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अब बनेगा जड़ी-बूटियों से सैनिटाइजर, किसानों को होगा लाभ - हर्बल सैनिटाइजर

राजधानी लखनऊ में अब हर्बल सैनिटाइजर यानी जड़ी-बूटियों से बने सैनिटाइजर के लिए पहल की गई है. इसके उत्पादन के लिए सीएसआईआर - सीमैप ने एक निजी कंपनी से समझौता किया है.

लखनऊ
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Published : Jun 4, 2021, 6:32 AM IST

लखनऊः अब जड़ी-बूटियों और औषधियों से सैनिटाइजर बनाया जाएगा. इसके लिए सीएसआईआर - सीमैप और मेसर्स प्रहवा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गाजियाबाद के बीच गुरुवार को समझौता हुआ. समझौते के तहत दोनों मिलकर वनस्पति औषधियों पर आधारित हैंड सैनिटाइजर बनाएंगे.

सीएसआईआर देगा तकनीक
इस समझौते के तहत सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (CSIR-CIMAP), लखनऊ ने हैंड सैनिटाइजर की तकनीक को मेसर्स प्रहवा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गाजियाबाद को हस्तांतरित किया है. दरअसल, सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ की ओर से जड़ी-बूटियों से हैंड सैनिटाइज़र बनाने की तकनीक विकसित की गई है. अब संस्थान इसे उद्योगों को प्रदान करने के लिए तैयार है. कंपनियां यह तकनीक प्राप्त कर अपने ब्रांड का उत्पाद बाजार में उतारेंगे. इसी नीति के तहत यह समझौता किया गया है.

इन्होंने किया हस्ताक्षर
इस समझौते पत्र पर मेसर्स प्रहवा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गाजियाबाद की निदेशक सुदेश यादव एवं सीएसआईआर-सीमैप के प्रशासनिक अधिकारी भास्कर देवरी ने हस्ताक्षर किए. सुदेश यादव ने बताया कि अभी हैंड सैनिटाइजर का उत्पादन सीएसआईआर-सीमैप में बने पाइलट प्लांट से कराने का निर्णय लिया गया है, जिससे यह महत्वपूर्ण उत्पाद जल्द से जल्द बाजार में उपलब्ध हो सके.

इसे भी पढ़ेंः यहां चमत्कारी पानी से कोरोना के इलाज की अफवाह पर उमड़ी भीड़, चार के खिलाफ FIR

किसानों को देगा आर्थिक लाभ
सीएसआईआर-सीमैप के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौदान सिंह ने बताया कि इन हर्बल उत्पादों को सीएसआईआर-सीमैप द्वारा वैज्ञानिक रूप से परीक्षण किया गया है. ये उत्पाद ज्यादातर सगंध एवं औषधीय पौधों से बने होते हैं. इस कंपनी द्वारा उनके उत्पादन से देश में औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती करने वाले किसानों को भी आर्थिक लाभ होगा. इस मौके पर डॉ. रमेश के. श्रीवास्तव, डॉ. अनिरबन पाल, डॉ. राम सुरेश शर्मा इत्यादि वैज्ञानिक मौजूद थे.

लखनऊः अब जड़ी-बूटियों और औषधियों से सैनिटाइजर बनाया जाएगा. इसके लिए सीएसआईआर - सीमैप और मेसर्स प्रहवा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गाजियाबाद के बीच गुरुवार को समझौता हुआ. समझौते के तहत दोनों मिलकर वनस्पति औषधियों पर आधारित हैंड सैनिटाइजर बनाएंगे.

सीएसआईआर देगा तकनीक
इस समझौते के तहत सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (CSIR-CIMAP), लखनऊ ने हैंड सैनिटाइजर की तकनीक को मेसर्स प्रहवा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गाजियाबाद को हस्तांतरित किया है. दरअसल, सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ की ओर से जड़ी-बूटियों से हैंड सैनिटाइज़र बनाने की तकनीक विकसित की गई है. अब संस्थान इसे उद्योगों को प्रदान करने के लिए तैयार है. कंपनियां यह तकनीक प्राप्त कर अपने ब्रांड का उत्पाद बाजार में उतारेंगे. इसी नीति के तहत यह समझौता किया गया है.

इन्होंने किया हस्ताक्षर
इस समझौते पत्र पर मेसर्स प्रहवा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गाजियाबाद की निदेशक सुदेश यादव एवं सीएसआईआर-सीमैप के प्रशासनिक अधिकारी भास्कर देवरी ने हस्ताक्षर किए. सुदेश यादव ने बताया कि अभी हैंड सैनिटाइजर का उत्पादन सीएसआईआर-सीमैप में बने पाइलट प्लांट से कराने का निर्णय लिया गया है, जिससे यह महत्वपूर्ण उत्पाद जल्द से जल्द बाजार में उपलब्ध हो सके.

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किसानों को देगा आर्थिक लाभ
सीएसआईआर-सीमैप के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौदान सिंह ने बताया कि इन हर्बल उत्पादों को सीएसआईआर-सीमैप द्वारा वैज्ञानिक रूप से परीक्षण किया गया है. ये उत्पाद ज्यादातर सगंध एवं औषधीय पौधों से बने होते हैं. इस कंपनी द्वारा उनके उत्पादन से देश में औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती करने वाले किसानों को भी आर्थिक लाभ होगा. इस मौके पर डॉ. रमेश के. श्रीवास्तव, डॉ. अनिरबन पाल, डॉ. राम सुरेश शर्मा इत्यादि वैज्ञानिक मौजूद थे.

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