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एलडीए का हाल: एक दर्जन प्लाटों की फर्जी रजिस्ट्री में बाबू नपे पर अफसर बचे

लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के करोड़ों रुपये के भूखंड अफसरों और बाबुओं ने अपात्रों के हवाले कर दिए. अब इस मामले में क्लर्कों पर कार्रवाई हो रही है, लेकिन अफसर अभी बचे हुए हैं.

लखनऊ विकास प्राधिकरण.
लखनऊ विकास प्राधिकरण.
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Published : Sep 17, 2021, 3:36 PM IST

लखनऊ: करोड़ों रुपये के भूखंड लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के अफसरों और बाबुओं की कारस्तानी से चंद लाख रुपयों में अपात्रों के हवाले कर दिए गए. कुछ कर्मचारियों पर मुकदमे और बयानबाजी के बाद घोटाले में लिप्त अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. प्राधिकरण में एक संपत्ति अधिकारी और प्रॉपर्टी डीलर के गठजोड़ से गोमती नगर फेज-2 के इन भूखंडों के घोटाले को अंजाम दिया गया है.

अब प्राधिकरण इस तरह के घोटालों को रोकने के लिए ब्लॉक चेन सॉफ्टवेयर टेक्नलॉजी का उपयोग करेगा. हालांकि यह अपराध करने वाले गुनाहगारों का कोई हिसाब अब तक नहीं किया जा सका है.घरों में ही गोमती नगर भूखंड घोटाले के सभी दस्तावेज तैयार करवाए गए और वेब कैमरे से फर्जी गवाहों व फर्जी आवंटी बनकर फोटो खींची गई. यही नहीं मृतक व सेवानिवृत्त अधिकारियों व कर्मचारियों के फर्जी हस्ताक्षर का उपयोग करके पीछे की तिथि से रजिस्ट्री कर दी गई. जो स्टांप इस्तेमाल हुए, उनमें भी गड़बड़ी की गई है. जांच में इनका मिलान नहीं हो सका.

लखनऊ विकास प्राधिकरण.
12 करोड़ के 15 भूखंडों में हुई धांधली
पिछले दिनों सचिव लखनऊ विकास प्राधिकरण पवन कुमार गंगवार ने सभी पंद्रह भूखंडों की जांच की थी. उन्होंने बताया था कि अभी तक तीन भूखंड फर्जी निकल चुके हैं. एक में मुकदमा हुआ है और कब्जा भी ले लिया गया है. विभूति खंड के भूखंड संख्या 3/43 और विकल्प खंड के भूखंड संख्या 1/10 एच भी फर्जी पाया गया था. विनीत खंड के भूखंड संख्या 1/76 बी में हस्ताक्षर का सत्यापन अभी फंसा हुआ है. वहीं विरामखंड के एक में भूखंड की घेराबंदी की गई है. विक्रांतखंड के भूखंड संख्या 2/1 बी फर्जी तरीके से बेचने के आरोप में गोमती नगर पुलिस ने दो षडयंत्रकारियों को गिरफ्तार किया था. इनमें मास्टरमाइंड लविप्रा का सेवानिवृत्त बाबू बताया जा रहा था. पकड़े गए आरोपियों में अमित यादव, ग्राम ग्वारी विकास खंड चार और संतोष कुमार यादव विवेक खंड निवासी हैं.

इसे भी पढ़ें-केवल चार लाख में पाइये एलडीए का फ्लैट, ढाई हजार होंगे आवंटन


बिना अफसरों की मदद के कैसे हुए घोटाले
भूखंडों के इतने बड़े घोटाले बिना किसी अफसर की मदद के किस तरह से हुए, यह एक बड़ा सवाल है. प्राधिकरण के सूत्रों का कहना है कि गोमती नगर योजना में एक संपत्ति अधिकारी और गोमती नगर का एक दलाल मिले हुए हैं और उनकी मिलीभगत से ही यह स्कैम हुआ है. मगर रसूखदार अफसर पर एक्शन नहीं हो रहा है.

ब्लॉक चेन तकनीक रोकेगी घोटाले
प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी का कहना है कि ब्लॉक चेन तकनीक घोटालों को रोकेगी. इस तकनीक के बाद किसी भी तरह के स्कैम नहीं हो सकेंगे. बाकी ऐसे हर मामले की जांच कर के कड़ी कार्रवाई की जाएगी. लखनऊ विकास प्राधिकरण कर्मचारी यूनियन के महामंत्री दिनेश शुक्ला का इस बारे में कहना है कि प्राधिकरण में जब भी ऐसे मामले पूर्व में सामने आए हैं तब अधिकारियों ने सारा ठीकरा कर्मचारियों पर ही फोड़ा है. हमेशा कर्मचारियों को ही घोटालों के लिए जिम्मेदार बताया जाता रहा है. अपने दस्तखत को अधिकारी फर्जी बताते रहे हैं. मगर नवागत उपाध्यक्ष के आने के बाद इस तरह के प्लॉट घोटालों की जांच तेजी से हो रही है और जिम्मेदारों पर कार्रवाई का सिलसिला शुरू हो गया है.

