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नए कॉरिडोर के निर्माण के साथ ही सरकार पर्यावरण मानकों को लेकर भी सजग

प्रदेश सरकार औद्योगिक विकास के साथ ही यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि औद्योगिक गतिविधियों के चलते कहीं पर्यावरण को कोई नुकसान तो नहीं पहुंच रहा है. डिफेंस कॉरिडोर और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए सरकार ने एक वृहद योजना बनाई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 16, 2023, 10:31 AM IST

Updated : Sep 16, 2023, 11:23 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार प्रदेश में नए कॉरिडोर तो बना ही रही है, साथ ही सरकार प्रबंध कर रही है कि इन कॉरिडोर्स को प्रदूषण मुक्त भी रखा जाए. यही कारण है कि डिफेंस कॉरिडोर और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए सरकार ने वृहद योजना बनाई है. प्रदूषण की स्थिति की नियमित मॉनीटरिंग के लिए सरकार ने कुछ संस्थाओं से आवेदन मांगे थे. इन संस्थान के मध्यम से एयर क्वालिटी, नॉइज, ग्राउंड वॉटर क्वालिटी, स्वॉयल क्वालिटी और ग्राउंड वॉटर लेवल मैनेजमेंट पर लगातार निगाह रखी जा सकेगी. सरकार के इस कदम से पता चलता है कि वह पर्यावरण और अपने नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति कितनी सजग और चौकन्नी है.




मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि लखनऊ, अलीगढ़, कानपुर आदि शहरों से होकर गुजरने वाला डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर एयर क्वालिटी, नॉइज क्वॉलिटी, ग्राउंड वॉटर क्वालिटी जैसे पर्यावरण से जिले विषयों के प्रति सजग रहें और इसकी सुरक्षा के लिए नियमित रूप से जरूरी कदम भी उठाए जाते रहे. इसे लेकर उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण यानी यूपीडा इन मानकों की नियमित मॉनिटरिंग के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण एवं संशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड, वन एवं पर्यावरण व जलवायु मंत्रालय और केंद्रीय जल वायु मंत्रालय के साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संबंधित लेबोरेटरी से टेंडरिंग प्रक्रिया के अंतर्गत आवेदन मांगे गए थे. आवेदन की अवधि अब पूरी हो गई है और सरकार इस दिशा में आगे कदम बढ़ाने वाली है. इन संस्थानों में चयनित लेबोरेटरी को पर्यावरण संबंधी उपरोक्त सभी मानकों की निगरानी का जिम्मा सौंपा जाएगा.




यह लैब्स न केवल लखनऊ, कानपुर व अलीगढ़ में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में एयर क्वॉलिटी, नॉइज, ग्राउंड वॉटर क्वॉलिटी, सॉयल क्वॉलिटी व ग्राउंड वॉटर लेवल मेजरमेंट जैसे पैरामीटर्स की रेगुलर मॉनिटरिंग करेंगी, बल्कि इसकी समय-समय पर रिपोर्ट भी देती रहेंगी. लैब्स द्वारा एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग में पार्टिकुलेट मैटर्स (पीएम-10 व पीएम-25), सल्फर डाईऑक्साइड (एसओटू) व एनओएक्स (नाइट्रोजन डाईऑक्साइड व अन्य नाइट्रस कॉम्पोनेंट्स) की 24 घंटे मॉनिटरिंग की जाएगी. वहीं, दिन और रात के आधार पर ध्वनि प्रदूषण के स्तर को भी मापा जाएगा. इसके अतिरिक्त, जल व भूजल प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए एसिडिटी, एल्केलेनिटी, अल्यूमिनियम, आर्सेनिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी), बाइकार्बोनेट, कैल्शियम कार्बोनेट, क्लोराइड, क्रोमियम, कॉपर, आयरन, लेड, मैग्नीशियम, मैंगनीज, निकेल, नाइट्रोजन कंपाउंड्स, सल्फेट्स, सोडियम व जिंक जैसे एलिमेंटल पैरामीटर्स की मॉनिटरिंग होगी, वहीं, मृदा यानी सॉयल क्वॉलिटी की टेस्टिंग के लिए अमोनिया, बाइकार्बोनेट्स, बोरोन, कैल्शियम, कैल्शियम कार्बोनेट, क्लोराइड, कलर, इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी, मैग्नीशियम, नाइट्रेट्स, नाइट्राइट्स, पेस्टीसाइड पीएच, फॉस्फेट्स, सोडियम, पोटैशियम, कैडमियम, मैंगनीज, कोबाल्ट व सॉयल सैंपल की एसएआर वैल्यू प्रमुख फैक्टर्स रहेंगे जिनकी मॉनिटरिंग प्रदूषण बोर्ड्स से निर्धारित मानकों के अनुरूप ही की जाएगी.

