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सपा सरकार बनी तो 'यादववाद' पर अंकुश लगाएंगे अखिलेश! ये है सपा का एक्शन प्लान - यूपी विधानसभा चुनाव पहला चरण

यूपी में यादववाद को खत्म करने के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (akhilesh yadav samajwadi party) ने एक बड़ा प्लान तैयार किया है. सपा के सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव ने इस यादववाद के आरोप से बचने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है. सपा की सरकार (samajwadi party sarkar) बनने पर अखिलेश यादव यादववाद पर पूरी तरह से अंकुश लगाएंगे.

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अखिलेश यादव
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Published : Feb 10, 2022, 4:03 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में साल 2012 से लेकर 2017 तक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (akhilesh yadav samajwadi party) के नेतृत्व वाली सरकार थी. उस वक्त सपा की सरकार (samajwadi party sarkar) में यादववाद हावी होने के तमाम आरोप लगे. थानों से लेकर महत्वपूर्ण पदों पर यादव बिरादरी के लोगों को ही बैठाया गया था. सरकार के इस रवैये को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे.

यह आरोप बीजेपी और कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी लगाए गए कि सपा की सरकार में मुस्लिम तुष्टीकरण खासकर यादव बिरादरी को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है और थानों से लेकर तहसीलों तक और जिलाधिकारियों से लेकर पुलिस कप्तानों के पद पर अधिसंख्य रूप से यादव जाति के अधिकारी तैनात रहे हैं. इसको लेकर सपा को भारी नुकसान भी उठाना पड़ा.

समाजवादी पार्टी के सूत्र बताते हैं कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस यादववाद के आरोप से बचने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है. सपा की सरकार बनने पर अखिलेश यादव यादववाद पर पूरी तरह से अंकुश लगाएंगे और मेरिट के आधार पर महत्वपूर्ण पदों पर अफसरों की भर्ती निकालेंगे, जिससे किसी भी प्रकार का कोई सवाल न उठे और राजनीतिक दलों की तरफ से उन पर इस तरह के आरोप न लगाए जा सकें.

समाजवादी पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया कि इस मुद्दे को लेकर अखिलेश यादव ने काफी चिंतन-मनन किया है और उन्हें यह मालूम है कि कुछ हद तक इस आरोप में सच्चाई भी रही है कि उनकी सरकार के दौरान यादववाद काफी हावी रहा. अब इस पर पूरी तरह से अंकुश लगाने को लेकर उन्होंने न सिर्फ रणनीति बनाई है, बल्कि इसको लेकर एक एक्शन प्लान भी तैयार किया है.

यह भी पढ़ें: UP Vidhan Sabha Election 2022 Live: मंत्री श्रीकांत शर्मा समेत इन वीआईपी की सीटों का हाल भी जान लीजिए....

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अखिलेश यादव ने एक कोर ग्रुप भी बनाया है, जिसके माध्यम से सरकार बनने पर महत्वपूर्ण पदों पर किस जाति के अफसरों की तैनाती होनी है, उसको लेकर एक पूरी रिपोर्ट तैयार की जाएगी और फिर समाज के सभी वर्ग से संबंधित अफसरों को तैनात करने का काम किया जाएगा.

इसके साथ ही तहसील से लेकर थाने तक और अन्य सभी महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती को लेकर शासन स्तर पर एक मॉनिटरिंग कमेटी गठित की जाएगी, जिन कार्यकर्ताओं और नेताओं की तरफ से महत्वपूर्ण पदों पर अफसरों की तैनाती को लेकर सिफारिश पत्र आएंगे, जिसके बाद उसकी पूरी छानबीन करते हुए और सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व को संतुलित करते हुए पोस्टिंग दिए जाने का काम किया जाएगा. अगर किसी एक जाति विशेष के अफसरों की ज्यादा पोस्टिंग की सिफारिश आएगी तो उस पर विराम लगाया जाएगा और समाज के सभी वर्गों के अफसरों को बराबर-बराबर सभी महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती दी जाएगी, जिससे किसी भी प्रकार के सवाल ना उठाए.

