लखनऊः अपने खिलाफ बैठाई गई जांच से नाराज होकर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के कुलपति प्रो. पीके मिश्रा ने अपने पद से मंगलवार को इस्तीफा (AKTU Vice Chancellor Prof PK Mishra resigned) दे दिया. इसके बाद राजभवन ने बिना देरी किए रात तक उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया. चार दिन पहले चार फरवरी को उनके खिलाफ अनियमितताओं को लेकर राजभवन जांच बैठा दी थी और डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय से अटैच कर दिया गया था. प्रोफेसर पीके मिश्रा के इस्तीफे के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय को अगले कुलपति के नियुक्त होने तक विश्वविद्यालय के कार्यभार देखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
गौरतलब है कि एकेटीयू के पूर्व कुलपति प्रो.विनय पाठक पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के बाद एकेटीयू में एक दूसरे के विरुद्ध आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. बीते दिनों तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रो.अनुराग त्रिपाठी ने कुलपति के विरुद्ध राजभवन में शिकायत की थी. वहीं, आईईटी के तत्कालीन निदेशक प्रो. विनीत कंसल का नाम भी भ्रष्टाचार के आरोप में आने के बाद कुलपति ने उन्हें पद से हटा दिया था. इसके बाद से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी था. इस मामले में कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा का कहना था कि परीक्षा विभाग में पहले जो कंपनी काम कर रही थी.
उसके खिलाफ एसटीएफ की जांच शुरू होने के बाद विश्वविद्यालय का परीक्षा संबंधित सभी काम ठप हो गया था. ऐसे में विश्वविद्यालय के रिजल्ट जा कराने व नई कंपनी के चयन होने तक 3 महीने के लिए एक कंपनी का चयन कर परीक्षा परिणाम तैयार करवा कर जारी किया गया था. कुलपति ने बताया कि इसी पूरी कार्रवाई की शिकायत पूर्व परीक्षा नियंत्रक अनुराग त्रिपाठी ने राजभवन से किया था. इसके बाद शनिवार को राजभवन ने जांच बैठा दी थी. इसके चार दिन बाद कुलपति प्रो. पीके मिश्रा ने अपने पद से मंगलवार को इस्तीफा दे दिया. राजभवन ने उनका इस्तीफा रात में स्वीकार कर लिया है. इसकी पुष्टि खुद प्रो. पीके मिश्रा ने की.
अपनी सत्यनिष्ठा व ईमानदारी पर कोई शक नहीं: इस्तीफा मंजूर होने के बाद मोबाइल पर बात करते हुए प्रो. पीके मिश्रा ने कुलाधिपति द्वारा बैठाई गई जांच पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी पर कोई संदेह नहीं है. शायद लखनऊ के मिजाज से अपने मिजाज को तालमेल नहीं बैठा पाए.