लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ताजमहल के संबंध में दाखिल याचिका को खारिज कर दी है. न्यायालय ने याचिका को पोषणीय न मानते हुए खारिज किया है. न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यह आदेश डा रजनीश कुमार सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया है. न्यायालय ने कहा कि याचिका मे जो मांग की गई है, उन्हें न्यायिक कार्यवाही में तय नहीं किया जा सकता. न्यायालय ने आगे कहा कि ताजमहल के संबंध में यह रिसर्च एकेडमिक कार्य है, न्यायिक कार्यवाही में इसका आदेश नहीं दिया जा सकता. न्यायालय ने याचिका में उठाए गए विषयों व प्रार्थना को न्यायालय ने पोषणीय नहीं माना है. कोर्ट ने कहा कि ताजमहल किसने बनवाया, जाओ पहले पढ़ो, पीएचडी करो. PIL का दुरुपयोग न करें.
इससे पूर्व न्यायालय ने मामले में दोनों पक्षों को अपने-अपने केस के समर्थन में नजीरें पेश करने को कहा था. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय ने क्षेत्राधिकार को लेकर व याचिका के जनहित याचिका के तौर पर न दाखिल करने पर याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाए थे. वहीं, न्यायालय ने भी बहस के दौरान याची के अधिवक्ता से पूछा कि जो प्रश्न इस याचिका में उठाया गया है, वह हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 226 में कैसे तय कर सकती है.
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गौरतलब है कि ताजमहल के बंद 22 कमरों को खोलने को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई मंगलवार को टल गई थी. अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई नहीं हो सकी. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में ताजमहल में बंद पड़े 22 कमरों को खोलकर जांच के आदेश की मांग की थी. याचिकाकर्ता का दावा है कि बंद कमरों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और शिलालेख मौजूद हैं.
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