उधर, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे में भी एक तरफ जहां अपने परिवार को दूर रखा है, वहीं समाज के सभी वर्गों से जुड़े नेताओं को बराबर टिकट देने की कोशिश की है, जिससे जातीय समीकरण और सामाजिक समीकरण बेहतर किए जा सके.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में साल 2012 से लेकर 2017 तक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (akhilesh yadav samajwadi party) के नेतृत्व वाली सरकार थी. उस वक्त सपा की सरकार (samajwadi party sarkar) में यादववाद हावी होने के तमाम आरोप लगे. थानों से लेकर महत्वपूर्ण पदों पर यादव बिरादरी के लोगों को ही बैठाया गया था. सरकार के इस रवैये को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे.

यह आरोप बीजेपी और कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी लगाए गए कि सपा की सरकार में मुस्लिम तुष्टीकरण खासकर यादव बिरादरी को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है और थानों से लेकर तहसीलों तक और जिलाधिकारियों से लेकर पुलिस कप्तानों के पद पर अधिसंख्य रूप से यादव जाति के अधिकारी तैनात रहे हैं. इसको लेकर सपा को भारी नुकसान भी उठाना पड़ा.

समाजवादी पार्टी के सूत्र बताते हैं कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस यादववाद के आरोप से बचने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है. सपा की सरकार बनने पर अखिलेश यादव यादववाद पर पूरी तरह से अंकुश लगाएंगे और मेरिट के आधार पर महत्वपूर्ण पदों पर अफसरों की भर्ती निकालेंगे, जिससे किसी भी प्रकार का कोई सवाल न उठे और राजनीतिक दलों की तरफ से उन पर इस तरह के आरोप न लगाए जा सकें.

समाजवादी पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया कि इस मुद्दे को लेकर अखिलेश यादव ने काफी चिंतन-मनन किया है और उन्हें यह मालूम है कि कुछ हद तक इस आरोप में सच्चाई भी रही है कि उनकी सरकार के दौरान यादववाद काफी हावी रहा. अब इस पर पूरी तरह से अंकुश लगाने को लेकर उन्होंने न सिर्फ रणनीति बनाई है, बल्कि इसको लेकर एक एक्शन प्लान भी तैयार किया है.

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समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अखिलेश यादव ने एक कोर ग्रुप भी बनाया है, जिसके माध्यम से सरकार बनने पर महत्वपूर्ण पदों पर किस जाति के अफसरों की तैनाती होनी है, उसको लेकर एक पूरी रिपोर्ट तैयार की जाएगी और फिर समाज के सभी वर्ग से संबंधित अफसरों को तैनात करने का काम किया जाएगा.

इसके साथ ही तहसील से लेकर थाने तक और अन्य सभी महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती को लेकर शासन स्तर पर एक मॉनिटरिंग कमेटी गठित की जाएगी, जिन कार्यकर्ताओं और नेताओं की तरफ से महत्वपूर्ण पदों पर अफसरों की तैनाती को लेकर सिफारिश पत्र आएंगे, जिसके बाद उसकी पूरी छानबीन करते हुए और सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व को संतुलित करते हुए पोस्टिंग दिए जाने का काम किया जाएगा. अगर किसी एक जाति विशेष के अफसरों की ज्यादा पोस्टिंग की सिफारिश आएगी तो उस पर विराम लगाया जाएगा और समाज के सभी वर्गों के अफसरों को बराबर-बराबर सभी महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती दी जाएगी, जिससे किसी भी प्रकार के सवाल ना उठाए.

उधर, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे में भी एक तरफ जहां अपने परिवार को दूर रखा है, वहीं समाज के सभी वर्गों से जुड़े नेताओं को बराबर टिकट देने की कोशिश की है, जिससे जातीय समीकरण और सामाजिक समीकरण बेहतर किए जा सके.

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