लखनऊ: समाजवादी पार्टी ने शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ जो कदम उठाया है, वह पार्टी की परंपरा और राजनीतिक सहिष्णुता को आघात पहुंचाने वाला है. साथ ही सपा के इस कदम ने यह भी तय कर दिया है कि परिवार में सुलह समझौते के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं. शिवपाल सिंह यादव की वापसी या बसपा के साथ समझौते की बात कर कन्फ्यूजन पैदा करने वालों को भी अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि समाजवादी पार्टी अब उत्तर प्रदेश के राजनीतिक अखाड़े में सारे दांव अपने दम पर आजमाएगी.
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेता और समाजवादी पार्टी के चुनाव निशान पर विधायक बने शिवपाल सिंह यादव की सदस्यता को रद्द कराने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में अखिलेश यादव ने कहा था कि समाजवादी पार्टी ऐसी कोई कोशिश नहीं करेगी. एक साल के दौरान शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी भी बनाई और लोकसभा चुनाव में सपा को नुकसान पहुंचाने के लिए पूरी ताकत भी झोंक दी. इसके बावजूद अखिलेश यादव ने उनकी विधानसभा सदस्यता पर निशाना नहीं साधा. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि बीते 10 दिनों के भीतर ऐसा क्या हुआ कि समाजवादी पार्टी ने शिवपाल की सदस्यता रद्द कराने का कठोर कदम उठा लिया.
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समाजवादी पार्टी ने अब तक अपने किसी भी बड़े नेता के पार्टी छोड़कर जाने पर कभी ऐसी कोशिश नहीं की क्योंकि पार्टी में एक बड़ा वर्ग ऐसे नेताओं का है जो यह मानता है कि राजनीति में मिलना बिछड़ना होता रहता है. ऐसे में किसी की सदस्यता रद्द कराने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. यही वजह है कि चाहे अमर सिंह हो या हाल ही में पार्टी छोड़ने वाले नीरज शेखर, सुरेंद्र सिंह नागर और संजय सेठ. इनमें से किसी की सदस्यता खत्म कराने के लिए समाजवादी पार्टी ने कोई कोशिश नहीं की. यहां तक कि पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पद से संजय सेठ को हटाने का पत्र भी जारी नहीं किया.
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समाजवादी पार्टी के जानकारों की मानें तो शिवपाल सिंह यादव ने पिछले दिनों आजम खां को लेकर समाजवादी पार्टी पर जिस तरह निशाना साधा उसने पार्टी नेतृत्व को उन पर सख्त एक्शन लेने के लिए मजबूर कर दिया. पार्टी नेतृत्व इस कार्रवाई से संदेश देना चाहता है कि अगर वह दूसरे लोगों के साथ राजनीतिक शालीनता निभा रहे हैं तो उन्हें भी पार्टी के अंदरूनी मामलों में नसीहत नहीं देनी चाहिए. दूसरी ओर इस कदम से समाजवादी पार्टी नेतृत्व ने उन कार्यकर्ताओं और नेताओं को भी संदेश देने की कोशिश की है जो विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद 'शिवपाल सिंह यादव वापस लाओ' अभियान को हवा दे रहे हैं.
अखिलेश यादव ने रामपुर की यात्रा कैंसिल करने के मौके पर स्पष्ट तौर पर कहा कि समाजवादी पार्टी अब उत्तर प्रदेश में अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी और अकेले दम पर राजनीति करेगी. शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ पार्टी के इस कदम से अखिलेश यादव की इस बात को बल मिल रहा है कि वह पार्टी को अब किसी नेता या करीबी रिश्तेदार की बैसाखी पर टिके नहीं रहने देंगे.