लखनऊ : आम आदमी पार्टी ( Aam Aadmi Party) का जादू दिल्ली में खूब चला. पंजाब और उत्तराखंड में भी पार्टी अपना जनाधार बढ़ा रही है लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की राह आसान नहीं होगी. राजनीतिक पंडितों की मानें तो पार्टी को अभी जमीन पर काम करने की जरूरत है.
लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर संजय गुप्ता कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल की तरफ से 300 यूनिट फ्री बिजली, रोजगार गारंटी जैसे वादे लोगों को लुभा जरूर रहे हैं लेकिन इसे वोट में तब्दील होने में अभी समय लगेगा. उनकी माने तो शायद यही वजह है जिसके चलते सपा के साथ गठबंधन की बात होते-होते रह गई.
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उनका कहना है कि धरातल पर अभी पार्टी का इतना प्रभाव नजर नहीं आ रहा है. यह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए चिंतनीय विषय है. हालांकि, प्रोफेसर संजय गुप्ता कहते हैं कि चुनाव से पहले ( pre poll alliance) भले ही सहमति बनना पाई हो लेकिन चुनाव के बाद ( post poll alliance) महागठबंधन की संभावनाओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां भी सभी पार्टियां चुनाव भले ही अलग-अलग लड़ी हो लेकिन बाद में सरकार बनाने के लिए सब एक मंच पर आ गई.
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यह पहली बार है जब उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अपने प्रत्याशी उतारने जा रही है. पार्टी की तरफ से सांसद संजय सिंह को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई है.
सूत्र बताते हैं कि पार्टी से टिकट पाने की आस में बीते दिनों बड़ी संख्या में लोगों ने जुड़ना शुरू किया. उम्मीद थी कि वह पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ सकेंगे लेकिन, समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की चर्चाओं से इन्हें काफी झटका दिया.
पार्टी के सूत्रों की मानें तो बीते दिनों समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की चर्चाओं के चलते कई नेता और कार्यकर्ता ठंडे पड़ गए थे. सीटों के बंटवारे को लेकर लगातार कयास लगाए जाने लगे थे. इसके चलते कई लोग टिकट की उम्मीद ही छोड़ चुके हैं.
हालांकि, समाजवादी पार्टी से गठबंधन की बात ना बन पाने के बाद पार्टी की तरफ से सभी 403 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का दावा एक बार फिर से किया गया है.
आगामी 2 जनवरी को पार्टी की तरफ से लखनऊ में राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की महारैली भी प्रस्तावित है. जिसमें वह युवाओं के लिए रोजगार की गारंटी की घोषणा कर सकते हैं.
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