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लखनऊ की सुंदरता पर दाग बनी अवैध होर्डिंग्स, अफसर नहीं करते कार्रवाई

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अवैध रूप से लगने वाली होर्डिंग्स पर प्रशासनिक अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. नगर निगम प्रशासन की तरफ से सिर्फ यूनीपोल या अन्य तरह के नीचे से बने स्ट्रक्चर पर पंजीकरण कराने के बाद ही होर्डिंग लगाने की अनुमति दी जाती है. होर्डिंग्स लगाने के लिए जमीन से स्ट्रक्चर बनाना अनिवार्य होता है.

जर्जर इमारत पर लगी अवैध होर्डिंग.
जर्जर इमारत पर लगी अवैध होर्डिंग.
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Published : Nov 18, 2020, 3:29 PM IST

Updated : Nov 19, 2020, 3:11 PM IST

लखनऊ: प्रदेश की राजधानी में शासन की आंख के सामने अवैध होर्डिंग का कारोबार फल-फूल रहा है. इन्हें हटाए जाने को लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण और नगर निगम प्रशासन की तरफ से तमाम बार दावे तो किए गए, लेकिन धरातल पर शहर में हर तरफ घरों पर या अन्य इमारतों पर अवैध होर्डिंग साफ-साफ नजर आती हैं.

राजधानी में फल-फूल रहा अवैध होर्डिंग्स का कारोबार.

बिगड़ रही है शहर की सुंदरता
घरों पर या अन्य बिल्डिंगों पर इन अवैध होर्डिंग के लगे होने से शहर की सुंदरता पर भी बदनुमा दाग भी लग रहा है. इसके बावजूद इस पर गंभीरता से अधिकारी कार्रवाई नहीं करते हैं. राजधानी में कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध होर्डिंग्स का कारोबार करने वालों से पैसे लेकर इसे संरक्षण दिया जा रहा है. शासन स्तर से ढिलाई ने इस कारोबार को और अधिक मजबूती दी है तो कमाई भी बढ़ी है.

जर्जर इमारत पर लगी अवैध होर्डिंग.
जर्जर इमारत पर लगी अवैध होर्डिंग.

सरकार को उठाना पड़ रहा नुकसान
अवैध होर्डिंग के कारोबार से राज्य सरकार को भी करोड़ों रुपये का सालाना नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. बावजूद इसके अधिकारी अवैध होर्डिंग के खिलाफ बड़े स्तर पर अभियान नहीं चला पा रहे हैं. कभी-कभार जब अभियान चलता है तो इन अवैध होर्डिंग को हटाया जाता है, लेकिन दो-चार दिन के बाद ही फिर से तमाम इलाकों में वही पुराना नजारा नजर आने लगता है.

अधिकारी कर्मचारियों की मोटी हो रही है जेब
सूत्र बताते हैं कि अवैध होर्डिंग्स के कारोबार को संरक्षण देने के चलते अधिकारियों और कर्मचारियों की जेब जरूर मोटी होती है. ऐसी स्थिति में यह लोग बड़े स्तर पर अवैध होर्डिंग के खिलाफ कार्रवाई से हमेशा बचते हैं. सूत्र बताते हैं कि अधिकारी राजस्व वसूली में ध्यान देने की बजाय अवैध होर्डिंग्स सिंडिकेट को ही ज्यादा संरक्षण देते हैं.

यूनीपोल वाली होर्डिंग होती हैं वैध
सिर्फ यूनीपोल या अन्य तरह के नीचे से बने स्ट्रक्चर पर नगर निगम प्रशासन द्वारा पंजीकरण कराने के बाद ही होर्डिंग लगाने की अनुमति दी जाती है. होर्डिंग्स लगाने के लिए जमीन से स्ट्रक्चर बनाना अनिवार्य होता है. जिसमें मुख्य रुप से यूनीपोल शामिल है, लेकिन किसी भी आवासीय घर या रेजिडेंशियल बिल्डिंग या अन्य किसी भी तरह की इमारतों की छतों पर लगाए जाने वाली होर्डिंग्स पूरी तरह से अवैध मानी जाती हैं. इनसे सरकार को एक भी रुपये का राजस्व नहीं मिलता है.

'अवैध होर्डिंग्स हटाने के दिये गए हैं निर्देश'
अपर नगर आयुक्त अमित कुमार अवैध होर्डिंग कारोबार को संरक्षण देने के सवाल पर कहते हैं कि नगर निगम के अंतर्गत जिन मार्गों पर अवैध होर्डिंग लगाई गई हैं, उन्हें हटाए जाने का आदेश दिया गया है. इसके अलावा लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा भवनों पर लगाई गई अवैध होर्डिंग को हटाए जाने की कार्रवाई समय-समय पर होती है. राजधानी में अभियान चलाकर अवैध होर्डिंग के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.

