलावा एंबुलेंस की फिटनेस भी साल 2017 में ही एक्सपायर हो चुकी है, जबकि 20 जनवरी 2020 को इस गाड़ी के रिन्यूअल के लिए एक नोटिस भेजा गया था, जिस पर कोई जवाब न आने के बाद अब गाड़ी को सीज करने की कार्रवाई की जानी थी. बड़ा सवाल ये है कि क्या जानबूझकर मऊ के श्याम संजीवनी हॉस्पिटल के नाम से एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन कराया गया, जिससे पूरे सिस्टम को मुंह चिढ़ाया जा सके.

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श्याम हॉस्पिटल भी मौके पर नहीं

वहीं बाराबंकी में एंबुलेंस खरीदने के बाद मुख्तार अंसारी ने जिले के जिस अस्पताल और डॉक्टर का जिक्र किया वो बाराबंकी में है ही नहीं, बल्कि मऊ में है. रियलिटी चेक में पता चला कि जिस मोहल्ले रफीनगर के हॉस्पिटल श्याम और डॉक्टर अलका राय का एंबुलेंस की आरसी में जिक्र है, वह यहां है ही नहीं. मोहल्ले के स्थानीय निवासियों का कहना है कि वह लोग बचपन से ही यहां रह रहे हैं और न तो कभी यहां ऐसा कोई हॉस्पिटल था और न ही इस नाम की कोई डॉक्टर ही थीं.

Last Updated : Apr 2, 2021, 11:56 AM IST
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