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Akhilesh Yadav Resign: सपा प्रमुख ने सांसद का पद क्यों छोड़ा? जानिए क्या है रणनीति

अखिलेश यादव के करहल से चुनाव जीतने के बाद से लगातार इस बात के कयास लग रहे थे कि वह सांसद या विधायक की सीट में से किसे चुनेंगे. हालांकि अखिलेश यादव ने विधायक बने रहने का फैसला लिया. उन्होंने मंगलवार को संसद पहुंचकर लोकसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपा. सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव ने यह फैसला पिता और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के कहने पर लिया है. अब उनके इस फैसले के कई सियासी मायने हैं और रणनीति भी हैं. इसे लेकर अब सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है.

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Akhilesh Yadav Resign: सपा प्रमुख ने सांसद का पद क्यों छोड़ दिया? जानिए क्या है रणनीति
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Published : Mar 22, 2022, 4:19 PM IST

Updated : Mar 22, 2022, 10:44 PM IST

लखनऊ : समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. अखिलेश यादव ने यूपी चुनाव 2022 (UP Chunav 2022) में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था और करहल से जीत भी हासिल की थी. अखिलेश इस सीट से मैनपुरी विधायक बने रहेंगे.

गौरतलब है कि अखिलेश यादव के करहल से चुनाव जीतने के बाद से लगातार इस बात के कयास लग रहे थे कि वह सांसद या विधायक की सीट में से किसे चुनेंगे. हालांकि अखिलेश यादव ने विधायक बने रहने का फैसला लिया. उन्होंने मंगलवार को संसद पहुंचकर लोकसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपा. सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव ने यह फैसला पिता और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के कहने पर लिया है. अब उनके इस फैसले के कई सियासी मायने हैं और रणनीति भी हैं. इसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है. एक रिपोर्ट..

प्रदेश की राजनीति बढ़ाना चाहते हैं सक्रियता

अखिलेश यादव के लोकसभा सदस्य पद से इस्तीफा देने का एक प्रमुख कारण यह माना जा रहा है कि वह प्रदेश की राजनीति में सक्रियता बढ़ाना चाहते हैं. यूपी चुनाव 2022 में जिस तरह से पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा है, उसके बाद अब अखिलेश का पूरा ध्यान उत्तर प्रदेश पर ही है. माना जाता है कि वह अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. उनकी नजर यूपी की सभी 80 सीटों पर है.

यूपी की राजनीति में और मजबूत बनकर है उभरना

बतौर सांसद अखिलेश यादव, वह ज्यादातर समय दिल्ली में गुजारते थे. इसके चलते उनपर यूपी से दूरी बनाने का कई बार आरोप भी लगता रहा. इस बार मिली हार के बाद अखिलेश ने अपनी रणनीति बदली है. अब वह दिल्ली की राजनीति करने की बजाय यूपी की राजनीति पर ही फोकस करने का मन बना चुके हैं.

यह भी पढ़ें : UP MLC Election 2022: एटा में सपा के दोनों प्रत्याशियों का नामांकन निरस्त, भाजपा की जीत तय

सीएम योगी को सीधे जवाब देंगे अखिलेश

अखिलेश यादव के करहल से विधायक रहने के चलते वह विधानसभा में पार्टी का पक्ष और जनता के मुद्दे उठाते हुए नजर आएंगे. विपक्ष के तौर पर अखिलेश सीधे बीजेपी से सवाल करेंगे और खुद को जनता का हितैषी साबित करने का प्रयास करते हुए दिखाई देंगे. गौरतलब है कि 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद समाजवादी पार्टी ने राम गोविंद चौधरी को नेता प्रतिपक्ष बनाया था. अब अखिलेश यादव खुद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बन सकते हैं. वहीं, आजम जैसे नौ बार विधायक रहे नेता भी उनके साथ यूपी के सदन में मौजूद रहेंगे जिनके अनुभवों का उन्हें सीधा फायदा मिलेगा.

ब्लाक स्तर पर पार्टी को मजबूत करने की कवायद

माना जा रहा है कि बतौर नेता प्रतिपक्ष और विधायक अखिलेश यादव पार्टी पर ब्लाक स्तर पर जान फूंकना चाहते हैं. इसके लिए उन्हें समय भी मिलेगा क्योंकि बतौर नेता प्रतिपक्ष उन्हें स्थानीय कार्यकर्ताओं से मिलने और उनकी समस्याओं को जानने का भी मौका मिलेगा जिससे पार्टी को और भी मजबूत करने में रणनीति बनाने में मदद मिलेगी.

करहल की जनता का विश्वास रखना है कायम

अखिलेश के विधायक बने रहने के पीछे एक वजह यह भी है कि वह करहल की जनता का विश्वास बनाए रखना चाहते हैं. जनता ने उनकी बातों पर ही विश्वास कर सांसद होने के बावजूद उन्हें विधानसभा चुनाव में जीत दिलाई है.

आजमगढ़ की सीट जाने का खतरा कम

अखिलेश यादव अभी तक आजमगढ़ से लोकसभा के सदस्य थे. अब उनके इस्तीफे के बाद यहां उप-चुनाव होंगे. अखिलेश को भरोसा है कि वह यह सीट दोबारा जीत लेगें. विधानसभा चुनावों के परिणाम उन्हें इस बात के लिए और आश्वस्थ कर रहे हैं. गौरतलब है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में सपा ने आजमगढ़ की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं, रामपुर में भी पांच में तीन विधानसभा सीटों पर सपा को जीत मिली थी. ऐसे में पार्टी को यहां भी लोकसभा उपचुनाव में जीत की उम्मीद है.

