लखनऊ : किसी के पिता ट्रक ड्राइवर हैं तो माता किसान, कोई घर में अकेला कमाने वाला है तो किसी के पास रहने को मकान नहीं है. परिस्थितियों के विपरीत होने के बावजूद अब यही बेटे सेना में शामिल होकर देश की शान बढ़ाने का जज्बा लेकर लखनऊ के एएससी सेंटर के बाहर पहुंचे हैं. तीन दिनों से चल रही अग्निवीर भर्ती (Agniveer Recruitment 2023) में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए युवक मैदान पर अपना दमखम दिखा रहे हैं.
छोटी उम्र में उठ गया पिता का साया, मां ने काबिल बनाया : कानपुर के अभ्यर्थी रवींद्र कुमार जब सिर्फ नौ साल के थे तभी पिता का साया सिर से उठ गया था. घर में सिर्फ माता ही हैं. घर की कंडीशन भी अच्छी नहीं है, लेकिन सीने में देश सेवा का जुनून ऐसा है कि हरहाल में अग्निवीर बनना ही है. रविंद्र ने "ईटीवी भारत" से बातचीत करते हुए बताया कि बचपन से मेरा जुनून फौज में जाने का था. देश सेवा करने का मौका एक साल का हो या चार साल का. अग्निवीर से बेहतर विकल्प हो ही नहीं सकता. देश सेवा के लिए फौज से बेहतर कुछ है ही नहीं. अग्निवीर भर्ती बहुत अच्छी प्रक्रिया है. इस भर्ती के लिए पिछले छह माह से तैयारी कर रहे थे. अब भर्ती रैली के कई राउंड पार कर लिए हैं. उम्मीद है कि सेना में भर्ती जरूर हो जाऊंगा. मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि चार साल में देश सेवा करने के बाद वापस न होने पाऊं, बल्कि उन 25 परसेंट अग्नि वीरों में शामिल रहूं जो आगे तक सेना में रह सकें. अगर वापस भी आना पड़ गया तो भी अन्य युवाओं की तुलना में अग्निवीर बनने के बाद वापस आने वाले युवा अलग ही होंगे. उन्हें पैरामिलिट्री फोर्स, पुलिस के साथ ही अन्य सरकारी नौकरियों में भी अलग से कोटा मिलेगा तो हमारे लिए यह बहुत अच्छा है.
पिता चलाते हैं ट्रक, मां करती है खेती, बेटे की ख्वाहिश बने अग्निवीर : कानपुर से भर्ती रैली में हिस्सा लेने आए सुमित कुमार के पिता ट्रक ड्राइवर हैं और माता किसान, लेकिन बेटा देश सेवा कर बढ़ाना चाहता है देश की शान. अपने ट्रक ड्राइवर पिता और किसान मां का नाम. "ईटीवी भारत" से बातचीत के दौरान सुमित बताते हैं कि अग्निवीर बनने के लिए काफी मेहनत की है. पहले रिटेन क्वालीफाई किया. उसके बाद दौड़ने में खूब मेहनत की, पसीना बहाया और इस ग्राउंड का ट्रैक अच्छा है इसलिए दौड़ने में कोई दिक्कत भी नहीं हुई. मेरे अंदर काबिलियत होगी तो फौज को ही हमें लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. हम अपने आपको इतना मजबूत कर लेंगे कि सेना में ही भर्ती हो जाएं. अगर डिसक्वालीफाई हुए तो फिर अन्य जो भर्ती निकलती हैं उसमें हमें 10 परसेंट का कोटा मिलेगा तो वहां क्वालीफाई कर जाएंगे.
पहले रेस से हो गया बाहर, अब मार लिया मैदान : कानपुर से लखनऊ अग्निवीर भर्ती रैली में हिस्सा लेने आए आशुतोष अग्निहोत्री का कहना है कि पिता किसान हैं. मां घर का काम करती हैं और मेरी बड़ी बहन भी सेना भर्ती की ही तैयारी कर रही है. मेरी कामना थी कि मैं देश सेवा कर सकूं और इसके लिए मैंने खूब मेहनत भी की है. जब 12वीं में पढ़ रहा था तभी से तैयारी शुरू कर दी है. अब ग्रेजुएशन पूरा हो चुका है. अभी सफलता नहीं मिली, लेकिन अब पूरी उम्मीद है. इससे पहले कानपुर में मैं भर्ती में हिस्सा लिया था लेकिन मेरी रेस क्वालीफाई नहीं हो पाई थी लेकिन मेरे अंदर जोश था मैं और मेहनत की और अब मैं क्वालीफाई हो गया. युवाओं से मैं कहना चाहता हूं बिल्कुल निराश न हों. यह सोचकर भर्ती रैली में हिस्सा न लेने आएं कि सिर्फ चार साल के लिए ही नौकरी मिलेगी. 25 फीसद में शामिल होकर आगे तक के लिए सेना में रहने के बारे में सोचकर आएं. अगर 25 प्रतिशत में सेलेक्ट न भी हुए तो पैरामिलिट्री फोर्स में भी हमें सेलेक्ट होने का पूरा मौका मिलेगा. उसमें भी हमें 10 परसेंट का अलग से कोटा मिलेगा.
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