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एड्स के लिए सबसे सुरक्षित है एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति: देबाशीष बख्शी

राजधानी लखनऊ में एक्यूपंक्चर साइंस एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी देबाशीष बख्शी ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि एक्यूपंक्चर के माध्यम से एड्स रोगियों का किस प्रकार इलाज किया जाता है.

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देबाशीष बख्शी से खास बातचीत
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Published : Dec 2, 2019, 6:49 PM IST

लखनऊ: एड्स रोग को एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति के माध्यम से भी दूर किया जाता है लेकिन कुछ लोगों में एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां बनी हुई हैं. इसी सिलसिले में ईटीवी भारत ने एक्यूपंक्चर साइंस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी और राणाजीत मेमोरियल हॉस्पिटल एंड एक्यूपंक्चर योगा नेचरोपैथी कॉलेज ऑफ़ रिसर्च कोलकाता के डायरेक्टर देबाशीष बख्शी से खास बातचीत की.

डॉ. देवाशीष बख्शी से ईटीवी भारत की खास बातचीत.

डॉ. देवाशीष ने जानकारी देते हुए बताया कि
एचआईवी और एड्स को लेकर एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति में इलाज के लिए जो तकनीक अपनाई जाती है, उसे लेकर लोगों के मन में बहुत सी भ्रांतियां फैली हुई है. इस चिकित्सा पद्धति में इस्तेमाल होने वाली सुई से एड्स होने का खतरा बढ़ सकता है, जो कि बिल्कुल गलत है. एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति विश्व की सबसे सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है. आज तक इसको लेकर किसी भी तरह के इंफेक्शन या साइड इफेक्ट सामने नहीं आए हैं. एक्यूपंक्चर शरीर की हर बीमारी के इलाज में काफी हद तक कारगर साबित होता है, फिर चाहे वह बीमारी कितनी भी लाइलाज क्यों न हो. एक्यूपंक्चर को लेकर विदेशों में तमाम तरह के ऐसे रिसर्च किए जा रहे हैं. भारत के कुल स्वास्थ्य बजट से भी ज्यादा पैसा निवेश किया जा रहा है. एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति एक व्यक्ति के शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने में कारगर साबित हुआ है. यही वजह है कि एड्स की बीमारी से ग्रसित लोग भी एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति से काफी हद तक अपनी इम्युनिटी को बढ़ा सकते हैं.

लखनऊ: एड्स रोग को एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति के माध्यम से भी दूर किया जाता है लेकिन कुछ लोगों में एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां बनी हुई हैं. इसी सिलसिले में ईटीवी भारत ने एक्यूपंक्चर साइंस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी और राणाजीत मेमोरियल हॉस्पिटल एंड एक्यूपंक्चर योगा नेचरोपैथी कॉलेज ऑफ़ रिसर्च कोलकाता के डायरेक्टर देबाशीष बख्शी से खास बातचीत की.

डॉ. देवाशीष बख्शी से ईटीवी भारत की खास बातचीत.

डॉ. देवाशीष ने जानकारी देते हुए बताया कि
एचआईवी और एड्स को लेकर एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति में इलाज के लिए जो तकनीक अपनाई जाती है, उसे लेकर लोगों के मन में बहुत सी भ्रांतियां फैली हुई है. इस चिकित्सा पद्धति में इस्तेमाल होने वाली सुई से एड्स होने का खतरा बढ़ सकता है, जो कि बिल्कुल गलत है. एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति विश्व की सबसे सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है. आज तक इसको लेकर किसी भी तरह के इंफेक्शन या साइड इफेक्ट सामने नहीं आए हैं. एक्यूपंक्चर शरीर की हर बीमारी के इलाज में काफी हद तक कारगर साबित होता है, फिर चाहे वह बीमारी कितनी भी लाइलाज क्यों न हो. एक्यूपंक्चर को लेकर विदेशों में तमाम तरह के ऐसे रिसर्च किए जा रहे हैं. भारत के कुल स्वास्थ्य बजट से भी ज्यादा पैसा निवेश किया जा रहा है. एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति एक व्यक्ति के शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने में कारगर साबित हुआ है. यही वजह है कि एड्स की बीमारी से ग्रसित लोग भी एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति से काफी हद तक अपनी इम्युनिटी को बढ़ा सकते हैं.

