लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने आगरा के विधायक योगेंद्र उपाध्याय को विधानसभा में मुख्य सचेतक बनाया है. योगेंद्र उपाध्याय अभी तक उप सचेतक थे और वीरेंद्र सिंह सिरोही सचेतक के पद पर तैनात थे. सिरोही के निधन के उपरांत यह पद खाली चल रहा था. रिक्त चल रहे मुख्य सचेतक के पद पर भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने योगेंद्र उपाध्याय को अब यह जिम्मेदारी सौंपी है. विधानसभा में मुख्य सचेतक पद पर योगेंद्र उपाध्याय की तैनाती को ब्राह्मणों को एक संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है.
योगेंद्र उपाध्याय जमीनी नेता माने जा रहे हैं. उनका जुड़ाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी है. दरअसल कानपुर कांड में दुर्दांत अपराधी विकास दुबे और उसके गुर्गों के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद से कुछ लोग सोशल मीडिया पर सरकार को ब्राह्मण विरोधी बताने की कोशिश में लगे हुए हैं. वहीं सरकार और संगठन के स्तर पर लगातार यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि अपराधियों की कोई जाति नहीं होती.
अपराधी विकास दुबे ने ज्यादातर हत्याएं ब्राह्मणों की ही की हैं. बावजूद इसके तमाम लोग सोशल मीडिया पर कटाक्ष कर रहे हैं. सरकार से सवाल कर रहे हैं. ऐसे में पार्टी के योगेंद्र उपाध्याय को यह दायित्व सौंपने के निर्णय को कहीं न कहीं ब्राह्मणों में संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक मनोज भद्रा का कहना है कि वैसे तो यह कोई इतना बड़ा पद नहीं है, लेकिन कानपुर कांड को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव हों, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती हों या फिर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद सबने भारतीय जनता पार्टी की योगी आदित्यनाथ सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. मायावती ने तो ब्राह्मणों की प्रताड़ना की बात तक कही. ऐसे में पार्टी के पास यह पहला मौका था, जिसमें वह कुछ संदेश दे सकती थी. शायद इसीलिए पार्टी नेतृत्व ने यह कदम उठाया है, ताकि ब्राह्मणों में एक संदेश जाए कि भाजपा उनकी पार्टी है.
लखनऊ: विधायक योगेंद्र उपाध्याय को बनाया गया विधानसभा का मुख्य सचेतक - lucknow news
भारतीय जनता पार्टी ने आगरा से विधायक योगेंद्र उपाध्याय को विधानसभा का मुख्य सचेतक बनाया है. दरअसल पहले वीरेंद्र सिंह सिरोही सचेतक के पद पर तैनात थे, लेकिन सिरोही के निधन के बाद यह पद खाली चल रहा था.
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने आगरा के विधायक योगेंद्र उपाध्याय को विधानसभा में मुख्य सचेतक बनाया है. योगेंद्र उपाध्याय अभी तक उप सचेतक थे और वीरेंद्र सिंह सिरोही सचेतक के पद पर तैनात थे. सिरोही के निधन के उपरांत यह पद खाली चल रहा था. रिक्त चल रहे मुख्य सचेतक के पद पर भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने योगेंद्र उपाध्याय को अब यह जिम्मेदारी सौंपी है. विधानसभा में मुख्य सचेतक पद पर योगेंद्र उपाध्याय की तैनाती को ब्राह्मणों को एक संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है.
योगेंद्र उपाध्याय जमीनी नेता माने जा रहे हैं. उनका जुड़ाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी है. दरअसल कानपुर कांड में दुर्दांत अपराधी विकास दुबे और उसके गुर्गों के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद से कुछ लोग सोशल मीडिया पर सरकार को ब्राह्मण विरोधी बताने की कोशिश में लगे हुए हैं. वहीं सरकार और संगठन के स्तर पर लगातार यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि अपराधियों की कोई जाति नहीं होती.
अपराधी विकास दुबे ने ज्यादातर हत्याएं ब्राह्मणों की ही की हैं. बावजूद इसके तमाम लोग सोशल मीडिया पर कटाक्ष कर रहे हैं. सरकार से सवाल कर रहे हैं. ऐसे में पार्टी के योगेंद्र उपाध्याय को यह दायित्व सौंपने के निर्णय को कहीं न कहीं ब्राह्मणों में संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक मनोज भद्रा का कहना है कि वैसे तो यह कोई इतना बड़ा पद नहीं है, लेकिन कानपुर कांड को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव हों, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती हों या फिर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद सबने भारतीय जनता पार्टी की योगी आदित्यनाथ सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. मायावती ने तो ब्राह्मणों की प्रताड़ना की बात तक कही. ऐसे में पार्टी के पास यह पहला मौका था, जिसमें वह कुछ संदेश दे सकती थी. शायद इसीलिए पार्टी नेतृत्व ने यह कदम उठाया है, ताकि ब्राह्मणों में एक संदेश जाए कि भाजपा उनकी पार्टी है.