नई दिल्ली : सुशांत सिंह राजपूत के कथित आत्महत्या मामले की फॉरेंसिक जांच की जिम्मेदारी मिलने के बाद दिल्ली एम्स को एक और जिम्मेदारी दी गई है. इस बार सीबीआई ने एम्स को चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित फॉरेंसिक जांच करने को कहा है. यह मामला उत्तर प्रदेश के तीन जिले से संबंधित हैं. सीबीआई इस मामले में दिल्ली एम्स के फॉरेंसिक विभाग की टीम की मदद चाहती है. मामले में आरोपी ने कथित तौर पर 40 नाबालिग लड़कों को यौन शोषण किया और उनका वीडियो बनाकर डार्क वेब पर प्रसारित किया. इस मामले में एम्स के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट की सीबीआई ने मदद मांगी है.
9 डॉक्टरों की एक टीम गठित की गई
एम्स के सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई के आग्रह पर फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के हेड डॉ. सुधीर गुप्ता की अध्यक्षता में 9 डॉक्टर्स की एक टीम गठित कर दी गई है. यह टीम इस केस की फॉरेंसिक जांच करेगी और आरोपी के खिलाफ सबूत इकठ्ठा करने में मदद करेगी. इस टीम के एक सदस्य के मुताबिक आरोपी ने 5 से 16 वर्ष की उम्र के कम से कम 40 बच्चों का यौन उत्पीड़न किया है. इसके बाद उनके अश्लील वीडियो बनाकर उन्हें डार्क वेब पर अपनी मस्ती के लिए प्रसारित कर दिया. रिपोर्ट सीबीआई को निर्धारित समय सीमा के अंदर सौंप दी जाएगी.
टीम बुधवार को चित्रकूट के लिए रवाना होगी
एम्स फॉरेंसिक डिपार्टमेंट की टीम के कुछ सदस्य इस केस की जांच के सिलसिले में बुधवार को क्राइम स्पॉट की जांच और पीड़ितों के बयान दर्ज करने के लिए चित्रकूट जाएंगे. इसके साथ ही एम्स के डॉक्टरों की टीम यौन शोषण का शिकार हुए लड़कों की मेडिकल जांच करेगी. इस जांच रिपोर्ट में पीड़ित नाबालिग लड़कों की मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य की जांच की जाएगी. इनके ब्लड के सैंपल भी लिए जाएंगे. इससे पता चल सकेगा कि पीड़ित बच्चों को यौन संबंधी कोई बीमारी तो नहीं हुई है.
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अपने लोगों से बच्चों को अधिक खतरा
एम्स के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के एक डॉक्टर ने नाम नहीं लेने की शर्त पर बताया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी दुनिया भर में एक गंभीर अपराध है. ज्यादातर मामले सामने नहीं आते हैं, क्योंकि छोटे बच्चों को यौन संबंधी जानकारी नहीं होती है. इसी बात का फायदा बाल यौन उत्पीड़क उठाते हैं. एसे मामलों में आरोपी जान पहचान वालों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों के बच्चों को टारगेट करता था. उन्होंने कहा कि ऐसी किसी भी घटना से बचने के लिए सामाजिक जागरूकता बहुत जरूरी है. अनजान लोगों से ज्यादा बच्चों को अपने लोगों से खतरा है.
चाइल्ड पोर्नोग्राफी है बड़ा सिंडिकेट
इस घटना की जानकारी अंतरराष्ट्रीय पुलिस को दी गई थी. इसके बाद नवंबर में इस केस की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को दी गई. अज्ञात लोगों के खिलाफ इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई. उत्तर प्रदेश के बांदा, चित्रकूट और हमीरपुर जिलों में सीबीआई की टीम ताबड़तोड़ रेड करने लगी. इस दौरान आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया.
सीबीआई के मुताबिक, इस केस के आरोपी को पॉक्सो एक्ट के सेक्शन 14 और 17 के तहत हिरासत में लिया गया है. सर्च ऑपरेशन के दौरान आरोपी के घर में कई इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स मिले थे. इनकी मदद से आरोपी बच्चों के अश्लील वीडियो बनाते थे और उन वीडियो को डार्क वेबसाइट पर पोस्ट करते थे.
पिछले 10 वर्षों से कर रहा था घिनौनी हरकत
आरोपी पिछले 10 वर्षों से इस घिनौनी हरकत को अंजाम दे रहे थे. उसके लैपटॉप से कम से कम 24,000 ईमेल जनरेट किए गए. इसमें बाल यौन उत्पीड़न से संबंधित पोर्नोग्राफी की सामग्री थी. इसका मतलब यह हुआ कि आरोपी भारत और विदेशों में ऐसे लोगों के संपर्क में था जो चाइल्ड पोर्नोग्राफी के धंधे में संलिप्त हैं. एम्स के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट की टीम इस मामले में जल्दी ही एक रिपोर्ट सीबीआई को सौंपेगी.