लखनऊ: अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन के आवंटन को चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल कर आवंटन को रद करने की मांग की गई है. इस याचिका पर 8 फरवरी को अदालत में सुनवाई हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट के 7 नवंबर 2019 के निर्णय के अनुसार धन्नीपुर में मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड को जमीन आवंटित की गई है. याचीगण रानी कपूर पंजाबी और रमा रानी पंजाबी ने खुद को इस जमीन का मालिक बताया है.
क्या है विवाद
याचिका रानी कपूर पंजाबी व रमा रानी पंजाबी की ओर से बुधवार को दाखिल की गई है. याचियों का कहना है कि बंटवारे के समय उनके माता-पिता पाकिस्तान के पंजाब से आए थे. वे फैजाबाद (अब अयोध्या) जनपद में ही बस गए. उनके पिता ज्ञान चंद्र पंजाबी को 15 सौ 60 रुपये में पांच साल के लिए ग्राम धन्नीपुर, परगना मगलसी, तहसील सोहावल, जनपद फैजाबाद में लगभग 28 एकड़ जमीन का पट्टा दिया गया. 5 साल बाद भी उक्त जमीन याचियों के परिवार के ही उपयोग में रही और याचियों के पिता का नाम आसामी के तौर पर उक्त जमीन से सम्बंधित राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हो गया.
मुकदमा जो अब तक है विचाराधीन
वर्ष 1998 में सोहावल एसडीएम द्वारा उनके पिता का नाम उक्त जमीन से सम्बंधित रिकॉर्ड से हटा दिया गया, जिसके खिलाफ याचियों की मां ने अपर आयुक्त के यहां लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और उनके पक्ष में फैसला हुआ. हालांकि चकबंदी के दौरान पुनः उक्त जमीन के राजस्व रिकॉर्ड को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ और चकबंदी अधिकारी के आदेश के खिलाफ बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के समक्ष मुकदमा दाखिल किया गया जो अब तक विचाराधीन है.
याचियों का कहना है कि उक्त जमीन के संबंध में मुकदमा अब तक विचाराधीन होने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा इसी जमीन में से 5 एकड़ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को आवंटित कर दिया गया है. याचियों ने आवंटन और उसके पूर्व की संपूर्ण प्रक्रिया को चुनौती दी है.
नवंबर में तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मत फैसले में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि की डिक्री 'राम लला विराजमान' के पक्ष में की थी. इसके साथ ही राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ हो गया. उन्होंने इसके साथ ही अयोध्या में ही मस्जिद निर्माण के लिए उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया था.