लखनऊ : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के फार्मेसी विभाग ने कई तरह की दवाओं में प्रयोग होने वाले केमिकल ऑक्सडायजोल को बनाने के लिए खास तरह की डिवाइस बनाई है. यह डिवाइस इस केमिकल को आसानी से बनाने में सफल है. फिलहाल इस डिवाइस के डिजाइन को पेटेंट डिपार्टमेंट की ओर से रजिस्टर्ड करा लिया गया है. एकेटीयू फार्मेसी विभाग को शुरू हुए करीब 2 साल ही हैं. ऐसे में विभाग की ओर से इस तरह के आविष्कारों विश्वविद्यालय के नाम पर पेटेंट होना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि फार्मा इंडस्ट्री में किसी भी नई दवा का कंपाउंड तैयार करने के लिए जो मशीन में प्रयोग में आती हैं. वह काफी महंगी हैं. ऐसे में विश्वविद्यालय के फार्मेसी डिपार्टमेंट की ओर से इस तरह के आविष्कारों से फार्मा क्षेत्र में काफी क्रांतिकारी बदलाव आ सकते हैं.
छह महीने की रिसर्च के बाद तैयार हुई मशीन : एकेटीयू के फार्मेसी विभाग के एचओडी प्रोफेसर आकाश वेद ने बताया कि केमिकल ऑक्सडायजोल तैयार करने के लिए बहुत सी कंपनियों की ओर से डिवाइस मार्केट में पहले से ही उपलब्ध हैं. बाजार में उपलब्ध मशीन काफी कॉम्प्लिकेटेड और महंगी हैं. केमिकल ऑक्सडायजोल कई तरह की बीमारियों की दवा बनाने में प्रयोग किया जाता है. ऐसे में इस केमिकल के कंपोनेंट तैयार करने के लिए बाजार में मौजूद सभी डिवाइसों पर रिसर्च करने के बाद विश्वविद्यालय ने अपने प्रयोगशाला में अपनी तरफ से एक मशीन को तैयार की गई है. इस मशीन में केमिकल ऑक्सडायजोल प्रोसेस करने की पूरी प्रक्रिया को देखा गया. जिसमें पाया गया कि विश्वविद्यालय की ओर से तैयार की डिवाइस मार्केट में उपलब्ध अदर डिवाइस से जल्दी और कम खर्च में केमिकल को तैयार कर देती है.
डॉ. आकाश वेद ने बताया कि यह डिवाइस केमिकल बनाने के लिए जरूरी सभी मानकों को पूरा करने में सक्षम है. इसे फार्मा कंपनियां दवा बनाने के लिए इस डिवाइस के प्रयोग से कई तरह की दवाओं में प्रयोग होने वाला केमिकल आसानी से बन जाएगा. अगर कोई भी कंपनी इस डिवाइस की मैन्युफैक्चरिंग करने के लिए हमसे हमारा पैटर्न मांगता है तो उसे एक पैटर्न पर यह डिवाइस का डिजाइन मुहैया कराया जाएगी. इस डिवाइस से बनने वाले केमिकल का प्रयोग टीबी व संक्रामक बीमारियों में बनने वाले दबाव के मुख्य केमिकल ऑक्सडायजोल को तैयार करने में प्रभावी है. इससे इन दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग में आने वाले कोस्ट को कड़ी 15 से 20% तक कम किया जा सकता है.
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