लखनऊ : बाराबंकी के रामसनेही घाट तहसील परिसर में बनाई गई कथित अवैध मस्जिद को गिराने के मामले में तत्कालीन एसडीएम दिव्यांशु पटेल को हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच राहत मिली है. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया एसडीएम के खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवमानना का मामला नहीं बनत. हालांकि न्यायालय ने रामसनेही घाट के थाना प्रभारी सच्चिदानंद राय के खिलाफ प्रथम दृष्टया अवमानना का मामला पाते हुए उन्हें नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी.
'आदेश के बावजूद मस्जिद को गिरा दिया'
यह आदेश न्यायमूर्ति रविनाथ तिलहरी की एकल पीठ ने लखनऊ की टीले वाली मस्जिद के सह-मुतव्वली वसीफ हसन और गिराई गई मस्जिद में नमाज अदा करने वाले एक व्यक्ति की अवमानना याचिका पर पारित किया. याचियों की ओर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बहस की. उन्होंने दलील दी कि कोविड महामारी के कारण इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 24 अप्रैल 2021 को एक आदेश जारी करते हुए, कहा था कि जिन मामलों में किसी निर्माण को गिराने का आदेश दिया गया है उस पर 31 मई 2021 तक अमल न किया जाए. सिब्बल ने आरोप लगाया कि आदेश के बावजूद एसडीएम और एसएचओ ने 17 मई 2021 को मस्जिद को गिरा दिया.
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याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि एसडीएम ने मस्जिद के खिलाफ 3 अप्रैल 2021 को आदेश पारित किया था, जबकि याचियों द्वारा 24 अप्रैल 2021 के आदेश की अवमानना की दलील दी जा रही है. न्यायालय ने कहा कि ऐसे में एसडीएम के खिलाफ अवमानना का प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है. वहीं न्यायलाय ने आगे कहा कि 3 अप्रैल 2021 के एसडीएम के आदेश का अनुपालन 17 मई 2021 को किया गया अर्थात हाईकोर्ट के 24 अप्रैल 2021 के आदेश के बाद लिहाजा प्रथम दृष्टया रामसनेही घाट एसएचओ के खिलाफ अवमानना की नोटिस जारी की जाए.