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पर्यावरण में संतुलन लाने के लिए लगाएं अधिक से अधिक पेड़ः डॉ. जेपी गुप्ता

लगातार होते मौसम में बदलाव से कृषि क्षेत्र प्रभावित हो रही है. पेड़ों की अंधा-धुंध कटाई और प्लास्टिक की वस्तुओं के प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ रहा है.

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Published : Jul 8, 2019, 10:52 PM IST

डॉ. जेपी गुप्ता

लखनऊः राजधानी सहित पूरे प्रदेश में लगातार मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है, जिसका असर समाज के साथ-साथ पर्यावरण और एग्रीकल्चर पर हो रहा है. पर्यावरण में बदलाव और बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण अंधा-धुंध पेड़ों की कटाई और पॉलिथीन का अत्याधिक प्रयोग बताया जा रहा है. लखनऊ के मौसम वैज्ञानिक डॉ. जेपी गुप्ता ने बताया कि, पर्यावरण को संतुलित करने के लिए अधिक मात्रा में पेड़ लगाये जाएं.

बुरा है मौसम का हाल-

  • पिछले कई सालों में पेड़ों की अंधा-धुंध कटाई से पर्यावरण में बदलाव आया है.
  • प्लास्टिक की वस्तुओं के बढ़ते प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि हुई है.
  • पर्यावरण में लगातार कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसी विषैली गैसों की मात्रा बढ़ रही है.
  • बदलते मौसम का बुरा असर एग्रीकल्चर पर हो रहा है.
    बदलते मौसम पर अपनी राय देते मौसम वैज्ञानिक डॉ. जेपी गुप्ता.

क्या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक-

  • लखनऊ के मौसम वैज्ञानिक डॉ. जेपी गुप्ता ने ईटीवी भारत से बात की.
  • उन्होंने बताया कि बदलते पर्यावरण से सबसे ज्यादा कृषि क्षेत्र प्रभावित हो रहा है.
  • कहीं ज्यादा बारिश तो कहीं सूखे से लोगों की बहुत परेशानी हो रही है.
  • प्रदूषण फैलाने वाली वस्तुएं, पॉलिथीन, एसी, फ्रिज और अत्याधिक गाड़ियों के प्रयोग से लोगों को दूर रहना होगा.
  • डॉ. जेपी गुप्ता ने कहा मौसम में संतुलन लाने के लिए अधिक संख्या में पेड़ लगाए जाने चाहिए.

लखनऊः राजधानी सहित पूरे प्रदेश में लगातार मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है, जिसका असर समाज के साथ-साथ पर्यावरण और एग्रीकल्चर पर हो रहा है. पर्यावरण में बदलाव और बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण अंधा-धुंध पेड़ों की कटाई और पॉलिथीन का अत्याधिक प्रयोग बताया जा रहा है. लखनऊ के मौसम वैज्ञानिक डॉ. जेपी गुप्ता ने बताया कि, पर्यावरण को संतुलित करने के लिए अधिक मात्रा में पेड़ लगाये जाएं.

बुरा है मौसम का हाल-

  • पिछले कई सालों में पेड़ों की अंधा-धुंध कटाई से पर्यावरण में बदलाव आया है.
  • प्लास्टिक की वस्तुओं के बढ़ते प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि हुई है.
  • पर्यावरण में लगातार कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसी विषैली गैसों की मात्रा बढ़ रही है.
  • बदलते मौसम का बुरा असर एग्रीकल्चर पर हो रहा है.
    बदलते मौसम पर अपनी राय देते मौसम वैज्ञानिक डॉ. जेपी गुप्ता.

क्या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक-

  • लखनऊ के मौसम वैज्ञानिक डॉ. जेपी गुप्ता ने ईटीवी भारत से बात की.
  • उन्होंने बताया कि बदलते पर्यावरण से सबसे ज्यादा कृषि क्षेत्र प्रभावित हो रहा है.
  • कहीं ज्यादा बारिश तो कहीं सूखे से लोगों की बहुत परेशानी हो रही है.
  • प्रदूषण फैलाने वाली वस्तुएं, पॉलिथीन, एसी, फ्रिज और अत्याधिक गाड़ियों के प्रयोग से लोगों को दूर रहना होगा.
  • डॉ. जेपी गुप्ता ने कहा मौसम में संतुलन लाने के लिए अधिक संख्या में पेड़ लगाए जाने चाहिए.
Intro:पिछले कई वर्षों में पर्यावरण प्रदूषण के चलते मौसम में कई बदलाव देखे गए हैं जिनका सीधा प्रभाव खेती किसानी अर्थात एग्रीकल्चर पर काफी हुआ है। ईटीवी भारत में मौसम वैज्ञानिक से खास बातचीत में जाना कि किस तरीके से मौसम में पिछले कई सालों में बदलाव देखा गया जिनका असर समाज के साथ-साथ पर्यावरण और एग्रीकल्चर पर हुआ है।


Body:राजधानी लखनऊ के मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ जेपी गुप्ता से हमने यह जाना कि किस तरह से पिछले कई सालों में पर्यावरण और मौसम में बदलाव को देखा गया जिनके क्या कारण रहे और उसका प्रभाव कितना ज्यादा एग्रीकल्चर पर हुआ है।

मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि पिछले कुछ सालों में पर्यावरण प्रदूषण की वजह से लगातार मौसम में बदलाव को देखा गया है जिसका सीधा असर खेती किसानी पर हुआ है। मौसम में बदलाव के मुख्य कारण की बात की जाए तो पेड़ पौधों के कटान और पॉलिथीन जैसी अन्य प्रदूषण फैलाने वाली वस्तुएं रही हैं।

मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि पेड़ों के अधिक कटने की वजह से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा पर्यावरण में बढ़ गई है साथ ही साथ एसी व फ्रिज तथा अधिक गाड़ियों के इस्तेमाल से कार्बन मोनो ऑक्साइड क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसी विषैली गैसों की मात्रा बढ़ती जा रही है। जिसकी वजह से मौसम में कई सालों में काफी बदलाव देखा गया है जिसे ग्रीनहाउस इफेक्ट भी कहते हैं।

मौसम में होने वाले अचानक बदलाव की वजह से जहां एक तरफ पर्यावरण का संतुलन बिगड़ा है वहीं दूसरी तरफ इसका सीधा प्रभाव कृषि पर भी पड़ा है। कहीं अधिक बारिश है तो कहीं सूखाग्रस्त जिसकी वजह से कृषि सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है।

क्लाइमेट चेंज जाने मौसम के बदलाव की वजह से एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स हो रही है जिनको धीरे-धीरे संतुलन में लाने के लिए अधिक से अधिक पेड़ों को लगाया जाना चाहिए।

टिक टैक- डॉ जेपी गुप्ता (वैज्ञानिक मौसम विभाग लखनऊ)


Conclusion:क्लाइमेट चेंज की वजह से सबसे ज्यादा प्रभाव कृषि पर हुआ है जो कि हमारे देश का आधार है। पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए अधिक से अधिक पेड़ों को लगाया जाना चाहिए साथ ही पॉलिथीन जैसी हानिकारक चीजों का भी इस्तेमाल बंद होना चाहिए जिससे प्रदूषण में कमी आ सके और क्लाइमेट यानी मौसम में होने वाले अचानक बदलाव को कम किया जा सके और पर्यावरण को साफ और सुरक्षित बनाए जा सके।

योगेश मिश्रा लखनऊ
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