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किसान और नौजवान विरोधी है भाजपा सरकार: अखिलेश यादव - yogi government

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किसानों के मुद्दों पर बीजेपी सरकार को जमकर घेरा. अखिलेश ने मीडिया में बयान जारी कर भाजपा सरकार पर किसान और नौजवान विरोधी होने का बड़ा आरोप लगाया.

अखिलेश यादव
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Published : Sep 17, 2020, 3:00 AM IST

लखनऊ: सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार प्रारम्भ से ही किसान और नौजवान विरोधी रही है. संविधान ने जनता को जो मौलिक अधिकार दिए हैं उनकी अवहेलना भी उसके स्वभाव में है. इससे भाजपा राज में कानून व्यवस्था सुधरने के बजाय हालात और खराब हुए हैं. अखिलेश ने कहा कि मुख्यमंत्री जी अपनी नाकामियों से हताशा में अब विपक्ष के प्रति असहिष्णुता और द्वेषपूर्ण आचरण दिखाने लगे हैं, जबकि लोकतंत्र में उन्हें लोकलाज का ध्यान रखते हुए विपक्ष के प्रति भी सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए.

सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा सरकार सन 2014 से ही किसानों की उपेक्षा करती आई है. भूमि अधिग्रहण के प्रयास के बाद अब भाजपा कृषि अध्यादेशों के जरिए किसानों को बड़े व्यापारियों का मोहताज बनाना चाहती है. भाजपा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य तो दिला नहीं पाई, उसने आवश्यक वस्तु अधिनियम से ही कई फसलों को बाहर कर दिया. गन्ना किसानों का अभी तक 13 हजार करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हुआ. किसान की उपज को नए कानून के सहारे बड़ी कम्पनियां और बड़े व्यापारी मनमाने ढंग से खरीदेंगे. भाजपा इन अध्यादेशों को किसानों की आजादी के जुमले का नाम देकर वास्तव में किसानों को गुलाम बनाना चाहती है.

अखिलेश यादव ने नौजवानों के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कोरोना संकट और लॉकडाउन ने कारोबार बंद किए तो नौजवान बेरोजगारी के शिकार हो गए. भाजपा सरकार कथित पूंजी निवेश के आंकड़ों के साथ रोजगार के सपने दिखाती है, पर सच यह है कि प्रदेश में भाजपा सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी नए उद्योग नहीं लगे हैं. न बाहर से पूंजी निवेश हुआ है और न ही रोजगार सृजित हुआ है. नौकरियों में भर्तियां लटकी हुई हैं. देश में 1.03 करोड़ लोग नौकरी की तलाश में हैं. श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि यूपी में 14.62 लाख की संख्या नौकरी मांगने वालों की है.

उन्होंने कहा कि अब तो सरकार ऐसी व्यवस्था कर रही है कि सरकारी नौकरी में भर्ती का रास्ता आउटसोर्स से संविदा कर्मी के रूप में खुलेगा, जिसमें तमाम बंदिशें रहेंगी. पांच साल कम वेतन, पदनाम में बदलाव, दक्षता के 60 प्रतिशत अंक के लिए बंधुआ मजदूर बनकर रहना होगा. पांच वर्ष का बहुमत लेकर आई भाजपा साढ़े तीन साल में ही यूपी से रोजगार का खात्मा करने पर आमादा है. मुख्यमंत्री जी किस बात का बदला ले रहे हैं? सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि जनता इसका जवाब भाजपा सरकार से अवश्य लेगी.

इसे भी पढ़ें- बाबरी विध्वंस केस में 30 सितंबर को 28 साल बाद आएगा फैसला

लखनऊ: सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार प्रारम्भ से ही किसान और नौजवान विरोधी रही है. संविधान ने जनता को जो मौलिक अधिकार दिए हैं उनकी अवहेलना भी उसके स्वभाव में है. इससे भाजपा राज में कानून व्यवस्था सुधरने के बजाय हालात और खराब हुए हैं. अखिलेश ने कहा कि मुख्यमंत्री जी अपनी नाकामियों से हताशा में अब विपक्ष के प्रति असहिष्णुता और द्वेषपूर्ण आचरण दिखाने लगे हैं, जबकि लोकतंत्र में उन्हें लोकलाज का ध्यान रखते हुए विपक्ष के प्रति भी सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए.

सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा सरकार सन 2014 से ही किसानों की उपेक्षा करती आई है. भूमि अधिग्रहण के प्रयास के बाद अब भाजपा कृषि अध्यादेशों के जरिए किसानों को बड़े व्यापारियों का मोहताज बनाना चाहती है. भाजपा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य तो दिला नहीं पाई, उसने आवश्यक वस्तु अधिनियम से ही कई फसलों को बाहर कर दिया. गन्ना किसानों का अभी तक 13 हजार करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हुआ. किसान की उपज को नए कानून के सहारे बड़ी कम्पनियां और बड़े व्यापारी मनमाने ढंग से खरीदेंगे. भाजपा इन अध्यादेशों को किसानों की आजादी के जुमले का नाम देकर वास्तव में किसानों को गुलाम बनाना चाहती है.

अखिलेश यादव ने नौजवानों के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कोरोना संकट और लॉकडाउन ने कारोबार बंद किए तो नौजवान बेरोजगारी के शिकार हो गए. भाजपा सरकार कथित पूंजी निवेश के आंकड़ों के साथ रोजगार के सपने दिखाती है, पर सच यह है कि प्रदेश में भाजपा सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी नए उद्योग नहीं लगे हैं. न बाहर से पूंजी निवेश हुआ है और न ही रोजगार सृजित हुआ है. नौकरियों में भर्तियां लटकी हुई हैं. देश में 1.03 करोड़ लोग नौकरी की तलाश में हैं. श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि यूपी में 14.62 लाख की संख्या नौकरी मांगने वालों की है.

उन्होंने कहा कि अब तो सरकार ऐसी व्यवस्था कर रही है कि सरकारी नौकरी में भर्ती का रास्ता आउटसोर्स से संविदा कर्मी के रूप में खुलेगा, जिसमें तमाम बंदिशें रहेंगी. पांच साल कम वेतन, पदनाम में बदलाव, दक्षता के 60 प्रतिशत अंक के लिए बंधुआ मजदूर बनकर रहना होगा. पांच वर्ष का बहुमत लेकर आई भाजपा साढ़े तीन साल में ही यूपी से रोजगार का खात्मा करने पर आमादा है. मुख्यमंत्री जी किस बात का बदला ले रहे हैं? सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि जनता इसका जवाब भाजपा सरकार से अवश्य लेगी.

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