लखनऊ : लोक निर्माण विभाग में अब अभियंताओं पर टेंडर संबंधित कामों में गड़बड़ी करने पर गंभीर मुकदमें दर्ज होंगे. वहीं सड़क निर्माण में देरी होने पर ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा. शासन ने पीडब्डल्यूडी के विभागध्यक्ष को इस संबंध आदेश करके महीने में दो बार समीक्षा का निर्देश दिया है. पीडब्डल्यूडी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार टेंडर में गड़बड़ियां मिलने पर संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी. सरकार ने सड़क निर्माण में देरी पर ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट करने और ऐसे प्रकरण की अनदेखी करने वाले अधिशासी अभियंताओं को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं.
पीडब्ल्यूडी विभागाध्यक्ष को महीने के पहले और तीसरे सोमवार को सड़क निर्माण की प्रगति के बारे में शासन को विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है. शासन ने पीडब्ल्यूडी मुख्यालय को सभी कामों के टेंडर नोटिस जानबूझकर कम प्रसार वाले अखबारों में छपवाने पर रोक लगा दी है. अनिवार्य तौर पर विभाग को वेबसाइट पर कॉलम बनाकर देने व टेंडर जारी होने के दिन वेबसाइट और विभाग के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देने के निर्देश दिए हैं. शासन ने मुख्यालय को भेजे पत्र में कहा है कि कई वर्षों से कुछ ठेकेदारों का काम अत्यंत धीमा है. सड़कों पर गिट्टी डालकर छोड़ गई है. जबकि इन कामों को समीक्षा मुख्यमंत्री भी कर रहे हैं. निर्धारित समय सीमा के छह माह बाद काम पूरा नहीं करने वाले ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट या पेनाल्टी लगाकर दंडित करें और अनदेखी करने वाले संबंधित अधिशासी अभियंताओं को निलंबित कर मुख्य अभियंता को एडवर्स एंट्री दें.
फील्ड अधिकारी टेंडर अपने चहेतों को दिलाने के लिए कई खेल करते हैं. टेंडर ऐसे छोटे अखबारों में प्रकाशित करा देते हैं, जिन्हें सरकार से मान्यता तो मिली होती है, लेकिन इनका प्रसार न के बराबर होता है. इससे कम लोगों को ही पता चलता है कि टेंडर की सूचना प्रकाशित हो चुकी है. वहीं ये अफसर अपने चहेतों को इसकी जानकारी दे देते हैं. टेंडर डॉक्यूमेंट वेबसाइट पर अपलोड न किए जाने के पीछे का भी यह खेल है. डॉक्यूमेंट केवल अंतिम तिथि से एक सप्ताह पहले ही अपलोड करते हैं. अब ऐसा करने पर दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी.
बर्खास्त होंगे दो अभियंता : सड़क निर्माण के घपला मामले में सहायक अभियंताओं की बर्खास्तगी के लिए फाइल उप्र लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) भेज दी गई है. 43.95 करोड़ रुपये का गबन सामने आने पर तत्कालीन सहायक अभियंत (ए) अरविंद कुमार और विनय कुमार राम का निर्णय उच्चस्तर पर लिया गया है. इसे आयोग की सहमति के लिए भेजा गया है. माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में औपचारिक आदेश जारी कर दिया जाएगा. इस मामले में दोषी एक्सईएन आलोक रमण पहले ही सेवा से बर्खास्त किए जा चुके हैं.
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