Intro:लखनऊ- स्पेशल- एक्यूपंचर की तकनीक में एड्स के लिए शामिल है यह भ्रांतियां! लखनऊ। हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है पूरे विश्व भर में फैल रही इस बीमारी के तमाम कारण है और उसी तरह इसकी कई तरह के इलाज भी सामने आते जा रहे हैं। इन सभी राज्यों के बीच भारत के पारंपरिक चिकित्सा पद्धति एक्यूपंचर चिकित्सा पद्धति भी एड्स की बीमारी को काफी हद तक सुधारने में सक्षम रही है यह बात कई शोधों में सामने आ चुकी है। इसके बावजूद एक्यूपंचर चिकित्सा पद्धति में कई तरह की भ्रांतियां एड्स को लेकर लोगों के मन में बसी है इस बारे में ईटीवी भारत से कोलकाता के डॉक्टर देबाशीष बख्शी ने बात की।


Body:वीओ1 एक्यूपंचर साइंस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी और राणाजीत मेमोरियल हॉस्पिटल एंड एक्यूपंचर- योगा- नेचरोपैथी कॉलेज ऑफ़ रिसर्च, कोलकाता के डायरेक्टर डॉ देबाशीष बख्शी कहते हैं कि एक्यूपंचर चिकित्सा पद्धति में इलाज के लिए जो तकनीक अपनाई जाती है उसको लेकर लोगों के मन में कुछ भ्रांतियां फैली हुई है और खास बात यह है कि यह भ्रांतियां एचआईवी और एड्स को लेकर हैं। लोगों को लगता है कि इस चिकित्सा पद्धति में इस्तेमाल होने वाली सुई या नीडल से एड्स होने का खतरा बढ़ सकता है जो कि बिल्कुल गलत है। एक्यूपंचर चिकित्सा पद्धति विश्व की सबसे सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है और आज तक इसको लेकर किसी भी तरह के इंफेक्शन या साइड इफेक्ट सामने नहीं आए हैं। डॉ बक्शी के होते हैं इसके अलावा कुछ बातें और है जो एड्स के रोगियों को एक्यूपंचर चिकित्सा पद्धति के बारे में जानी चाहिए एक्यूपंचर शरीर की हर बीमारी के इलाज में काफी हद तक कारगर साबित होता है फिर चाहे वह बीमारी कितनी भी लाइलाज क्यों न हो। डॉ बक्शी ने बताया कि एक्यूपंक्चर को लेकर विदेशों में तमाम तरह के ऐसे रिसर्च किए जा रहे हैं जिन पर भारत के कुल स्वास्थ्य बजट से भी ज्यादा पैसा निवेश किया जा रहा है और यहां सिर्फ इसलिए किया जा रहा है ताकि वहां के लोगों को दवाइयों से मुक्ति दिलाई जा सके। डॉ बक्शी के अनुसार, एड्स की बीमारी में भी एक्यूपंचर काफी हद तक कारगर साबित हुआ है एड्स मूलता शरीर के इम्यूनिटी को कम करने वाले बीमारी है जिसमें शरीर की इम्यूनिटी इतनी भी नहीं रह जाती कि व्यक्ति एक बुखार को झेल सके और उसकी मृत्यु हो जाती है। एक्यूपंचर चिकित्सा पद्धति एक व्यक्ति के शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने में कारगर साबित हुआ है। यही वजह है कि एड्स की बीमारी से ग्रसित लोग भी एक्यूपंचर चिकित्सा पद्धति से काफी हद तक अपनी इम्यूनिटी को बढ़ा सकते हैं और इस लिहाज से उनके एड्स की बीमारी के स्टेजएस काफी कम हो सकते हैं। यानी एडवांस स्टेज के एड्स रोगी भी प्राथमिक स्टेज तक वापस आ सकते हैं।


Conclusion:डॉ देबाशीष कहते हैं कि एड्स की बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना जरूरी है पर साथ ही यह भी जरूरी है कि हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के बारे में भी लोगों को बताया जाए ताकि उससे भी फायदा लेकर लोग जल्द से जल्द स्वस्थ होना सीखें। बाइट- डॉ देबाशीष बक्शी, जनरल सेक्रेटरी , एक्यूपंचर साइंस एसोसिएशन रामांशी मिश्रा
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