सुकमा: कोरोना संक्रमण के चलते देश में तीसरे चरण का लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन में काम बंद होने पर मजदूर वर्ग के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है. काम बंद होने के कारण लोग अब अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं. ऐसा ही नजारा सुकमा में देखने को मिला. काम बंद हुआ, किराया नहीं देने पर मकान मालिक ने घर से निकाल दिया. जिसके बाद शख्स अपने भाई और पत्नी को लेकर गांव लौट पड़ा. ये तीन लोग एक मोपेड वाहन पर सवार होकर तमिलनाडू से करीब 1200 किलोमीटर का सफर तय कर सुकमा पहुंचे थे. इन्हें अभी उत्तर प्रदेश के इटावा तक का सफर तय करना बाकी है.
मोपेड जैसी छोटी गाड़ी पर जहां दो लोगों का बैठना मुश्किल है, उस पर तीन सवारी को बैठकर इतना लंबा सफर तय करना कितना मुश्किल भरा होगा, इसका सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है. उत्तर प्रदेश के रहने वाले शिव कुमार अपनी बीवी मंजू और भाई पिंकू के साथ दक्षिण के अलग-अलग राज्यों में रहकर कपड़े का व्यापार करते थे. 6 महीने पहले ही वह अपने परिवार के साथ तमिलनाडू में शिफ्ट हुए थे. जहां वे गांव-कस्बों में कपड़े का व्यापार करते थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण वे डेढ़ महीने से इस उम्मीद में थे कि जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा. किसी तरह घर बैठकर दिन काट रहे थे. लेकिन जब एक बार फिर लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ा दिया गया तो शिव कुमार का सब्र टूट गया. कोई रास्त नहीं दिखा तो मोपेड पर पत्नी मंजू और भाई पिंकू को लेकर वह अपने घर के लिए निकल पड़े.
किराया नहीं दिया तो मकान मालिक ने खाली करा दिया घर-
शिव कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के कारण डेढ़ माह से कपड़े का व्यापार बंद हो गया है. घर से बाहर निकला बंद है. वहीं पैसों की किल्लत होने लगी थी. घर में खाने के लाले पड़ गये थे. घर का किराया भी नहीं चुका पाये तो मकान मालिक ने बाहर निकाल दिया. मई 3 के बाद हालात सुधरने की उम्मीद थी, लेकिन लॉकडाउन बढ़ जाने से परेशानियां भी बढ़ गईं. मकान मालिक ने घर खाली करने को कह दिया. जिसके बाद कोई रास्ता भी नहीं दिखा. बस वे मोपेड से ही घर वापसी का फैसला कर लिए.
1600 किलोमीटर का सफर अभी बाकी-
शिव कुमार अपने परिवार के साथ तीन दिन पहले तमिलनाडु से निकले हैं. तीन दिन में दो राज्यों को पार किया. करीब 1200 किलो मीटर का सफर तय कर शनिवार 11 बजे शिव कुमार सुकमा पहुंचे. छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश की सीमा पर कोंटा में उनका स्वास्थ्य परिक्षण किया गया और खाने के लिए बिस्किट दिया गया.
शिव कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश के इटावा पहुंचने में अभी चार दिन और लगेंगे. करीब 1600 किलो मीटर का सफर उन्हें और तय करना है. उनका कहना था कि रास्ते में किसी भी सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. वे रास्ते में किसी से मदद मांगते आ रहे हैं. इस दौरान आसपास घरों के लोग कुछ खाने को दे देते हैं. जिससे उनका गुजारा होता है.
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