लखनऊ : एक्टर दिलीप आर्या उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के एक छोटे से गांव अमौली से निकलकर मनोरंजन की दुनिया में नाम कमा रहे हैं. दिलीप को उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान से नवाजा गया है. ईटीवी भारत ने शुक्रवार को उनसे बातचीत की.
इस दौरान उन्होंने अपनी अपकमिंग फिल्मों का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि 'बीहड़ के बागी' वेब सीरीज को बहुत लोगों ने पसंद किया. आने वाले कुछ महीनों में अब इसका सीजन-2 भी आ जाएगा. जावेद अली द्वारा गाया गया एल्बम शांग शहीदी में भी दिलीप आर्या एक फौजी के किरदार में नजर आए थे.
बताया कि हाल ही में ओटीटी प्लेटफॉर्म की वेब सीरीज 'बीहड़ का बागी' में बुंदेलखंड के खूंखार डकैत शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ का किरदार निभाते नजर आए थे. कई भारतीय भाषाओं में बनी वेब सीरीज 'बीहड़ का बागी' दर्शकों को आकर्षित करने में कामयाब रही है. इसमें किए गए उनके अभिनय को लोगों ने काफी सराहा है जिसने उनके काम को नई पहचान दिलाई है.
बताया कि इस वेब सिरीज को अब तक पांच करोड़ से ज्यादा लोग देख चुके हैं. उन्होंने कहा कि युवाओं को यह संदेश देना चाहते हैं कि कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. अपने सपनों के प्रति ईमानदारी से प्रयास करें. कहा कि आज बहुत से ऐसे प्लेटफार्म हैं जो आपको बेहतर मौका देते हैं. इसलिए मेहनत करने से कभी मत घबराइए.
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दिलीप बताते हैं कि उनके पिता राजमिस्त्री का काम करते थे. परिवार का माहौल अभिनय और कला से जुड़ा न होने के बावजूद उनकी रुचि उन्हें इस ओर ले गई. हालांकि उन्हें इस क्षेत्र में जगह बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा.
उन्होंने कहा कि उनके दिल में लखनऊ का एक विशेष स्थान रहा है क्योंकि वह भारतेंदु नाट्य अकादमी के पूर्व छात्र रहे हैं. कहा कि वह शुरू से ही अभिनय के क्षेत्र में नाम कमाने का सपना देखते थे जिसे आज वह साकार कर रहे हैं.
वह बताते हैं कि मजदूरी करते-करते ही 12वीं तक की पढ़ाई की. फिर घरवालों के हौसला बढ़ाने पर ग्रेजुएशन किया. बताया कि घर पर हमेशा सभी लोगों ने उनका साथ दिया. बड़े भाई, बहनें हमेशा उन्हें प्रोत्साहित करते रहे. बहुत मुश्किलें आईं लेकिन हिम्मत नहीं हारी.
दिलीप बताते हैं कि उन्होंने पढ़ रखा था कि एनएसडी में पढ़ाई करने वाले तमाम अभिनेता सिनेमा में बड़े स्टार बने. उन्होंने वहां भी दाखिला लेने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ. इसके बाद वह लखनऊ आए और भारतेंदु नाट्य अकादमी में किस्मत आजमाया.
वहां दो साल खूब अच्छे से बीते. फिर वहां से वह पुणे पहुंच गए. वहां भी सब ठीक ही रहा. इसके बाद करीब 16 साल पहले वह मुंबई पहुंचे जहां अभिनय की उनकी गाड़ी पटरी पर आते दिखाई दी. आज वे धीरे धीरे प्रसिद्ध भी हो रहे हैं.