2024 चुनाव की तैयारी में अभी से जुटे अखिलेश

लोकसभा से अखिलेश यादव के इस्तीफा देने के पीछे एक वजह उनके लोकसभा चुनावों पर अभी से फोकस करने को भी बताया जा रहा है. वह अभी से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं. यूपी में सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटें हैं.

लखनऊ : समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. अखिलेश यादव ने यूपी चुनाव 2022 (UP Chunav 2022) में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था और करहल से जीत भी हासिल की थी. अखिलेश इस सीट से मैनपुरी विधायक बने रहेंगे.

गौरतलब है कि अखिलेश यादव के करहल से चुनाव जीतने के बाद से लगातार इस बात के कयास लग रहे थे कि वह सांसद या विधायक की सीट में से किसे चुनेंगे. हालांकि अखिलेश यादव ने विधायक बने रहने का फैसला लिया. उन्होंने मंगलवार को संसद पहुंचकर लोकसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपा. सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव ने यह फैसला पिता और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के कहने पर लिया है. अब उनके इस फैसले के कई सियासी मायने हैं और रणनीति भी हैं. इसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है. एक रिपोर्ट..

प्रदेश की राजनीति बढ़ाना चाहते हैं सक्रियता

अखिलेश यादव के लोकसभा सदस्य पद से इस्तीफा देने का एक प्रमुख कारण यह माना जा रहा है कि वह प्रदेश की राजनीति में सक्रियता बढ़ाना चाहते हैं. यूपी चुनाव 2022 में जिस तरह से पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा है, उसके बाद अब अखिलेश का पूरा ध्यान उत्तर प्रदेश पर ही है. माना जाता है कि वह अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. उनकी नजर यूपी की सभी 80 सीटों पर है.

यूपी की राजनीति में और मजबूत बनकर है उभरना

बतौर सांसद अखिलेश यादव, वह ज्यादातर समय दिल्ली में गुजारते थे. इसके चलते उनपर यूपी से दूरी बनाने का कई बार आरोप भी लगता रहा. इस बार मिली हार के बाद अखिलेश ने अपनी रणनीति बदली है. अब वह दिल्ली की राजनीति करने की बजाय यूपी की राजनीति पर ही फोकस करने का मन बना चुके हैं.

यह भी पढ़ें : UP MLC Election 2022: एटा में सपा के दोनों प्रत्याशियों का नामांकन निरस्त, भाजपा की जीत तय

सीएम योगी को सीधे जवाब देंगे अखिलेश

अखिलेश यादव के करहल से विधायक रहने के चलते वह विधानसभा में पार्टी का पक्ष और जनता के मुद्दे उठाते हुए नजर आएंगे. विपक्ष के तौर पर अखिलेश सीधे बीजेपी से सवाल करेंगे और खुद को जनता का हितैषी साबित करने का प्रयास करते हुए दिखाई देंगे. गौरतलब है कि 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद समाजवादी पार्टी ने राम गोविंद चौधरी को नेता प्रतिपक्ष बनाया था. अब अखिलेश यादव खुद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बन सकते हैं. वहीं, आजम जैसे नौ बार विधायक रहे नेता भी उनके साथ यूपी के सदन में मौजूद रहेंगे जिनके अनुभवों का उन्हें सीधा फायदा मिलेगा.

ब्लाक स्तर पर पार्टी को मजबूत करने की कवायद

माना जा रहा है कि बतौर नेता प्रतिपक्ष और विधायक अखिलेश यादव पार्टी पर ब्लाक स्तर पर जान फूंकना चाहते हैं. इसके लिए उन्हें समय भी मिलेगा क्योंकि बतौर नेता प्रतिपक्ष उन्हें स्थानीय कार्यकर्ताओं से मिलने और उनकी समस्याओं को जानने का भी मौका मिलेगा जिससे पार्टी को और भी मजबूत करने में रणनीति बनाने में मदद मिलेगी.

करहल की जनता का विश्वास रखना है कायम

अखिलेश के विधायक बने रहने के पीछे एक वजह यह भी है कि वह करहल की जनता का विश्वास बनाए रखना चाहते हैं. जनता ने उनकी बातों पर ही विश्वास कर सांसद होने के बावजूद उन्हें विधानसभा चुनाव में जीत दिलाई है.

आजमगढ़ की सीट जाने का खतरा कम

अखिलेश यादव अभी तक आजमगढ़ से लोकसभा के सदस्य थे. अब उनके इस्तीफे के बाद यहां उप-चुनाव होंगे. अखिलेश को भरोसा है कि वह यह सीट दोबारा जीत लेगें. विधानसभा चुनावों के परिणाम उन्हें इस बात के लिए और आश्वस्थ कर रहे हैं. गौरतलब है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में सपा ने आजमगढ़ की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं, रामपुर में भी पांच में तीन विधानसभा सीटों पर सपा को जीत मिली थी. ऐसे में पार्टी को यहां भी लोकसभा उपचुनाव में जीत की उम्मीद है.

2024 चुनाव की तैयारी में अभी से जुटे अखिलेश

लोकसभा से अखिलेश यादव के इस्तीफा देने के पीछे एक वजह उनके लोकसभा चुनावों पर अभी से फोकस करने को भी बताया जा रहा है. वह अभी से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं. यूपी में सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटें हैं.

Last Updated : Mar 22, 2022, 10:44 PM IST
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