लखनऊ : नेशनल सेंटर ऑफ कॉस्मोलॉजी (National Center of Cosmology) ने कहा है कि कारगिल, लद्दाख से 191 किलोमीटर दूर उत्तर में रिक्टर स्केल पर 4.3 सप्ताह वाला भूकंप दर्ज किया गया. भूकंप सुबह 10:05 पर आया था. गौरतलब है कि इंडोनेशिया में मुख्य द्वीप जावा में सोमवार की रात को 5.6 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें कम से कम 162 लोगों की मौत हो गई थी, साथ ही 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे. यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, भूकंप पश्चिमी जावा सियांजुर 10 किलोमीटर की गहराई में आया था. एक्सपर्ट का कहना है कि कारगिल में जो भूकंप सुबह महसूस किया गया, इसके बाद का आफ्टर शॉक (छोटा भूकंप) है.
लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभाग के प्रोफेसर डॉ अजय आर्य (Dr. Ajay Arya, Professor, Department of Geology) ने बताया कि सोमवार को इंडोनेशिया में जो भी भूकंप आया है, उसके बाद लगभग 25 से अधिक झटके महसूस किए गए. मंगलवार की सुबह-सुबह कारगिल व हिमालय के क्षेत्र में जो भूकंप आया है, संभवत: वह भी इसी के कारण ही आया है.
प्रोफेसर आर्य ने बताया कि इसके पहले पूर्व में भी लगातार कुछ दिनों में रहकर भूकंप के झटके नेपाल से सटे अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर महसूस किए गए थे. उत्तराखंड उसके आसपास में आए भूकंप के झटके दिल्ली तक महसूस किए गए थे. यह एक बड़ी भूगर्भीय घटना है और संभवत: यह प्लेट्स का एडजस्टमेंट चल रहा है, जिसकी वजह से यह आफ्टरशॉक्स आ रहे हैं. यह एक चिंता का विषय है. भूकंप का आबादी के क्षेत्र में आना ज्यादा नुकसानदायक है. अगले दो-तीन दिन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, विशेषकर हिमालय क्षेत्र हैं. हिमालय के क्षेत्र एक बड़े भूकंपीय फॉल्टलाइन पर स्थित हैं. वहां पर संभवत: एनर्जी अभी पूरी तरह से नहीं बाहर निकली है. इसलिए ऐसे भूकंप आ रहे हैं, वहां भूकंप आने की संभावना है. ऐसे में आसपास के लोग सतर्क रहें और किसी भी प्रकार का कंपन्न महसूस होने पर तुरंत घर के बाहर आएं. यदि वह घर से बाहर आने में असमर्थ हों, तो घर की जो दो दीवारें मिलती हैं उसके कॉर्नर पर या किसी मजबूत टेबल के नीचे छिपकर अपने आप को बचाएं.
प्रोफेसर आर्य ने बताया कि कालांतर में भी ऐसे भूकंप आते रहे हैं, लेकिन गणना कर पाना कि भूकंप कब आएगा यह संभव नहीं है. जिस हिसाब से बीते कुछ समय में पूरे उत्तर भारत व एशिया के प्लेट पर झटके आ रहे हैं, लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है.
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