लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहली बार समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और करहल से विधायक अखिलेश यादव नेता प्रतिपक्ष के रूप में दिखेंगे. सपा कार्यालय में हुई आज विधायक दल की बैठक में अखिलेश यादव को सर्व सहमति से नेता प्रतिपक्ष चुन लिया गया. प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने इस फैसले की घोषणा की है. इस बैठक में सपा सिंबल से विधायक बने शिवपाल यादव और अपना दल (क) की नेता पल्लवी पटेल शामिल नहीं हुईं. अखिलेश यादव को विधानसभा में नेता विरोधी दल की मान्यता दी गई.
सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने बताया कि विधायक दल की बैठक में सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए वरिष्ठ विधायक अवधेश प्रसाद ने प्रस्ताव रखा था जिसे सभी विधायकों का समर्थन मिला. बैठक में अखिलेश यादव को विधायक दल का नेता भी चुन लिया गया है.
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पहले भी विधान परिषद में बैठ चुके हैं अखिलेश : साल 2012 के विधान सभा चुनाव में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे. उस वक़्त अखिलेश कन्नौज से सांसद थे. बाद में उन्हें विधान परिषद का सदस्य चुना गया था. साल 2017 में सत्ता से बाहर जाने पर अखिलेश विधान परिषद सदस्य के रूप में विपक्ष में बैठे थे. हालांकि उस वक़्त विधान परिषद में विपक्ष के नेता के रूप में अहमद हसन मौजूद थे.
28 मार्च को होगी सहयोगी पार्टियों के साथ बैठक: आज की बैठक में सपा के टिकट से जसवंतनगर सीट से विधायक चुने गए शिवपाल यादव को नहीं बुलाए जाने पर नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि शिवपाल यादव भले ही सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. उनका खुद का एक दल है. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने 28 मार्च को सहयोगी दलों के साथ पार्टी कार्यालय में एक बैठक करेंगे. उसमें शिवपाल यादव और सिराथु से सपा सिंबल पर विधायक चुनी गई अपना दल (क) नेता पल्लवी पटेल को भी बुलाया गया है.
शिवपाल ने बैठक में न बुलाए जाने पर जताई थी नाराजगी : इससे पहले जसवंतनगर से विधायक व प्रजातांत्रिक समाजवादी पार्टी अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कहा था कि आज हुई सपा की बैठक के लिए सभी विधायकों को पार्टी कार्यालय से फोन किया गया था. उन्हें नहीं बुलाया गया. इसलिए वे नहीं गए. शिवपाल ने कहा कि उन्होंने सभी गिले-शिकवे भुला कर पार्टी को मजबूत करने के लिए मेहनत की थी. अब जब उन्हें नहीं बुलाया गया तो वे जसवंतनगर जा रहे हैं.
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