यह भी पढ़ें : यूपी के 25 जिलों में डीएम बदलने की तैयारी, जानिए कैसे सीएम योगी ले रहे अफसरों की फीडबैक

यह भी पढ़ें : फिरोजाबाद में बिना सूचना गैरहाजिर दो चिकित्सा शिक्षक बर्खास्त

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार प्रदेश में नए कॉरिडोर तो बना ही रही है, साथ ही सरकार प्रबंध कर रही है कि इन कॉरिडोर्स को प्रदूषण मुक्त भी रखा जाए. यही कारण है कि डिफेंस कॉरिडोर और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए सरकार ने वृहद योजना बनाई है. प्रदूषण की स्थिति की नियमित मॉनीटरिंग के लिए सरकार ने कुछ संस्थाओं से आवेदन मांगे थे. इन संस्थान के मध्यम से एयर क्वालिटी, नॉइज, ग्राउंड वॉटर क्वालिटी, स्वॉयल क्वालिटी और ग्राउंड वॉटर लेवल मैनेजमेंट पर लगातार निगाह रखी जा सकेगी. सरकार के इस कदम से पता चलता है कि वह पर्यावरण और अपने नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति कितनी सजग और चौकन्नी है.




मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि लखनऊ, अलीगढ़, कानपुर आदि शहरों से होकर गुजरने वाला डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर एयर क्वालिटी, नॉइज क्वॉलिटी, ग्राउंड वॉटर क्वालिटी जैसे पर्यावरण से जिले विषयों के प्रति सजग रहें और इसकी सुरक्षा के लिए नियमित रूप से जरूरी कदम भी उठाए जाते रहे. इसे लेकर उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण यानी यूपीडा इन मानकों की नियमित मॉनिटरिंग के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण एवं संशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड, वन एवं पर्यावरण व जलवायु मंत्रालय और केंद्रीय जल वायु मंत्रालय के साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संबंधित लेबोरेटरी से टेंडरिंग प्रक्रिया के अंतर्गत आवेदन मांगे गए थे. आवेदन की अवधि अब पूरी हो गई है और सरकार इस दिशा में आगे कदम बढ़ाने वाली है. इन संस्थानों में चयनित लेबोरेटरी को पर्यावरण संबंधी उपरोक्त सभी मानकों की निगरानी का जिम्मा सौंपा जाएगा.




यह लैब्स न केवल लखनऊ, कानपुर व अलीगढ़ में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में एयर क्वॉलिटी, नॉइज, ग्राउंड वॉटर क्वॉलिटी, सॉयल क्वॉलिटी व ग्राउंड वॉटर लेवल मेजरमेंट जैसे पैरामीटर्स की रेगुलर मॉनिटरिंग करेंगी, बल्कि इसकी समय-समय पर रिपोर्ट भी देती रहेंगी. लैब्स द्वारा एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग में पार्टिकुलेट मैटर्स (पीएम-10 व पीएम-25), सल्फर डाईऑक्साइड (एसओटू) व एनओएक्स (नाइट्रोजन डाईऑक्साइड व अन्य नाइट्रस कॉम्पोनेंट्स) की 24 घंटे मॉनिटरिंग की जाएगी. वहीं, दिन और रात के आधार पर ध्वनि प्रदूषण के स्तर को भी मापा जाएगा. इसके अतिरिक्त, जल व भूजल प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए एसिडिटी, एल्केलेनिटी, अल्यूमिनियम, आर्सेनिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी), बाइकार्बोनेट, कैल्शियम कार्बोनेट, क्लोराइड, क्रोमियम, कॉपर, आयरन, लेड, मैग्नीशियम, मैंगनीज, निकेल, नाइट्रोजन कंपाउंड्स, सल्फेट्स, सोडियम व जिंक जैसे एलिमेंटल पैरामीटर्स की मॉनिटरिंग होगी, वहीं, मृदा यानी सॉयल क्वॉलिटी की टेस्टिंग के लिए अमोनिया, बाइकार्बोनेट्स, बोरोन, कैल्शियम, कैल्शियम कार्बोनेट, क्लोराइड, कलर, इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी, मैग्नीशियम, नाइट्रेट्स, नाइट्राइट्स, पेस्टीसाइड पीएच, फॉस्फेट्स, सोडियम, पोटैशियम, कैडमियम, मैंगनीज, कोबाल्ट व सॉयल सैंपल की एसएआर वैल्यू प्रमुख फैक्टर्स रहेंगे जिनकी मॉनिटरिंग प्रदूषण बोर्ड्स से निर्धारित मानकों के अनुरूप ही की जाएगी.

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Last Updated : Sep 16, 2023, 11:23 AM IST
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