लखनऊ. गुजरात से लेकर दिल्ली की अफरशाही तक और फिर से मऊ से होते हुए उत्तर प्रदेश की सियासत तक. पिछले करीब एक साल से उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नाम चमक रहा है. वह और कोई नहीं बल्कि अरविंद कुमार शर्मा का है. वहीं, योगी कैबिनेट 2.0 में उन्हें कैबिनेट मंत्री का पद मिला है. ऐसे में वह क्या दायित्व संभालेंगे, यह सबसे बड़ा सवाल है. कैसे ए.के शर्मा ने आईएएस से राजनीति तक का सफर तय किया आइये डालते हैं इस पर एक नजर..
काबिल और भरोसेमंद अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन देने की परंपरा रही है लेकिन गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी रहे ए.के शर्मा का मामला थोड़ा अलग है. अरविंद शर्मा को 2022 में रिटायर होना था लेकिन अचानक वीआरएस लेकर उनका भाजपा ज्वाइन करना और विधानपरिषद का सदस्य बनना तमाम नए राजनीतिक चर्चाओं को बल देने के लिए पर्याप्त था. बीजेपी ज्वाइन करने के बाद एके शर्मा ने कहा था कि, 'कल रात में ही मुझे पार्टी ज्वाइन करने के लिए कहा गया था. मुझे खुशी है कि मुझे मौका मिला, मैं एक पिछड़े गांव से निकला हूं, आईएएस बना और आज बिना किसी राजनीतिक बैकग्राउंड के बीजेपी में शामिल होना एक बड़ी बात है.
एके शर्मा की पृष्ठभूमि
मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना तहसील के रानीपुर विकास खंड के अंतर्गत आता काझाखुर्द गांव में एके शर्मा का जन्म साल 1962 में हुआ था. स्व. शिवमूर्ति शर्मा और स्व. शांति देवी के तीन बेटों में अरविंद सबसे बड़े हैं. इन्होंने गांव के स्कूल से प्राथमिक पढ़ाई करने के बाद डीएवी इंटर कॉलेज से इंटर पास किया. आगे की शिक्षा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हुई. वहीं से ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन किया. पीएचडी में एडमिशन लिया लेकिन आईएएस में सलेक्शन हो जाने के बाद पीएचडी करने का सपना अधूरा ही रह गया.
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एके शर्मा के कार्यकाल की कुछ खास बातें..
नरेंद्र मोदी जब सत्ता में आए तो उस समय एके शर्मा इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट में एडिशनल कमिशनर के पद पर कार्यरत थे. इसके पहले वड़ोदरा में पुनर्वास विभाग में ज्वाइंट कमिश्नर, गांधीनगर के वित्त विभाग में डिप्टी सचिव, खेड़ा में कलेक्टर और खनन विभाग में ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर, मेहसाणा में डीएम और उसके पहले एसडीएम के पद पर रह चुके थे. एके शर्मा को गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने वाले दिन ही मुख्यमंत्री सचिवालय बुला लिया गया. सचिव के पद पर नियुक्ति हुई. कहा जाता है कि यहीं से एके शर्मा और नरेंद्र मोदी के बीच एक अटूट संबंध की शुरुआत हुई. साल 2004 में एके शर्मा ज्वाइंट सेक्रेटरी बना दिए गए. बाद में एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाकर गांधीनगर के मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिए गए. जहां-जहां नरेंद्र मोदी रहे, वहां-वहां एके शर्मा भी मौजूद रहे.
साल 2001 में भुज में आए भूकंप में राहत कार्य ने एके शर्मा की छवि को निखार दिया. तहसीलदार स्तर की पोस्टिंग पर रखकर एके शर्मा ने पुर्नवास के कार्य को पूरी ईमानदारी और तन्मयता पूर्वक निभाया. जिस कैंप में एके शर्मा रहते थे, वह हल्के भूकंप के झटकों से रात में गिर जाया करते थे. बहुत से अधिकारियों ने अपना ट्रांसफर तक करा लिया लेकिन एके शर्मा अपने दायित्व के प्रति ईमानदार रहे. वह वहां तब तक रहे जब तक विस्थापन का कार्य पूरा नहीं हो गया.
26 मई को नरेंद्र मोदी ने कार्यभार सम्भाला और 30 मई को एके शर्मा को पीएमओ में नियुक्ति पत्र मिल गया. प्रधानमंत्री कार्यालय में एके शर्मा ने 3 जून को ज्वाइंट सेक्रेटरी का कार्यभार सम्भाला. फिर 22 जुलाई 2017 को एडिशनल सेक्रेटरी बना दिए गए. 30 अप्रैल 2020 को एके शर्मा को माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज़ (MSME) मंत्रालय में सचिव बना दिया गया.
केंद्र में आने के बाद भी एके शर्मा का कार्यकाल बहुत चर्चा में रहा. उन्हें सीधे उन प्रोजेक्ट्स से जोड़ा जाता जिनमें प्रधानमंत्री मोदी की खास रुचि होती थी. 2019 में केंद्र सरकार के 100 करोड़ इंफ़्रास्ट्रक्चर में निवेश के प्लान को डिजाइन करने में एके शर्मा ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. इससे जुड़े मंत्रालयों में विकास कार्यों के लिए एके शर्मा की सीधी दखल होती थी. उनकी कार्यशैली को देखते हुए ही नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन में अरविंद शर्मा को MSME मंत्रालय में सचिव बना दिया. इसके बाद ही MSME को जिंदा करने के लिए लोन देने की परियोजना और आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी गई.
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