लखनऊ: लॉकडाउन के दौरान शिक्षण संस्थानों के बंद होने की वजह से ऑनलाइन एजुकेशन ही विद्यार्थियों का सहारा है, लेकिन इंटरनेट सुविधा से वंचित विद्यार्थियों के लिए सरकार ने टेलीविजन शैक्षिक प्रसारण की शुरुआत की है. राजधानी लखनऊ के कई शिक्षक इन दिनों शैक्षिक वीडियो तैयार करने के लिए हर रोज कई घंटे स्टूडियो में बिता रहे हैं. सरकार की कोशिश है कि लॉकडाउन के दौरान भी टेलीविजन के माध्यम से विद्यार्थियों को 15 से 20 फीसदी पाठ्यक्रम का अध्ययन पूरा कराना है.
टीचर रिकॉर्ड कर रहे स्टडी मटेरियल
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में डिजिटल एजुकेशन का हब बनकर उभरा है. कोरोना वायरस वैश्विक महामारी की वजह से जब सारे स्कूल कॉलेज बंद हैं, तब एकेटीयू के स्टूडियो में हर रोज बड़ी तादाद में शिक्षक पहुंचकर अपने संबंधित विषय के शैक्षिक कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से वर्चुअल क्लासरूम जैसी अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करने की कोशिश की गई है. इसके लिए विश्वविद्यालय परिसर में स्थित आर्यभट्ट शैक्षिक स्टूडियो में शैक्षिक सामग्री तैयार की जा रही है.
कुलपति ने बताया कि अब तक लगभग 90 घंटे के शैक्षिक सामग्री ऑडियो विजुअल के माध्यम से तैयार की जा चुकी है. विभिन्न शिक्षण संस्थान, बोर्ड और परिषद की ओर से मिले शैक्षिक पाठ्यक्रम को तैयार करने के लिए विश्वविद्यालय की अपनी टीम भी लगी हुई है. विश्वविद्यालय के सलाहकार दिनेश पाठक की अगुवाई में शिक्षकों की टीम पाठ्यक्रम को लेकर पहले विचार-विमर्श करती है और उसके ऑडियो वीडियो प्रारूप को तैयार करती है.
विश्वविद्यालय के शैक्षिक स्टूडियो में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विभाग के लगभग 28 घंटे के शैक्षिक कार्यक्रम तैयार किए गए हैं. प्राविधिक शिक्षा निदेशालय के भी लगभग 28 घंटे के ही शैक्षिक ऑडियो विजुअल व्याख्यान की रिकॉर्डिंग की जा रही है.
कार्यक्रम तैयार करने पहुंचे शिक्षकों ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि इस तरह का प्रयोग बेहद प्रभावशाली है क्योंकि यह विद्यार्थियों को कक्षा का सजीव अनुभव कराने में सक्षम है. गणित, इतिहास ,नागरिक शास्त्र और कंप्यूटर साइंस जैसे विषय भी ऑडियो-वीडियो माध्यम से तैयार कराए जा रहे हैं.