'टैक्स चोरी पर एफआईआर भी कराते हैं'
वहीं दूसरी तरफ राजस्व के नुकसान पर वह कहते हैं कि नगर निगम के स्तर पर पंजीकरण या टेंडर आदि से जो होर्डिंग लगाने की अनुमति दी जाती है. उनसे जो राजस्व आता है, उसके वसूले जाने के लिए कार्रवाई होती है. इसके अलावा जहां पर भी टैक्स चोरी की बात सामने आती है, वहां पर भी कार्रवाई की जाती है. ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर भी कराई जाती है.

लखनऊ: प्रदेश की राजधानी में शासन की आंख के सामने अवैध होर्डिंग का कारोबार फल-फूल रहा है. इन्हें हटाए जाने को लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण और नगर निगम प्रशासन की तरफ से तमाम बार दावे तो किए गए, लेकिन धरातल पर शहर में हर तरफ घरों पर या अन्य इमारतों पर अवैध होर्डिंग साफ-साफ नजर आती हैं.

राजधानी में फल-फूल रहा अवैध होर्डिंग्स का कारोबार.

बिगड़ रही है शहर की सुंदरता
घरों पर या अन्य बिल्डिंगों पर इन अवैध होर्डिंग के लगे होने से शहर की सुंदरता पर भी बदनुमा दाग भी लग रहा है. इसके बावजूद इस पर गंभीरता से अधिकारी कार्रवाई नहीं करते हैं. राजधानी में कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध होर्डिंग्स का कारोबार करने वालों से पैसे लेकर इसे संरक्षण दिया जा रहा है. शासन स्तर से ढिलाई ने इस कारोबार को और अधिक मजबूती दी है तो कमाई भी बढ़ी है.

जर्जर इमारत पर लगी अवैध होर्डिंग.
जर्जर इमारत पर लगी अवैध होर्डिंग.

सरकार को उठाना पड़ रहा नुकसान
अवैध होर्डिंग के कारोबार से राज्य सरकार को भी करोड़ों रुपये का सालाना नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. बावजूद इसके अधिकारी अवैध होर्डिंग के खिलाफ बड़े स्तर पर अभियान नहीं चला पा रहे हैं. कभी-कभार जब अभियान चलता है तो इन अवैध होर्डिंग को हटाया जाता है, लेकिन दो-चार दिन के बाद ही फिर से तमाम इलाकों में वही पुराना नजारा नजर आने लगता है.

अधिकारी कर्मचारियों की मोटी हो रही है जेब
सूत्र बताते हैं कि अवैध होर्डिंग्स के कारोबार को संरक्षण देने के चलते अधिकारियों और कर्मचारियों की जेब जरूर मोटी होती है. ऐसी स्थिति में यह लोग बड़े स्तर पर अवैध होर्डिंग के खिलाफ कार्रवाई से हमेशा बचते हैं. सूत्र बताते हैं कि अधिकारी राजस्व वसूली में ध्यान देने की बजाय अवैध होर्डिंग्स सिंडिकेट को ही ज्यादा संरक्षण देते हैं.

यूनीपोल वाली होर्डिंग होती हैं वैध
सिर्फ यूनीपोल या अन्य तरह के नीचे से बने स्ट्रक्चर पर नगर निगम प्रशासन द्वारा पंजीकरण कराने के बाद ही होर्डिंग लगाने की अनुमति दी जाती है. होर्डिंग्स लगाने के लिए जमीन से स्ट्रक्चर बनाना अनिवार्य होता है. जिसमें मुख्य रुप से यूनीपोल शामिल है, लेकिन किसी भी आवासीय घर या रेजिडेंशियल बिल्डिंग या अन्य किसी भी तरह की इमारतों की छतों पर लगाए जाने वाली होर्डिंग्स पूरी तरह से अवैध मानी जाती हैं. इनसे सरकार को एक भी रुपये का राजस्व नहीं मिलता है.

'अवैध होर्डिंग्स हटाने के दिये गए हैं निर्देश'
अपर नगर आयुक्त अमित कुमार अवैध होर्डिंग कारोबार को संरक्षण देने के सवाल पर कहते हैं कि नगर निगम के अंतर्गत जिन मार्गों पर अवैध होर्डिंग लगाई गई हैं, उन्हें हटाए जाने का आदेश दिया गया है. इसके अलावा लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा भवनों पर लगाई गई अवैध होर्डिंग को हटाए जाने की कार्रवाई समय-समय पर होती है. राजधानी में अभियान चलाकर अवैध होर्डिंग के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.

'टैक्स चोरी पर एफआईआर भी कराते हैं'
वहीं दूसरी तरफ राजस्व के नुकसान पर वह कहते हैं कि नगर निगम के स्तर पर पंजीकरण या टेंडर आदि से जो होर्डिंग लगाने की अनुमति दी जाती है. उनसे जो राजस्व आता है, उसके वसूले जाने के लिए कार्रवाई होती है. इसके अलावा जहां पर भी टैक्स चोरी की बात सामने आती है, वहां पर भी कार्रवाई की जाती है. ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर भी कराई जाती है.

Last Updated : Nov 19, 2020, 3:11 PM IST
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