लखनऊ: करोड़ों रुपये के भूखंड लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के अफसरों और बाबुओं की कारस्तानी से चंद लाख रुपयों में अपात्रों के हवाले कर दिए गए. कुछ कर्मचारियों पर मुकदमे और बयानबाजी के बाद घोटाले में लिप्त अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. प्राधिकरण में एक संपत्ति अधिकारी और प्रॉपर्टी डीलर के गठजोड़ से गोमती नगर फेज-2 के इन भूखंडों के घोटाले को अंजाम दिया गया है.

अब प्राधिकरण इस तरह के घोटालों को रोकने के लिए ब्लॉक चेन सॉफ्टवेयर टेक्नलॉजी का उपयोग करेगा. हालांकि यह अपराध करने वाले गुनाहगारों का कोई हिसाब अब तक नहीं किया जा सका है.घरों में ही गोमती नगर भूखंड घोटाले के सभी दस्तावेज तैयार करवाए गए और वेब कैमरे से फर्जी गवाहों व फर्जी आवंटी बनकर फोटो खींची गई. यही नहीं मृतक व सेवानिवृत्त अधिकारियों व कर्मचारियों के फर्जी हस्ताक्षर का उपयोग करके पीछे की तिथि से रजिस्ट्री कर दी गई. जो स्टांप इस्तेमाल हुए, उनमें भी गड़बड़ी की गई है. जांच में इनका मिलान नहीं हो सका.

लखनऊ विकास प्राधिकरण.
12 करोड़ के 15 भूखंडों में हुई धांधली
पिछले दिनों सचिव लखनऊ विकास प्राधिकरण पवन कुमार गंगवार ने सभी पंद्रह भूखंडों की जांच की थी. उन्होंने बताया था कि अभी तक तीन भूखंड फर्जी निकल चुके हैं. एक में मुकदमा हुआ है और कब्जा भी ले लिया गया है. विभूति खंड के भूखंड संख्या 3/43 और विकल्प खंड के भूखंड संख्या 1/10 एच भी फर्जी पाया गया था. विनीत खंड के भूखंड संख्या 1/76 बी में हस्ताक्षर का सत्यापन अभी फंसा हुआ है. वहीं विरामखंड के एक में भूखंड की घेराबंदी की गई है. विक्रांतखंड के भूखंड संख्या 2/1 बी फर्जी तरीके से बेचने के आरोप में गोमती नगर पुलिस ने दो षडयंत्रकारियों को गिरफ्तार किया था. इनमें मास्टरमाइंड लविप्रा का सेवानिवृत्त बाबू बताया जा रहा था. पकड़े गए आरोपियों में अमित यादव, ग्राम ग्वारी विकास खंड चार और संतोष कुमार यादव विवेक खंड निवासी हैं.

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बिना अफसरों की मदद के कैसे हुए घोटाले
भूखंडों के इतने बड़े घोटाले बिना किसी अफसर की मदद के किस तरह से हुए, यह एक बड़ा सवाल है. प्राधिकरण के सूत्रों का कहना है कि गोमती नगर योजना में एक संपत्ति अधिकारी और गोमती नगर का एक दलाल मिले हुए हैं और उनकी मिलीभगत से ही यह स्कैम हुआ है. मगर रसूखदार अफसर पर एक्शन नहीं हो रहा है.

ब्लॉक चेन तकनीक रोकेगी घोटाले
प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी का कहना है कि ब्लॉक चेन तकनीक घोटालों को रोकेगी. इस तकनीक के बाद किसी भी तरह के स्कैम नहीं हो सकेंगे. बाकी ऐसे हर मामले की जांच कर के कड़ी कार्रवाई की जाएगी. लखनऊ विकास प्राधिकरण कर्मचारी यूनियन के महामंत्री दिनेश शुक्ला का इस बारे में कहना है कि प्राधिकरण में जब भी ऐसे मामले पूर्व में सामने आए हैं तब अधिकारियों ने सारा ठीकरा कर्मचारियों पर ही फोड़ा है. हमेशा कर्मचारियों को ही घोटालों के लिए जिम्मेदार बताया जाता रहा है. अपने दस्तखत को अधिकारी फर्जी बताते रहे हैं. मगर नवागत उपाध्यक्ष के आने के बाद इस तरह के प्लॉट घोटालों की जांच तेजी से हो रही है और जिम्मेदारों पर कार्रवाई का सिलसिला शुरू हो गया है.

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