लखनऊः भारत को जी-20 देशों की अध्यक्षता मिलने के उपलक्ष्य में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) में ‘संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन आठ दिसंबर को किया जाएगा. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त सामाजिक उद्यमी शरद विवेक सागर रहेंगे. बिहार ग्रामीण परिवेश से सम्बन्ध रखने वाले शरद ने मात्र 16 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल की स्थापना की. साथ ही उन्होंने भारत और दक्षिण एशिया के अन्य हिस्सों में सालाना 1.2 मिलियन से अधिक बच्चों को प्रभावित करने वाले शैक्षिक प्लेटफार्मों की स्थापना भी की है. युवा विवेकानंद के नाम से संबोधित होने वाले शरद का नाम मात्र 24 वर्ष की आयु में ग्लोबल फोर्ब्स अंडर 30 लिस्ट में शामिल हो गया था. शरद हार्वर्ड विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
एकेटीयू में गौ ऐप और गौमूत्र से हाइड्रोजन बनाने का डेमो 9 को : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र और आईआईएम अहमदाबाद के प्रो. अमित गर्ग के मार्गदर्शन में इंडियन बायोगैस एसोसिएशन व टेक मशीनरी लैब ने मिलकर गौ ऐप बनाया है. इस ऐप और गोमूत्र से बायो हाइड्रोजन बनाने का डेमो नौ दिसंबर शुक्रवार को किया जाएगा. गाय आधारित उन्नति यानी गौ ऐप पर गोवंश की पूरी जानकारी रहेगी. फेस बायोमेट्रिक की तरह गोवंश के चेहरे से उनकी पहचान ऐप के जरिये होगी. फिलहाल लखनऊ के कान्हा उपवन की कुछ गायों का डाटा इस ऐप में दर्ज है. डेमो कार्यक्रम में गौशाला चलाने वाले, पशुओं के लिए चारा उपलब्ध कराने वाले, किसान सहित अन्य लोग ऐप के बारे में जानेंगे. पूरी टीम ने गाय आधारित उन्नति का एक वैज्ञानिक मॉडल भी प्रस्तुत किया है, जिसका शोध पत्र इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद के प्रतिष्ठित वर्किंग पेपर में प्रकाशित हो चुका है.
इंडियन बायोगैस एसोसिएशन (Indian Biogas Association) के सहयोग से टेक मशिनरी लैब के निशांत कृष्णा और उनकी टीम ने मिलकर गौ ऐप बनाया है. इस ऐप में गोवंश की पूरी डिटेल रहेगी. इसकी शुरूआत कान्हा उपवन गोशाला की 5 सौ गायों से किया गया है. यहां की गायों की पूरी डिटेल इस ऐप पर है. साथ ही ऐप में गायों को दान देने वालों को भी जोड़ा जाएगा. ऐप के जरिये दानदाता ये भी जान पाएंगे कि उनका पैसा सही जगह खर्च हो रहा है कि नहीं. गायों की सेहत की निगरानी भी ऐप के जरिये संभव होगी. कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र का कहना है कि गाय आधारित अर्थव्यवस्था को बनाना जरूरी है. इससे रोजगार बढ़ेगा तो बेसहारा जानवरों को भी चारा पानी की व्यवस्था हो सकेगी.
कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र (Vice Chancellor Prof. Pradeep Kumar Mishra) ने बताया कि इस मॉडल के प्रयोग में आने से पर्यावरण को भी फायदा मिलेगा. गोशालाओं से निकलने वाले गोबर से खाद बनेगी तो मूत्र से आयुर्वेदिक दवा बनाने के साथ ही बायो हाइड्रोजन बनाने का भी प्रयास हो रहा है. इसका फायदा पर्यावरण को होगा. इंडियन बायो गैस एसोसिएशन के चेयरमैन गौरव केडिया का कहना है कि उर्जा के स्रोत खत्म हो रहे हैं, ऐसे में जरूरी है कि उर्जा के लिए नए विकल्प की तलाश की जाए. इसी को ध्यान में रखते हुए हम गौ मूत्र से बायो हाइड्रोजन बनाने का प्रयास कर रहे हैं. आईआईएम अहमदाबाद के अमित गर्ग भी इस नई पहल में अपना योगदान दे रहे हैं. वहीं इस ऐप का एक फायदा ये भी होगा कि लोग अपने पालतू जानवरों को बेसहारा नहीं छोड़ पाएंगे, क्योंकि इस ऐप में पशुओं का पूरा ब्योरा फोटो के साथ डालने के सुविधा होगी. इसके बाद दोबारा ऐप पर पशुओं की फोटो डालने पर पता चल जाएगा कि उक्त पशु का मालिक कौन है.
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