लखनऊ: कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के बीच अपर मुख्य सचिव मोनिका एस गर्ग ने अप्रैल में प्रदेश स्थित विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, उच्च शिक्षण संस्थान के संचालन के संबंध में गुरुवार को दिशा निर्देश जारी किए हैं. इनमें विश्वविद्यालयों महाविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों का संचालन संबंधित कुलपति की संस्तुति पर जिलाधिकारी द्वारा स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए करने की छूट दी गई है.
इनका करना होगा पालन
यदि स्थलीय परिस्थितियों के दृष्टिगत कुलपति और जिलाधिकारी किसी शिक्षण संस्थान को भौतिक रूप से बन्द करने का निर्णय लेते हैं तो वह निर्धारित शर्तों के अधीन होगा. यह शर्तें इस प्रकार हैं...
- स्थानीय स्तर पर निर्धारित अवधि में कक्षाएं और शिक्षण कार्य संस्थान परिसर में न होकर ऑनलाइन संचालित किए जाएंगे.
- जिन संस्थानों में परीक्षाएं, प्रयोगात्मक परीक्षाएं चल रही हैं, वहां पर निर्धारित परीक्षाएं यह प्रयोगात्मक परीक्षाएं यथावत संचालित की जाएंगी.
- समय-समय पर निर्गत कोविड -19 एसओपी ( मानक संचालन प्रक्रिया ) मास्क का अनिवार्य प्रयोग, शारीरिक दूरी बनाए रखना, परिसर का सेनेटाइजेशन आदि निर्देशों का सदैव कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए.
- विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, शिक्षण संस्थान को परीक्षा की हर पाली से पूर्व पूरी तरह से सेनिटाइज किया जाए.
- विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, शिक्षण संस्थान में सोशल डिस्टेन्सिंग के साथ-साथ हैण्डवाश, हैंड सेनिटाइज कराने के पश्चात ही छात्रों को प्रवेश दिया जाए. संस्थान में यदि एक से अधिक प्रवेश द्वार हैं, तो उनका उपयोग सुनिश्चित किया.
- परिसर में अन्दर और बाहर आने-जाने वालों के लिए कतार का प्रबन्ध सुनिश्चित किया जाए, जिसमें छह फीट की दूरी पर विशिष्ट चिह्न बनाए जाएं.
- बायोमैट्रिक्स उपस्थिति के बजाय सम्पर्क रहित उपस्थिति के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाए.
- संस्थान में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को मास्क पहनना अनिवार्य होगा. इस के लिए पूर्व से ही अतिरिक्त मात्रा में मास्क उपलब्ध रखे जाएं.
- क्लास रूम में छात्रों को 06 फीट की दूरी पर बैठाते हुए सोशल डिस्टेन्सिंग का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए.
- शिक्षक, छात्रों, कार्मिकों के लिए रूमाल या टिशू पेपर या कोहनी में खांसने या छींकने तथा चेहरा, आख, मुंह, नाक और कान को छूने से बचने के लिए जागरूक किया जाए.
- छात्रों और स्टाफ में कोविड के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल उसकी जांच करायी जाए और परिणाम का अभिलेखीकरण सुनिश्चित किया जाए.