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अडानी ग्रुप ने नियामक आयोग में दाखिल किया जवाब, उपभोक्ता परिषद ने की आयोग से ये मांग

सोमवार को अडानी ग्रुप (Adani Transmission Limited) ने यूपी विद्युत नियामक आयोग ( UP Electricity Regulatory Commission) में जवाब दाखिल किया. आयोग ने अडानी ग्रुप की याचिका पर अनेकों तकनीकी व वित्तीय मापदंडी पर सवाल खड़ा करते हुए 15 दिन में रिपोर्ट तलब की थी.

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Published : Jun 13, 2023, 6:57 AM IST

लखनऊ: पिछले दिनों यूपी विद्युत नियामक आयोग में अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की तरफ से गौतमबुद्ध नगर व म्युनिसिपल कारपोरेशन गाजियाबाद के लिए दाखिल समानांतर विद्युत वितरण लाइसेंस की याचिका की स्वीकार्यता पर आयोग की तरफ से सुनाए गए फैसले पर अडानी ग्रुप की तरफ से जवाब दाखिल किया गया है. विद्युत नियामक आयोग ने अडानी ग्रुप की याचिका पर अनेकों तकनीकी व वित्तीय मापदंडी पर सवाल खड़ा करते हुए 15 दिन में रिपोर्ट तलब की थी. अब अडानी ग्रुप ने जवाब दाखिल कर सुनवाई की मांग की है.


उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह, सदस्य बीके श्रीवास्तव व संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर लोक महत्व याचिका दाखिल कर यह मांग की है कि विद्युत नियामक आयोग अडानी ग्रुप की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में सौपे गए जवाब को जनहित में सार्वजनिक करे. पब्लिक डोमेन में डालें जिससे उत्तर प्रदेश की जनता भी जान सके कि अडानी ग्रुप अपने वित्तीय पैरामीटर पर क्या कहना चाहता है?

उपभोक्ता परिषद ने आयोग से इस बात पर भी कठोर कार्रवाई की मांग उठाई जिसमें विद्युत नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन से नोएडा व गाजियाबाद क्षेत्र में अनेकों तकनीकी व वित्तीय पैरामीटर पर जानकारी मांगी गई थी. उपभोक्ता परिषद ने आयोग के चेयरमैन के सामने यह मुद्दा उठाया कि पावर कारपोरेशन जिस प्रकार से चुपचाप तमाशा देख रहा है और याचिका में शामिल तक नहीं हुआ और अब उस क्षेत्र से संबंधित जानकारी देने में भी देरी कर रहा है जिससे यह साबित होता है कि पावर कारपोरेशन दबाव में काम कर रहा है. ये जनहित में नहीं है.

अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यह बडे दुर्भाग्य की बात है कि गाजियाबाद कारपोरेशन व नोएडा क्षेत्र के लिए अडानी ग्रुप की तरफ से वितरण का समानांतर लाइसेंस मांगा गया है और पावर कारपोरेशन जो वर्तमान में उस क्षेत्र में काम कर रहा है वह चुप्पी साधे हुए है. न पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम याचिका में शामिल हुआ और न ही पावर कारपोरेशन. ऐसे में विद्युत नियामक आयोग को अडानी ग्रुप के सभी जवाबों को पब्लिक डोमेन में डालकर सार्वजानिक करना चाहिए

बता दें कि आयोग ने अपने फैसले में अदानी ग्रुप की याचिका पर जो सवाल उठाए गए थे उसमें अडानी ग्रुप की कुल असेट 12666.37 करोड़ और देनदारी 8689.56 करोड़ थी. अडानी ट्रांसमिशन कंपनी (Adani Transmission Limited) ने अन सिक्योर इक्विटी इंस्ट्रूमेंट में 3131.28 करोड़ दिखाया है,. जो कि देनदारी में शामिल है. इस प्रकार अदानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की कुल देनदारी 11820.84 करोड़ होगी. अब अगर अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की शुद्ध संपत्ति में से कुल नेट वर्थ निकाली जाएगी, तो वह लगभग 846 करोड़ होगी. वहीं भारत सरकार की तरफ से जारी रूल के तहत ट्रांसमिशन लिमिटेड ने जो वितरण नेटवर्क पर खर्च करने की कुल लागत दिखाई है, वह लगभग 4865 करोड़ है.

