लखनऊ: एड्स रोग को एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति के माध्यम से भी दूर किया जाता है लेकिन कुछ लोगों में एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां बनी हुई हैं. इसी सिलसिले में ईटीवी भारत ने एक्यूपंक्चर साइंस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी और राणाजीत मेमोरियल हॉस्पिटल एंड एक्यूपंक्चर योगा नेचरोपैथी कॉलेज ऑफ़ रिसर्च कोलकाता के डायरेक्टर देबाशीष बख्शी से खास बातचीत की.
डॉ. देवाशीष ने जानकारी देते हुए बताया कि
एचआईवी और एड्स को लेकर एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति में इलाज के लिए जो तकनीक अपनाई जाती है, उसे लेकर लोगों के मन में बहुत सी भ्रांतियां फैली हुई है. इस चिकित्सा पद्धति में इस्तेमाल होने वाली सुई से एड्स होने का खतरा बढ़ सकता है, जो कि बिल्कुल गलत है. एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति विश्व की सबसे सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है. आज तक इसको लेकर किसी भी तरह के इंफेक्शन या साइड इफेक्ट सामने नहीं आए हैं. एक्यूपंक्चर शरीर की हर बीमारी के इलाज में काफी हद तक कारगर साबित होता है, फिर चाहे वह बीमारी कितनी भी लाइलाज क्यों न हो. एक्यूपंक्चर को लेकर विदेशों में तमाम तरह के ऐसे रिसर्च किए जा रहे हैं. भारत के कुल स्वास्थ्य बजट से भी ज्यादा पैसा निवेश किया जा रहा है. एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति एक व्यक्ति के शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने में कारगर साबित हुआ है. यही वजह है कि एड्स की बीमारी से ग्रसित लोग भी एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति से काफी हद तक अपनी इम्युनिटी को बढ़ा सकते हैं.