लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पेपरलेस वर्किंग को बढावा देते हुए खरीद-फरोख्त में उपयोग में लाए जाने वाले स्टांप पेपर को बंद करने का फैसला किया है. इसके साथ अब प्रदेश में ई-स्टांप के माध्यम से रजिस्ट्री नोटरी व अन्य तरह के कामकाज किए जाएंगे.
इसके लिए स्टांप एवं पंजीयन विभाग की तरफ से ई-स्टांपिंग की सुविधा शुरू की जाएगी और इसके लिए प्रदेश में दस हजार लोगों को रोजगार भी मिलेगा. दस हजार लोगों को स्टांप एवं पंजीयन विभाग स्टांप विक्रेता नियुक्त करेगा. इसको को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं.
उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रविंद्र जायसवाल ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश में सभी प्रकार के कामकाज में उपयोग होने वाले स्टांप की जगह ई-स्टांप की व्यवस्था शुरू कर रहे हैं. इसके लिए प्रदेश भर में अभी 10,000 लोगों को रोजगार देते हुए उन्हें ई-स्टांप विक्रेता नियुक्त किया जाएगा.
इसके लिए उन्हें कमीशन देते हुए रोजगार से जोड़ा जाएगा. फिलहाल उत्तर प्रदेश की तमाम ट्रेजरी में करीब 15,000 करोड़ रुपये के स्टांप पेपर हैं. उन्हें बेचकर खत्म किया जाएगा और धीरे-धीरे करके ई-स्टांप की व्यवस्था को रफ्तार पकड़ाया जाएगा. मंत्री रविंद्र जायसवाल के मुताबिक इस स्टांप व्यवस्था को रफ्तार देने के लिए 10,000 कंप्यूटर दक्ष नवयुवक और नवयुवतियों को इस काम में लगाया जाएगा.
विभाग के अधिकारियों के अनुसार स्टांप व्यवस्था के लिए नियुक्त किए जाने वाले स्टांप विक्रेताओं को कमीशन के रूप में 1 लाख रुपये की ई-स्टांपिंग पर 115 रुपये मिलेंगे. इसके अलावा अधिकारियों के मुताबिक स्टांप पेपर की व्यवस्था बंद करने से छपाई व ढुलाई आदि में करीब 100 करोड़ रुपये वार्षिक की बचत होगी.