इसके हिसाब से अगर इसकी 30 परसेंट नेट वर्थ निकाली जाए, तो वह लगभग 1459 करोड़ होगी, जो अडानी की कुल नेटवर्थ 846 करोड़ से कहीं ज्यादा है. ऐसे में वित्तीय मानक पर भी अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड को लाइसेंस नहीं मिल सकता.

ये भी पढ़ें- वरिष्ठ अधिवक्ता का अश्लील वीडियो वायरल, मेरठ बार एसोसिएशन ने रद्द की सदस्यता

लखनऊ: पिछले दिनों यूपी विद्युत नियामक आयोग में अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की तरफ से गौतमबुद्ध नगर व म्युनिसिपल कारपोरेशन गाजियाबाद के लिए दाखिल समानांतर विद्युत वितरण लाइसेंस की याचिका की स्वीकार्यता पर आयोग की तरफ से सुनाए गए फैसले पर अडानी ग्रुप की तरफ से जवाब दाखिल किया गया है. विद्युत नियामक आयोग ने अडानी ग्रुप की याचिका पर अनेकों तकनीकी व वित्तीय मापदंडी पर सवाल खड़ा करते हुए 15 दिन में रिपोर्ट तलब की थी. अब अडानी ग्रुप ने जवाब दाखिल कर सुनवाई की मांग की है.


उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह, सदस्य बीके श्रीवास्तव व संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर लोक महत्व याचिका दाखिल कर यह मांग की है कि विद्युत नियामक आयोग अडानी ग्रुप की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में सौपे गए जवाब को जनहित में सार्वजनिक करे. पब्लिक डोमेन में डालें जिससे उत्तर प्रदेश की जनता भी जान सके कि अडानी ग्रुप अपने वित्तीय पैरामीटर पर क्या कहना चाहता है?

उपभोक्ता परिषद ने आयोग से इस बात पर भी कठोर कार्रवाई की मांग उठाई जिसमें विद्युत नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन से नोएडा व गाजियाबाद क्षेत्र में अनेकों तकनीकी व वित्तीय पैरामीटर पर जानकारी मांगी गई थी. उपभोक्ता परिषद ने आयोग के चेयरमैन के सामने यह मुद्दा उठाया कि पावर कारपोरेशन जिस प्रकार से चुपचाप तमाशा देख रहा है और याचिका में शामिल तक नहीं हुआ और अब उस क्षेत्र से संबंधित जानकारी देने में भी देरी कर रहा है जिससे यह साबित होता है कि पावर कारपोरेशन दबाव में काम कर रहा है. ये जनहित में नहीं है.

अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यह बडे दुर्भाग्य की बात है कि गाजियाबाद कारपोरेशन व नोएडा क्षेत्र के लिए अडानी ग्रुप की तरफ से वितरण का समानांतर लाइसेंस मांगा गया है और पावर कारपोरेशन जो वर्तमान में उस क्षेत्र में काम कर रहा है वह चुप्पी साधे हुए है. न पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम याचिका में शामिल हुआ और न ही पावर कारपोरेशन. ऐसे में विद्युत नियामक आयोग को अडानी ग्रुप के सभी जवाबों को पब्लिक डोमेन में डालकर सार्वजानिक करना चाहिए

बता दें कि आयोग ने अपने फैसले में अदानी ग्रुप की याचिका पर जो सवाल उठाए गए थे उसमें अडानी ग्रुप की कुल असेट 12666.37 करोड़ और देनदारी 8689.56 करोड़ थी. अडानी ट्रांसमिशन कंपनी (Adani Transmission Limited) ने अन सिक्योर इक्विटी इंस्ट्रूमेंट में 3131.28 करोड़ दिखाया है,. जो कि देनदारी में शामिल है. इस प्रकार अदानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की कुल देनदारी 11820.84 करोड़ होगी. अब अगर अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की शुद्ध संपत्ति में से कुल नेट वर्थ निकाली जाएगी, तो वह लगभग 846 करोड़ होगी. वहीं भारत सरकार की तरफ से जारी रूल के तहत ट्रांसमिशन लिमिटेड ने जो वितरण नेटवर्क पर खर्च करने की कुल लागत दिखाई है, वह लगभग 4865 करोड़ है.

इसके हिसाब से अगर इसकी 30 परसेंट नेट वर्थ निकाली जाए, तो वह लगभग 1459 करोड़ होगी, जो अडानी की कुल नेटवर्थ 846 करोड़ से कहीं ज्यादा है. ऐसे में वित्तीय मानक पर भी अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड को लाइसेंस नहीं मिल सकता.

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